महिलाओं को मजबूत करियर देने की कोशिश, 'फ्लेक्सी करियर'
फ्लेक्सी करियर इण्डिया की संस्थापक सुन्दरैया राजेश की कहानी
भारत वर्ष के श्रमिकों में महिला श्रमिकों की भागीदारी कनिष्ठ स्तर पर 29 प्रतिशत, मध्यम स्तर पर 15 प्रतिशत तथा वरिष्ठ स्तर पर 10 प्रतिशत से भी कम है। इसके प्रमुख कारणों में से एक है भारी संख्या में कनिष्ठ तथा मध्यम स्तर के महिला श्रमिकों का काम बीच में ही छोड़ देना, जिससे विश्व में महिला श्रमिक बल की सहभागिता दर के मामले में भारत का स्थान 131 में 120वाँ है।
विगत दो दशकों में भारत ने बहुत विकास किया है, परन्तु ये आँकड़े अभी भी स्तब्ध करने वाले दृश्य उपस्थित करते हैं। फ्लेक्सी करियर इण्डिया की संस्थापक सुन्दरैया राजेश को भी जीवन में उन्हीं चरणों से गुजरना पड़ा है जिनसे अनेक कामकाजी महिलाओं को, परिवार के लिए जीविका का बलिदान करते हुए, गुजरना पड़ता है। सन् 1990 से ’93 तक के वर्ष उनके लिए बहुत उत्साहवर्द्धक थे क्योंकि इस अवधि में उनकी जिंदगी में अनेक ऐसी घटनाएँ घटीं जो जीवन प्रवर्तक थीं। इसी दरम्यान उन्होंने वाणिज्य विद्यालय से स्नातक किया, प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में सीटी बैंक से जुड़ीं, विवाह किया, अपनी पहली संतान को जन्म दिया और फिर नौकरी को अलविदा कह दिया।
सुन्दरैया कहती हैं,
‘‘90 के दशक में महिलाओं की पेशेवर उम्मीदें तथा आकांक्षाएँ या-तो- यह-या-वह समाधान- परिवार या जीविका- से चालित थीं। यह बात रात और दिन, श्वेत और श्याम की तरह स्पष्ट थी- एक महिला अपने लिए पहले जीविका या पहले घर का चुनाव कर सकती थी। जीविका के साथ घर- एक घिसी-पिटी बात थी, एक ऐसी बात जो रोजगार के विकास के सपने देखने वाली महिला के लिए दो नावों की सवारी-जैसी थी, यह एक ऐसी धारणा थी जो आगामी 10-15 वर्षों के लिए भी नहीं थी।’’
एक ऐसी नौकरी जो उन्हें लचीलापन प्रदान करती तथा उन्हें अपने कौशल के प्रयोग का अवसर प्रदान करती- की लंबी तलाश के पश्चात् सुन्दरैया ने इसे अध्यापन में प्राप्त किया। छः वर्षों बाद जब वह एम.बी.ए. की कक्षाओं में अनेक महिलाओं को पढ़ा चुकी थीं, उन्हें यह बात समझ में आयी कि महिलाओं में प्रतिभा का खजाना छिपा पड़ा है, उन्हें पूर्णता प्रदान करने के लिए सही श्रोता के सामने खड़ा करने की जरूरत है। और इस प्रकार दिसम्बर 2000 में उन्होंने टीम के चार अन्य साथियों के साथ मिल कर अवतार की शुरुआत करने का निश्चय किया। अवतार ने अपना ध्यान हाशिये पर की प्रतिभावोें को बेहतर अवसर उपलब्ध कराने पर केन्द्रित किया- ऐसी महिलाओं पर जिनकी नौकरी बीच में ही छूट गयी हो, ऐसे उम्रदराज लोगों पर जो सेवानिवृत्ति के पश्चात भी पाँच-एक वर्ष काम करने की स्थिति में हों आदि।
पांच वर्षों बाद उन लोगों ने अवतार-आई-विन (अंतरिम महिला प्रबंधन अंतरा फलक नेटवर्क) की स्थापना की, जिसकी शुरुआत महिलाओं के लिए दीर्घकालिक रोजगार सृजन के उद्देश्य से की गयी। अवतार-आई-विन को मूर्त रूप देने में उनके अपने अनुभव ही सर्वाधिक प्रबल उत्प्रेरक थे, जिन्हें उन्होंने अपने करियर के प्रारंभिक दिनों में हासिल किया था। आज अवतार-आई-विन एक सामाजिक उपक्रम- फ्लेक्सी करियर इण्डिया- के रूप में विकसित हो चुका है। यह एक ऐसा संगठन है जो दीर्घकालिकता एवं विविधता के क्षेत्र में काम करता है। इसकी शुरुआत चेन्नई की सिर्फ लगभग 200 महिलाओं से हुई थी, परन्तु आज भारत भर में इसके लगभग 27,000 सदस्य फैले हुए हैं।
