मुंबई में अफ़रोज़ की छोटी सी शुरुआत बन गई सफाई की मिसाल
मुंबई के अफ़रोज़ शाह पहले तो खुद ही वर्सोवा बीच पर कचरे की सफाई में जुट गए और लोगों ने उनका मज़ाक भी बनाया लेकिन धीरे धीरे कारवां बनता गया, आज उनके साथ ऐसे सौ लोगों की टोली है। और फिर एक दिन तो ऐसा भी आया, जब अमिताभ बच्चन और नरेश सूरी भी इस काम में उनका हाथ बंटाने आ पहुंचे।
सबसे पहले पेशे से वकील अफरोज शाह ने अपने घर के पास स्थित एक बीच की सफाई की शुरुआत की। उसके बाद तो हर शनिवार-रविवार दो घंटे नियमित उनका यही मुख्य काम हो गया। अब तो उनके साथ सौ लोगों की टोली बन चुकी है।
कहते हैं कि अच्छी शुरुआत कभी भी की जा सकती है। वह प्रारंभ में भले मामूली लगे लेकिन एक दिन वह जरूर रंग लाती है। इसे चरितार्थ किया है मुंबई के अफरोज शाह ने, जो इस सपनीली महानगरी का साफ-सुथरा बनाने में जुटे हुए हैं। अफरोज के बारे में जानने से पहले आइए एक नजर देश के शहरों का नाम जान लेते हैं, जिन्हे भारत के स्वच्छता मिशन में अव्वल होने और सबसे गंदा होने के भी ख़िताब मिल चुके हैं। देश के तीन सबसे गंदे शहरों में उत्तर प्रदेश का गोंडा, महाराष्ट्र का भुसावल और बिहार का बगहा हैं। इन्हें सूची में आखिरी स्थान दिया गया है।
मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर माना गया है। दूसरे पायदान पर भी मध्य प्रदेश का ही राजधानी महानगर भोपाल है। इनके अलावा विशाखापत्तनम और तिरुपति (आंध्र प्रदेश), सूरत और बड़ोदरा (गुजरात), मैसूर (कर्नाटक), तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु), नई दिल्ली, नवी मुंबई (महाराष्ट्र) देश के टॉप टेन साफ-सुथरे शहरों में गिने गए हैं। मुंबई या दिल्ली का नाम भले टॉप टेन सूची में आ गया हो, लिस्टिंग में बड़े सुनहले दावे किए जा रहे हों, इन शहरों के भी कुछ खास इलाकों को छोड़कर बाकी वे क्षेत्र, जहां आम लोग रहते हैं, गंदगी के हालात वैसे ही हैं, जैसे लिस्ट के बाहर रह गए अन्य शहरों के। शायद तभी तो मुंबई के अफरोज शाह अपने सामाजिक सरोकारों और बेमिसाल जीवट के कारण इस महानगरी की शख्सियतों में शुमार हो रहे हैं। इस वाणिज्यिक नगरी में जो काम कर्नाटक सरकार नहीं कर पा रही है, उसे आम लोगों को साथ लेकर वह कर दिखा रहे हैं।
सबसे पहले पेशे से वकील अफरोज शाह ने अपने घर के पास स्थित एक बीच की सफाई की शुरुआत की। उसके बाद तो हर शनिवार-रविवार दो घंटे नियमित उनका यही मुख्य काम हो गया। अब तो उनके साथ सौ लोगों की टोली बन चुकी है। ये लोग तीन किलोमीटर लंबे बीच का कचरा इकट्ठा करने के बाद प्लास्टिक के टुकड़े तक रेत से बाहर निकालकर डलाब घरों तक पहुंचा देते हैं। दरअसल, अफ़रोज़ शाह का समुद्र तट पर अपार्टमेंट है। जब उन्होंने अपार्ट में फ्लैट का पैसा जमा कर दिया, उसके बाद उन्हें अपनी खिड़की से पहली बार दिखा कचरे का अथाह समुद्र। अब तो उनके सामने और कोई चारा भी नहीं था।
वह प्रशासन या नगर निगम से इसकी शिकायत या गुहार भी कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उसी समय उन्होंने संकल्प लिया कि इस बीच को साफ-सुथरा बनाकर ही दम लेंगे और अकेले ही कचरे की सफाई पर निकल पड़े। पहले तो उन्हें ऐसा करते देख कई लोगों ने खूब मज़ाक बनाया लेकिन धीरे-धीरे लोग उनसे जुड़ते गए और कारवां बनता गया। बीच पर सफाई एक अभियान बन गया।
अफ़रोज़ कहते हैं- फ्लैट से पहले दिन मैंने जब खिड़की से बाहर देखा, ढेर सारा कचरा नजर आया। मेरी आंखों को तकलीफ होने लगी। वकील होने के नाते वह चाहते तो महापालिका में शिकायत भी कर सकते थे, लेकिन फिर उन्होंने खुद सोचा और आसपास के लोगों से भी कहा कि आप लोग नागरिक हो और इस अथाह गंदगी के लिए आप भी जिम्मेदार हो। आओ, हम मिलकर इसे साफ करते हैं। शुरू के दिनों में बहुत मुश्किल हुई। सिर्फ चार पांच लोग साथ आए लेकिन फिर उनकी संख्या आज सौ से अधिक हो चुकी है।'
अफ़रोज़ कहते हैं कि 'अब तो बीच पूरी तरह साफ होने का उनका सपना साकार होता दिख रहा है। उनको बॉलीवुड के सितारों नरेश सूरी आदि का भी साथ मिल गया है। तीन तरफ से समुद्र से घिरे मुंबई में और भी तमाम बीच गंदे नालों और कचरे से लदे पड़े हैं। रोजाना लाखों टन कचरा शहर में जमा हो जाता है। पर्यटन उद्योग से जुड़े होने के बावजूद इस महानगरी में उसके लिए डलाब या सफाई की कोई मोकम्मल व्यवस्था नहीं है।
अब तो सफाई की मशीनें भी आ गई हैं, करोड़ों का राजस्व मिलता है, फिर न जाने क्यों नगर निगम इंतजाम नहीं कर पा रहा है।' यूएन अर्थ चैंपियन अफ़रोज़ बताते हैं कि अभिनेता अमिताभ बच्चन भी मुंबई के वर्सोवा बीच पर उनके साथ कचरे की सफाई करने आ चुके हैं। वह लोगों से अपील कर गए हैं कि हर बार हर किसी चीज के लिए बीएमसी को ही दोष देना ठीक नहीं है। हमें अपनी भी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। अगर हमको कहीं कचरा दिखे तो खुद ही साफ कर लेना चाहिए, न कि किसी को कोसना चाहिए। अमिताभ बच्चन उस दिन बीच पर करीब आधे घंटे तक उनके साथ सफाई में हाथ बंटाते रहे।
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