"सही आर्थिक सुधार वही जो लोगों के जीवन में बदलाव लाए, सब्सिडी समाप्त नहीं होंगी पर इन्हें सही लक्ष्य तक पहुंचाया जायेगा"
लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाले सुधारों को आगे बढ़ाने का वादा करते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सरकार सब्सिडी समाप्त नहीं करेगी बल्कि उन्हें तर्कसंगत बनाकर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने की लक्षित व्यवस्था के साथ आगे बढ़ेगी।
उन्होंने संसाधनों के आवंटन में दक्षता लाने और नागरिकों की प्रगति के लिये संभावनायें पैदा करने का वादा करते हुये कहा कि बेवजह के नियंत्रणों और विकृति को समाप्त किया जायेगा।
प्रधानमंत्री ने ‘इकोनोमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस समिट’ को संबोधित करते हुये कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सभी तरह की सब्सिडी अच्छी हैं। मेरा कहना है कि इस तरह के मामलों में कोई सैद्धांतिक स्थिति नहीं अपनाई जा सकती। हमें प्रगतिशील होना चाहिये। हमें बेकार सब्सिडियों को समाप्त करना चाहिये, चाहे वह सब्सिडी है या नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन कुछ सब्सिडी ऐसी हैं जो कि गरीब और जरूरतमंद के लिये जरूरी हो सकती हैं, उन्हें सफल होने के लिये उचित मौका मिलना चाहिये। इसलिये मेरा उद्देश्य सभी सब्सिडी को समाप्त करना नहीं है बल्कि उन्हें तर्कसंगत और सीधे लक्ष्य तक पहुंचाना है।’’ प्रधानमंत्री ने अर्थशास्त्रियों और उद्योगपतियों के मामले में चुटकी लेते हुये कहा कि उद्योगों को जब कुछ दिया जाता है तो उसे प्रोत्साहन अथवा आर्थिक सहायता कहा जाता है जबकि किसानों को दी गई सहायता को अपमानजनक तरीके से सब्सिडी कहा जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमें अपने आप से यह पूछना चाहिये कि भाषा का यह अंतर क्या हमारी प्रवृति को भी दर्शाता है? ऐसा क्यों होता है कि जब कोई सब्सिडी, संपन्न लोगों को दी जाती है तो उसका चित्रण बड़े ही सकारात्मक तरीके से किया जाता है? मोदी ने कहा कि करदाता कंपनियों को दिये जाने वाले विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहनों से 62,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होता है जबकि लाभांश और शेयर बाजारों में होने वाले शेयर कारोबार पर दीर्घकलिक पूंजीगत लाभ को आयकर से पूरी तरह से छूट मिली हुई है। हालांकि, ये लोग गरीब नहीं हैं जो कि यह कमाई करते हैं।
उन्होंने कहा कि दोहरे कराधान से बचने की संधियां कुछ मामलों में दोनों तरफ कर नहीं चुकाने की तरफ फलीभूत होती हैं। उन्होंने कंपनियों को दिये जाने वाले प्रोत्साहन में 62,000 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का जो आकलन किया है, दोहरे कराधान की छूट से होने वाला लाभ इसमें शामिल नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जो लोग सब्सिडी में कटौती की बात करते हैं वह इस बारे में कोई जिक्र नहीं करते हैं। शायद इन रियायतों को निवेश के लिये प्रोत्साहन के तौर पर माना जाता है। मुझे इसमें आश्चर्य नहीं होगा यदि उर्वरक सब्सिडी को ‘कृषि उत्पादन के लिये प्रोत्साहन’ का नया नाम दिया जाता है, कुछ विशेषज्ञ इसे अलग तरीके से देखेंगे।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि जनधन योजना के जरिए बैंकिंग सुविधाओं तक वैश्विक पहुंच से सब्सिडी में भारी दुरुपयोग रोकने में मदद मिली है। रसोई गैस पर सब्सिडी अब सीधे उपयोक्ताओं के बैंक खातों में जा रही है जिससे कई फर्जी कनेक्शन खत्म हुए हैं।
