आपके हंगर का इंस्टैंट सॉल्यूशन 'Yhungry'
हर महीने 25 हजार से ज्यादा डेलिवरी
हाइपर-लोकल डेलिवरी यानी डोर-टू-डोर डेलिवरी सेगमेंट के लिए ये साल काफी अच्छा रहा है। अब, उद्यमी भी तेजी से बढ़ रही हाइपर-लोकल डेलिवरी की जरुरतों का फायदा उठाने का मौका गंवाना नहीं चाह रहे हैं। इसके अलावा ग्राहकों के लिए अति-स्थानीय डेलिवरी के क्षेत्र मंठ ग्रोफर्स, पेपरटैप एंड जॉपनाउ व बी2बी सेगमेंट भी काफी तेजी से विकसित हो रहे हैं।
बी2बी अति-स्थानीय डेलिवरी सेगमेंट में कई और स्टार्टअप्स भी आ गए हैं। इन्हीं स्टार्टअप्स में से एक है वाईहंग्री। यह अगली पीढ़ी की डेलिवरी लॉजिस्टिक्स का निर्माण कर रहा है जहां 30-45 मिनट के अंदर आप तक कुछ भी डेलिवर कर सकता है। तुरंत डेलिवरी स्पेस में काफी खाली जगह है और वाईहंग्री बाजार के इस स्पेस की अगुवाई करने की तैयारी कर रहा है।
सिटीबैंक के पूर्व उपाध्यभ विकास पांडे के दिमाग की उपज वाईहंग्री की शुरुआत पिछले साल हुई थी। विकास बताते हैं कि सिटीबैंक की नौकरी से इस स्टार्टअप को शुरू करने का सफर बहुत आसान नहीं रहा है।
शुरुआत में मेरे लिए ये एक बड़ा बदलाव था, क्योंकि जहां मुझे आलीशान एयरकंडीशन दफ्तर से हटकर एक ऐसे दफ्तर में आना पड़ा था जहां मुझे अपने न सिर्फ पानी का इंतजाम और सफाई तक खुद करना पड़ता था, बल्कि मेरे साथ आने के लिए डेलिवरी बॉयज को भी खुद ही फोन करने होते थे।
विकास एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और आईसीडब्लूएआई (पूरे भारत में 12वीं रैंकिंग वाला) के साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ी मल कॉलेज से ग्रेजुएट हैं।
वाईहंग्री की शुरुआत
विकास जब ऑनलाइन फूड पोर्टल्स पर खाने का ऑर्डर दिया करते थे, तब वो ये देख कर हैरान हुआ करते थे कि प्रत्येक रेस्टोरेंट अपनी ओर से डेलिवरी का इंतजाम खुद करते हैं। उन्हें बिजनेस करने का ये तरीका फायदेमंद नहीं लगा और यही वजह रही कि उन्हें इस क्षेत्र में मौका दिखा और उन्होंने रेस्टोरेंट्स को इसका समाधान प्रस्ताव देने का फैसला किया। विकास ने बताया, “इस तरह हमने रेस्टोरेंट्स को डेलिवरी का समाधान मुहैया कराने के लिए अपने बी2बी मॉडल की शुरुआत की, क्योंकि इस कारोबार का बी2सी हिस्सा पहले से ही काफी भीड़-भाड़ वाला था।”
फिलहाल बी2बी अति-स्थानीय डेलिवरी सेगमेंट में उतनी भीड़ नहीं है, जितना कि ग्राहक सामना कर रहे हैं। वाईहंग्री के अलावा क्विकली भी बी2बी स्पेस में दूसरा प्रतियोगी है। क्विकली ने जहां क्षैतिज रास्ते का सहारा लिया, वहीं वाईहंग्री ने सिर्फ रेस्टोरेंट की डेलिवरी पर ध्यान केंद्रित किया। दोनों में फर्क को बताते हुए विकास बताते हैं, “दिल्ली-एनसीआर में हमारे पास सबसे बड़ी टीम है और हम लगातार बड़ी टीम बढ़ा रहे हैं। इस वित्त वर्ष के आखिर तक हम कम से कम 1200 राइडर्स को नियुक्त करने की योजना बना रहे हैं।” डेलिवरी का काम ज्यादा संख्या में डेलिवरी बॉयज पर निर्भर है, ऐसे में विकास भी मानते हैं कि जो स्टार्टअप अपनी लॉजिस्टिक टीम को बेहतर तरीके से संचालन करेगा, वही इस कारोबार में विजयी होगा।
कंपनी करीब 800-1000 लेन-देन प्रतिदिन अंजाम दे रही है, जो प्रति महीने एक करोड़ जीएमवी का होता है। फिलहाल करीब 200 ब्रांड इस कंपनी के साथ जुड़े हैं।