अपने प्रारंभिक वर्ष में फ्लेक्सी ने द्वितीय-रोजगार-महिलाओं के लिए सेग्यू (एस.ई.जी.यू.ई.) सत्र के नाम से एक कौशल विकास उपक्रम का सृजन किया जिसने अद्यावधि 3500 महिलाओं पर अपनी छाप छोड़ी है। अनेक संगठनों ने द्वितीय रोजगार महिलाओ (काम पर वापस लौटने वाली महिलाओं) से मेहनताने पर काम लेना शुरु किया है और रोजगार में वापस लौटने वाली महिलाओं को मेहनताने पर रखने हेतु द्वितीय रोजगार पर केन्द्रित कार्यक्रम आरंभ किया है।
फ्लेक्सी के प्रारंभिक चरण में उसकी सेवाओं को लेकर कंपनियों का रवैया बहुत अच्छा नहीं था परन्तु इससे सुन्दरैया के कदम रुके नहीं। इस क्षण उसने सीएसआर रणनीति के रूप में, बहाली की रणनीति के रूप में या रगड़ से बचाव की रणनीति के रूप में ग्राहकों को महिला कार्यबल उपलब्ध करा कर अपना ध्यान अपने ग्राहकों की जरूरतों पर केन्द्रित किय।
फ्लेक्सी करियर इण्डिया की सेवाओं ने भारतीय कार्यस्थलों पर लिंग संतुलन के मामले में ऐसी आश्वस्ति प्रदान की है कि संगठन महिलाओं को दीर्घावधि निवेश के रूप में देखने लगे हैं। फ्लेक्सी ने भारत भर के संगठनों में 3,000 से अधिक महिलाओं को अंशकालिक, नम्यकालिक और पूर्णकालिक कामों पर पदस्थापित किया है। इनमें वे महिलाएँ भी शामिल हैं जिन्होंने अपना रोजगार बीच में ही छोड़ दिया था।
साथ ही उसने अपने बाजार को शिक्षित करना भी शुरु कर दिया है। सुन्दरैया कहती हैं,
‘‘फरवरी 2013 में जब हमने संगठनों की विविधता और समावेशी पद्धतियाँ विषय पर एक अध्ययन संचालित किया तो पाया कि कंपनियों की धारणा बदल चुकी है और आज कंपनियाँ कार्यस्थल पर बाजार को प्रतिबिम्बित करने के माध्यम के रूप में तथा दीर्घकालिक प्रतिभा के खजाने के रूप में और अधिक महिलाओं की माँग करते हैं। आज भारत के विकास के लिए प्रतिभा समय की जरूरत है। और महिला प्रबंधन प्रतिभा, जो भारत के मानव पूँजी का 50 प्रतिशत है, को नजरंदाज नहीं किया जा सकता।’’
सुन्दरैया एक स्वाभिमानी सामाजिक उद्यमकत्र्ता हैं जिन्हें अपने काम पर गर्व है। उनका विश्वास है,
‘‘सामाजिक उद्यम देने के पहलू पर फलता-फूलता है। सामाजिक क्षेत्र को और अधिक अपौरुषेय दाता स्त्री-पुरुषों की जरूरत है। यदि आप सकारात्मक परिर्वतन लाने को सिद्दत से महसूस करते हैं और इससे एक राजस्व माॅडल भी बना सकते हैं तब आप अपने कर्मचारियों और देश को ही सीधे लाभ नहीं पहुँचाते बल्कि आप के श्रोता भी इससे भारी लाभ उठाते हैं।’’
आज सुन्दरैया अपने पेशेवर तथा व्यक्तिगत जीवन, दोनों के साथ कमाल कर रहीं हैं। वह बताती हैं कि आनेवाला कल उन्हें प्रेरणा देता रहता है। उनका विश्वास है कि सोद्देश्य कार्य के लिए हमारी हर कोशिश भविष्य में हमें समृद्ध परिणाम देती है।
‘‘मैं पत्नी, पुत्री, पुत्रवधू, माँ, उद्यमी, टीमनिर्माता और मित्र के रूप में जो इतनी सारी भूमिकाएँ निभाती हूँ, वे मुझे जीवन में नये आयाम प्रदान करती हैं। प्रत्येक भूमिका मुझे परिभाषित करती है और मुझमें नयी उर्जा का सृजन करती है। मेरा जीवन अनेक अवतारों वाला एक तरल धारा है जो बाहर-भीतर बहती रहती है, इसमें कोई जलरूद्ध खाना नहीं है।"