साथ ही स्वेच्छा से गैस सब्सिडी छोड़ने के उनके आह्वान पर 65 लाख लोगों ने सब्सिडी लेनी छोड़ दी है। मोदी ने कहा, ‘‘इससे वे लोग सब्सिडी के लाभार्थी बनेंगे जिन्हें इसकी जरूरत है। इसी तरह का प्रयोग केरोसिन के लिए शुरू किया जा रहा है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इसके स्पष्ट प्रमाण हैं कि बड़ी मात्रा में केरोसिन सब्सिडी का दुरुपयोग किया जाता है। हमने 33 जिलों में एक पायलट परियोजना शुरू की है जहां केरोसिन को बाजार भाव पर बेचा जाएगा और मूल्य अंतर गरीबों के खातों में डाला जाएगा।’’ ‘‘हमने निर्णय किया है कि इससे हुई बचत का 75 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को दिया जाएगा। इस प्रकार से हमने राज्य सरकारों को इसे सभी जिलों में लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
चंडीगढ़ में चलाई गई एक पायलट परियोजना के बारे में उन्होंने कहा कि अप्रैल, 2014 में चंडीगढ़ में 68,000 लाभार्थी सब्सिडी वाला केरोसिन उपयोग कर रहे थे। सभी पात्र परिवारों को गैस कनेक्शन जारी करने के लिए एक अभियान चलाया गया। 10,500 नए गैस कनेक्शन जारी किए गए। जिन 42,000 परिवारों के पास पहले से गैस कनेक्शन था, उनके लिए केरोसिन का कोटा रोक दिया गया। 31 मार्च तक चंडीगढ़ को केरोसिन मुक्त घोषित कर दिया जाएगा।
मोदी ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है और एक दूसरे से जुड़ी आज की दुनिया में एक यदि कोई कदम उठाता है तो दूसरे पर उसका प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ दुनिया के कई हिस्सों में आर्थिक सुस्ती का दौर जारी है वहीं भारत पिछली चार तिमाहियों में दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश रहा है।
भारत खरीद क्षमता के मामले में दुनिया की जीडीपी में 7.4 प्रतिशत का योगदान करता है। भारत दुनिया की वृद्धि में 12.5 प्रतिशत योगदान करता है जो कि उसके हिस्से के मुकाबले 68 प्रतिशत अधिक है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र में जब से राजग की सरकार सत्ता में आई है आर्थिक वृद्धि बढ़ी है और मुद्रास्फीति कम हुई है। विदेशी निवेश बढ़ा है और राजकोषीय घाटा कम हुआ है। वैश्विक व्यापार में सुस्ती के बावजूद भुगतान संतुलन घाटे में भी कमी आई है।
मोदी ने कहा कि जब वैश्विक स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश :एफडीआई: कम हुआ है, भारत में पिछले 18 माह के दौरान इसमें 39 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि सही आर्थिक सुधार वहीं हैं जो कि लोगों के जीवन में बदलाव लाते हैं। ‘‘जैसा कि मैंने पहले कहा है कि मेरा लक्ष्य बदलाव के लिये सुधारों को आगे बढ़ाना है।’’ उन्होंने प्राकृतिक और मानव संसाधन के बेहतर इस्तेमाल पर जोर देते हुये कहा कि संसाधनों के आवंटन में दक्षता और नागरिकों की प्रगति के लिये नये अवसर सृजित किये जाने चाहिये। इसके साथ ही आम नागरिक के जीवन स्तर में भी सुधार आना चाहिये।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार इस साल 10,000 किलोमीटर राजमार्ग परियोजनाओं के ठेके देने का लक्ष्य लेकर चल रही है। वर्ष 2013-14 में पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के कार्यकाल में 3,500 किलोमीटर राजमार्ग परियोजनाओं के लिए ठेके दिए गए थे।
अवसरों में सुधार पर उन्होंने कहा कि बैंकिंग सुविधाओं से वंचित 20 करोड़ से अधिक लोगों को जनधन योजना के अंतर्गत बैंकिंग प्रणाली के दायरे में लाया गया है और इनके खातों में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि जमा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ उद्यमशीलता भारत की पांरपरिक ताकतों में से एक है। कुछ साल पहले इसे नजरअंदाज किया जाता रहा। ‘कारोबार’ और ‘लाभ’ खराब शब्द बन गए थे। हमें उपक्रम और कठिन मेहनत के महत्व को तवज्जों देना चाहिए न कि संपत्ति को।’’ मोदी ने कहा कि भारत में कई पुराने और अनावश्यक कानून रहे जो लोगों और कारोबारियों के रास्ते बाधा बनते रहे हैं। ‘‘ हमने ऐसे कानूनों की पहचान करना और उन्हें समाप्त करना शुरू किया। ऐसे 1,827 कानूनों की पहचान की गई है जिनमें से 125 को पहले ही समाप्त किया जा चुका है। 758 अन्य ऐसे विधेयकों को लोकसभा पारित कर चुका है और राज्यसभा में इन्हें पारित किया जाना है।’’
पीटीआई