भारत को बढ़िया कारोबारी देश बनाने सिंगापुर के प्रधानमंत्री सिएन लूंग के सुझाव
सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग से कहा है कि वह चाहते हैं कि भारत कारोबार, संवाद और स्थिरता के लिए हिंद महासागर से आगे के क्षेत्र में भी ‘‘जोश और सक्रियता’’ से अपना दखल बढ़ाए।
दक्षिण एशियाई प्रवासी सम्मेलन (एसएडीसी) में प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए ली ने कहा, ‘‘व्यापक क्षेत्र में आपकी :भारत: दिलचस्पी तो है लेकिन आपने यहां अन्य देशों जितनी सक्रियता नहीं दिखाई है।’’ उन्होंने कहा कि भारत का सारा ध्यान अभी तक दक्षिण एशियाई उपमहाद्वीपीय मामलों पर ही केंद्रित रहा है और ‘‘विदेशी मामलों में आपकी भागीदारी उतनी नहीं है जितनी कि होनी चाहिए ।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अगर आप अपने हितों को और जोश तथा सक्रियता के साथ उपमहाद्वीप खासकर हिंद महासागर से आगे ले जाएंगे तो निश्चित ही आप एक बढ़िया कारोबारी देश बन सकेंगे।’’ क्षेत्र की स्थिरता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सैन्य आपूर्ति रास्ते, कारोबार के रास्ते और क्षेत्र में आवागमन की स्वतंत्रता भारत के लिए महत्वपूर्ण सरोकार हो जाएंगे।
ली ने कहा, ‘‘क्षेत्र के मामलों में भागीदारी कर आप अपना योगदान दे सकते हैं और इसके साथ विकास भी कर सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि भारत ट्रांस प्रशांत भागीदारी और क्षेत्रीय समग्र आर्थिक भागीदारी में शामिल हो ।
ली ने कहा कि उन्होंने सिंगापुर आधारित भारतीय कंपनियों से भी कहा था कि वे इस बाबत भारत सरकार पर दबाव बनाएँ।
भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के साथ मुक्त आकाश की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मुक्त आकाश होने पर एयरलाइनों में प्रतिद्वंद्विता बढ़ेगी और वे और मेहनत करेंगी। उनका कारोबार बढ़ेगा और पर्यटन तथा निवेश भी फलेगा-फूलेगा।’’ यह उल्लेख करते हुए कि भारत और सिंगापुर के बीच 464 साप्ताहिक उड़ानें हैं तथा ये पूर्ण क्षमता के साथ संचालित हो रही हैं, ली ने कहा कि भारत के दौरे के वक्त उनके एजेंडे में कनेक्टिविटी बढ़ाने का मुद्दा हमेशा शामिल होता है।
क्षेत्र में भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय कंपनियों को हम यहां बुलाते हैं और उनका स्वागत करते हैं। मेरा मानना है कि सिंगापुर में 6,500 भारतीय कंपनियां हैं जिनमें से कुछ के भारतीय कामकाज से संबंधित मुख्यालय सिंगापुर से बाहर हैं।’’ ली ने भारत की युवा आबादी और बड़ी संख्या में मानव संसाधनों की उपलब्धता की सराहना करते हुए कहा, ‘‘अगर आप उन्हें शिक्षित करेंगे और उनकी उत्पादकता का उचित इस्तेमाल करेंगे तो यह देश के लिए बहुत फ़ायदेमंद साबित होगा।’’..पीटीआई