दिवाली से पहले ही केंद्रीय कर्मचारियों को मिला तोहफा, DA बढ़कर हुआ 38%, जानिए कितनी बढ़ जाएगी सैलरी
मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को त्योहार से पहले ही दिवाली गिफ्ट दे दिया है. महंगाई भत्ते में 4 फीसदी बढ़ोतरी कर के उसे 38 फीसदी कर दिया है. इससे 50 लाख सरकारी कर्मचारियों और करीब 65 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा.
वैसे तो अभी दिवाली (Diwali) को काफी दिन बाकी हैं, लेकिन सरकार ने अभी से केंद्रीय कर्मचारियों को दिवाली का तोहफा (Diwali Gift) दे दिया है. केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 4 फीसदी (Dearness Allowance Hike) बढ़ाने के फैसले पर सरकार ने मुहर लगा दी है. दिवाली से पहले ही केंद्रीय कर्मचारियों को बढ़ी हुई सैलरी का तोहफा मिल गया है. केंद्र सरकार के इस फैसले का फायदा 50 लाख सरकारी कर्मचारियों और करीब 65 लाख पेंशनर्स को मिलेगा.
आज यानी बुधवार को कैबिनेट कमेटी ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स (CCEA) की मीटिंग हुई, जिसमें केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाए जाने का फैसला किया गया. इसे लेकर पिछले कई दिनों से चर्चा हो रही थी, बस हर किसी को आधिकारिक घोषणा का इंतजार था.
अब कितना हो गया महंगाई भत्ता?
मार्च के महीने में सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 3 फीसदी की बढ़ोतरी की थी, जो 1 जनवरी 2022 से लागू हो चुकी है. इस बढ़ोतरी के बाद महंगाई भत्ता 31 फीसदी से बढ़कर 34 फीसदी हो गया था. अब इसे 4 फीसदी और बढ़ा दिया गया है, जिसके बाद महंगाई भत्ता 38 फीसदी हो गया है. काफी लंबे वक्त के बाद पिछले साल जुलाई में सरकार ने महंगाई भत्ते को 17 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी किया था. उसके बाद अक्टूबर में इसे 3 फीसदी बढ़ाकर 31 फीसदी किया था.
कितनी बढ़ जाएगी सैलरी?
महंगाई भत्ते के 34 से बढ़ाकर 38 फीसदी किए जाने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बढ़ जाएगी. अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 18 हजार रुपये है तो 34 फीसदी के हिसाब से उसे 6120 रुपये का महंगाई भत्ता मिलता, जो अब 38 फीसदी के हिसाब से 6,840 रुपये मिलेगा. यानी उसकी महीने की सैलरी 720 रुपये बढ़ जाएगी. यानी जिसकी बेसिक सैलरी जितनी ज्यादा होगी, उसका महंगाई भत्ता उतना ही अधिक होगा.
क्या होता है महंगाई भत्ता?
केन्द्र या राज्य सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स को महंगाई की मार से बचाने के लिए भत्ता देती है. सरकारी कर्मचारियों में पब्लिक सेक्टर यूनिट इंप्लॉइज भी शामिल हैं क्योंकि उन्हें भी सरकारी कर्मचारियों में ही गिना जाता है. महंगाई भत्ते का मतलब है कि सरकार, महंगाई के प्रभाव को संतुलित करने के लिए कर्मचारी के मूल वेतन के एक प्रतिशत के रूप में अपने पेंशनभोगियों, कर्मचारियों आदि को भुगतान करती है. साल में इसे दो बार यानी जनवरी और जुलाई में कैलकुलेट किया जाता है. शहरी, अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों के हिसाब से डीए अलग-अलग होता है. बढ़ती महंगाई की वजह से इसे बढ़ाना पड़ता है. बढ़ती कीमतें बाजार पर निर्भर हैं और मुद्रास्फीति की दर को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सरकारी उपायों के बावजूद ,उच्च जीवन लागत की भरपाई के लिए डीए समायोजन की जरूरत है.
इस तरह हुआ शुरू
महंगाई भत्ता देने की शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुई थी. उस वक्त सैनिकों को खाने और दूसरी सुविधाओं के लिए तनख्वाह से अलग यह पैसा दिया जाता था. उस वक्त इसे खाद्य महंगाई भत्ता या डियरनेस फूड अलाउंस (Dearness food allowance) कहा जाता था. भारत में मुंबई से 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते देने की शुरुआत हुई थी. इसके बाद केंद्र सरकार के सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा.