16 साल का यह बच्चा किसानों को कीटनाशक के बारे में कर रहा जागरूक
रोहन ने फैसला लिया कि उसे इन किसानों के लिए कुछ करने की जरूरत है। उसने अपने स्कूल के बेहद बिजी शेड्यूल में से थोड़ा समय निकाला और खुद को कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षित करने लगा।
रोहन किसानों को कीटनाशकों के कई खतरों के बारे में शिक्षित कर रहा है। उसने एक ऐसी शैक्षिक किट तैयार की है, जिसमें उसने किसानों को मुफ्त में 500 मास्क वितरित किए हैं। रोहन ने हाल ही में गुजरात के पाटन जिले में कुवरा और वाग्दोड गांवों का दौरा किया था।
जहां एक तरफ उसके दोस्त कैफे में बैठकर मौज मस्ती कर रहे हैं, कोई स्मार्टफोन पर लगा है तो कोई कहीं और लेकिन अहमदाबाद इंटरनेशनल स्कूल का 16 वर्षीय छात्र रोहन पारेख किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए बेहद खास काम कर रहा है। रोहन की उम्र भले ही कम हो लेकिन उसके हौंसले काफी बुलंद हैं। एक बार महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित विदर्भ क्षेत्र के यवतमाल जिले में खेतों में जहरीले कीटनाशकों का छिड़काव करते समय संक्रमण से 20 किसानों की मृत्यु हो गई थी जबकि 25 किसानों ने अपनी दृष्टि खो दी थी। इस घटना ने रोहन को इस कदर प्रभावित किया कि उसने किसानों की मदद का बीड़ा उठाया।
रोहन ने फैसला लिया कि उसे इन किसानों के लिए कुछ करने की जरूरत है। उसने अपने स्कूल के बेहद बिजी शेड्यूल में से थोड़ा समय निकाला और खुद को कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षित करने लगा। इसका नतीजा एक बड़ा अभियान बनकर निकला। जिसके तहत रोहन किसानों को कीटनाशकों के कई खतरों के बारे में शिक्षित कर रहा है। उन्हें सावधानी से इनका उपयोग करने का तरीका बता रहा है। इस अभियान के तहत रोहन ने एक शैक्षिक किट तैयार किया जिसमें उसने किसानों को मुफ्त में 500 मास्क वितरित किए हैं। रोहन ने हाल ही में गुजरात के पाटन जिले में कुवरा और वाग्दोड गांवों का दौरा किया था। जो कीटनाशकों का उपयोग करने के सही तरीके से प्रदर्शित प्लैकार्ड और बैनर के शैक्षणिक किट से लैस हैं।
स्थानीय गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के साथ काम करते हुए रोहन ने किसानों से कीटनाशकों के स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में बात की। रोहन ने किसानों के सामने फेस शील्ड (चेहरे ढाल), सुरक्षा चश्मा, हार्ड टोपी, सुरक्षा जूते, चश्मे, रबड़ के दस्ताने और कानप्लॉग के नमूने दिखाए जो उनके लिए सुरक्षात्मक गियर के रूप में काम कर सकें। किसानों को निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) के उपयोग के बारे में बताते हुए रोहन ने जोर देकर कहा कि कीटनाशकों जैसे रसायनों के संपर्क से शरीर को बचाने के लिए सही कपड़ों और उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
रोहन मुख्य रूप से पीपीई के रासायनिक प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले तीन कारकों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जिसमें- कीटनाशकों के रासायनिक गुणों, एक्सपोजर का समय और जोखिम स्थिति। साथ ही वह किसानों को केवल प्रमाणित कीटनाशकों का इस्तेमाल करने पर भी जोर दे रहा है। यही नहीं वह किसानों से कीटनाशक लेबल को पढ़ने के लिए भी कहता है जिस पर किसी खास रसायन के सही इस्तेमाल की पूरी जानकारी दी गई होती है।
कैसे कीटनाशकों शरीर में प्रवेश करते हैं?
रोहन ने बताया कि कीटनाशक तीन मुख्य मार्गों के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं: त्वचा, आँख और नाक। इसके प्रभाव से बचने के लिए पीपीई को विशेष तौर पर डिजाइन किया गया है। लंबी बाजू वाली शर्ट और दस्ताने, हाथों की त्वचा को जोखिम से बचाते हैं। मास्क श्वसन तंत्र फेफड़ों की रक्षा करता है जबकि सुरक्षात्मक चश्मा आंखें की। रोहन ने इस पर भी काम किया है कि किसनों को कीटनाशकों का इस्तेमाल करते समय क्या करना चाहिए और क्या नहीं। जैसे-
1) स्प्रे टैंक को भरते समय सावधान रहें और ध्यान दें कि कीटनाशक नोजल से बाहर न निकले।
2) कीटनाशक के कंटेनरों में भोजन या पानी को न रखें।
3) केवल हवा की दिशा में स्प्रे करें
4) नोजल को शुद्ध करने के लिए हवा न फूंके।
5) कीटनाशकों के छिड़काव के दौरान खाना या धूम्रपान न करें।
6) बच्चों को स्प्रे करने की अनुमति न दें।
7) छिड़काव करने वाली जगह पर खाने की चीजें न रखें।
8) स्प्रे करने के बाद भोजन और धूम्रपान से पहले अपने हाथों और चेहरे को धो लें।
उपरोक्त के अलावा किसानों को ये भी यह जानना होगा कि इनके द्वारा कीटनाशकों का उपयोग करने के बाद निम्नलिखित बातों को नहीं भूलना चाहिए-
1) धुलाई की देखभाल: छिड़काव के बाद कपड़े निकालें और उन्हें तुरंत धो लें या फिर इन कपड़ों को परिवार के कपड़े धोने से अलग धो लें। दूषित कपड़ों को धोने के दौरान भी रासायनिक प्रतिरोधी दस्ताने पहनना महत्वपूर्ण है।
2) कीटनाशकों का निपटान: रोहन ने बताया कि सचित्र किट के उपयोग के बाद कंटेनर को साफ करें, नियमित रूप से ठोस अपशिष्ट को नष्ट कर दें।
किसानों के साथ रहने के दौरान रोहन ने सीखा कि उनमें से कुछ सुरक्षात्मक गियर के महत्व का एहसास कर रहे हैं। रोहने बताते हैं कि एक 90 वर्षीय एक किसान का कहना था कि, "रोकथाम इलाज से बेहतर है।" रोहन वर्तमान में एक वीडियो प्रजेंटेशन पर काम कर रहे हैं जो कीटनाशकों के उपयोग के सभी पहलुओं को कवर कर रहा है।
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