वाईहंग्री रेस्टोरेंट्स से शुल्क प्रति ऑर्डर के हिसाब से वसूलती है, यह शुल्क ऑर्डर की संख्या और दूरी पर निर्भर होता है। विकास ने बताया, “हमने पिछले साल अगस्त में शुरुआत की थी और अब हमारा जीएमवी तीन करोड़ रुपये के आसपास है। वर्तमान वित्त वर्ष में तो हम पहली तिमाही में ही तीन करोड़ रुपये के आंकड़े को पार करने की उम्मीद कर रहे हैं।”
वाईहंग्री ने कारोबार शुरू करने के लिए परिवार और दोस्तों से पैसे जुगाड़ किया था और अब वो कुछ निवेशकों से बातचीत कर रहे हैं। चुनौतियों की बात करते हुए विकास बताते हैं कि सबसे बड़ी चुनौती डेलिवरी बॉयज को बनाए रखना है। आज एक डेलिवरी बॉय काफी कीमती साधन है और उनके पास कई विकल्प मौजूद हैं। इंटरनेट की लगातार बढ़ती पैठ और लोगों की कमाई के स्तर में इजाफे के बाद हमारी सेवा की मांग में भी काफी वृद्धि हो रही है।
सीए होने का फायदा मिला
विकास मानते हैं कि उनका सीए होने उनके कारोबार के लिए काफी फायदेमंद रहा है। वह कहते हैं, ‘सबसे पहली बात तो ये कि सीए पेशेवर होते हैं, उनके पास कारोबार चलाने के लिए गहरी जानकारी और व्यापारिक समझ होती है। इसमें कोई शक नहीं कि एक कारोबार जब सीए चलाता है तो वह कारोबार हमेशा फायदे में रहता है, पूंजी की वहां कोई कमी नहीं होती है। इसी तरह हम अपना कारोबार संचालित करने लगे। मैं अंकों से प्यार करता हूं और मैं बता सकता हूं कि जब मेरा एक राइडर 100 मीटर भी जाता है तो उस पर कितना खर्च आता है, कब हमारा ये खर्च बराबर होगा, सर्वाधिक इस्तेमाल की सीमा क्या होगी और कितने ऑर्डर लेने पर मेरी क्षमता का पूरा इस्तेमाल हो सकेगा।
भारतीय रेलवे से बड़ा नेटवर्क बनाने की राह पर
विकास कहते हैं, ‘मैं हमेशा ये सोचा करता था कि क्यों हम भारतीय रेलवे से बड़ा और गहरा नेटवर्क तैयार नहीं कर सकते हैं। हम ऐसा करने की कोशिश तो कर सकते हैं और इसके साथ ही हम बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी दे सकेंगे। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि ये संख्या लाखों में होगी, लेकिन सभी हमारे पेरोल में नहीं होंगे। हम उद्यमिता को समाज के सबसे निचले स्तर तक ले जाना चाहते हैं।‘
फिलहाल, वाईहंग्री एक ऑन-डिमांड लॉजिस्टिक कंपनी है जो अभी सिर्फ खाना डेलिवर करने का काम करती है। विकास ये कहते हुए खत्म करते हैं, हम दूसरे वर्गों में भी जल्दी ही अपनी सेवा शुरू करने वाले हैं।
वाईहंग्री के अलावा क्विकली, स्विग्गी और ग्रैब.इन बी2बी अति-स्थानीय डेलिवरी स्पेस के दूसरे खिलाड़ी मैदान में हैं। जहां स्विग्गी ने एसेल पार्टनर्स और SAIF पार्टनर्स व एनवीपी से 18.5 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल करने में कामयाब रही है, वहीं ग्रैब.इन ने ओलिफैन्स कैपिटल और स्वतंत्र निवेशक हरेश चावला से 1 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल की है।
अति-स्थानीय स्टार्टअप्स कैसे ई-कॉम जायंट्स को कड़ी टक्कर दे रहे हैं
योरस्टोरी सूत्रों के मुताबिक, गुड़गांव स्थित क्विकली और रोडरनलर भी निवेश के लिए बातचीत कर रहे हैं। अब तक जो दिख रहा है उसके मुताबिक भारत में फूड और ग्रॉसरी डेलिवरी स्टार्टअप्स के लिए भारत में काफी संभावनाएं हैं और ये भी लगता है कि वीसी समुदाय के बीच कारोबार केंद्रित डेलिवरी नेटवर्क भी काफी लोकप्रिय हो सकता है।