सीखें सफल एंटरप्रन्योर बनने के गुर, वेंकटस्वामी की जिंदगी से
- वेंकट स्वामी ने सन 1976 में की अरविंद आई केयर अस्पताल की शुरुआत।- नेत्र रोगियों का होता है बहुत कम दाम में इलाज।- वेंकट स्वामी का नाम है भारत के सफल सोशल एंटरप्रन्योर की क्षेणी में शामिल।
जब किसी व्यक्ति की समाज सेवा की चाह उसका मिशन बन जाती है तो वह कई लोगों की जिंदगी में उजाला भर देती है। उससे पूरा समाज प्रभावित होता है और साथ ही समाज में यह सकारात्मक संदेश भी जाता है कि हमें जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा ततपर रहना चाहिए।
वेंकट स्वामी एक ऐसे ही व्यक्ति हैं जिन्होंने सन 1976 में अरविंद आई केयर अस्पताल की शुरुआत की और नेत्र रोगियों की मदद करना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना दिया।
आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में 45 मिलियन लोग नेत्रहीन हैं और उनमें से 12 मिलियन लोग भारत में हैं। लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि 80 प्रतिशत नेत्र संबंधी समस्याओं का समाधान संभव है। लेकिन सही जानकारी न होने के कारण इनका इलाज सही समय पर नहीं हो पाता। अरविंद आई केयर अस्पताल में काफी कम दाम में लोगों का इलाज किया जाता है। अस्पताल का मकसद लोगों को नेत्र रोगों से मुक्त करना है। केवल मुनाफा कमाना इनका मक्सद नहीं है। यही वजह है कि गरीब लोग जोकि महंगा इलाज नहीं करवा पाते वे अपनी आंखों का इलाज कराने के लिए यहीं आते हैं।
सन 1976 में जब जी वेंकट स्वामी 58 वर्ष के थे तब उन्होंने तमिलनाडु के मधुरई में 11 विस्तर का एक छोटा सा आई सेंटर खोला, आज उनका यह प्रयास लाखों लोगों की जिंदगी में उजाला ला चुका है। वेंकट स्वामी की मृत्यु को 10 वर्ष हो चुके हैं लेकिन आज भी लोग उनके प्रयासों की सराहना करते नहीं थकते। उनका नाम भारत के सफल सोशल एंटरप्रन्योर की क्षेणी में आता है।
यदि आप भी एक सफल सोशल एंटरप्रन्योर बनना चाहते हैं तो निम्न बातों पर सदैव ध्यान दीजिएगा।
1 - आकांक्षा रिसोर्सेज से हमेशा बड़ी होती है -
मात्र 11 बेड से शुरूआत करके भारत के सबसे सफल सोशल एंटरप्रन्योर बनना बहुत कुछ सिखाता है। वैंकट स्वामी के पास कोई खजाना नहीं था और ना ही कोई बिजनेस प्लान, उन्होंने हर दिन कुछ सीखा और समय के हिसाब से प्लान बनाते चले गए। उनकी इच्छा कुछ अच्छा करने की थी ऐसे में कम रिसोर्सेज को उन्होंने आगे नहीं आने दिया। जब 11 बेड कम पड़े तो उन्होंने एक-एक करके बेड की संख्या बढ़ानी शुरू की। जब कमरे कम पड़े तो नए कमरे बनवाए। जब अस्पताल छोटा पड़ा तो एक बड़ा अस्पताल बनवाया। फिर जब बाकी देशों में भी अस्पताल की जरूरत महसूस हुई तो वहां भी अस्पताल बनवाए। अर्थात उन्होंने कभी समझौता नहीं किया।
2 - जिम्मेदारी लीजिए और उसे पूरा कीजिए -
एक सफल सोशल एंटरप्रन्योर के लिए जरूरी है कि वो जिम्मेदारी ले और फिर जो गलत हो रहा है उसे ठीक करने की जिम्मेदारी उठाए। केवल गलत को गलत कह देना काफी नहीं, उसे ठीक करने की दिशा में भी काम करना होगा। वैंकट स्वामी ने भी ऐसा ही किया और वे किसी और के भरोसे नहीं रहे। खुद अपने प्रयास से मरीजों की मदद की। वे नेत्रहीनों की जिंदगी में बदलाव लाना चाहते थे और उन्होंने अपनी मेहनत से ऐसा करने में सफलता भी पाई।
3 - मार्गदर्शक बनके भूमिका निभाने की जरूरत -
कई लोग अच्छा करने की इच्छा अपने मन में रखते हैं लेकिन उनकी यह इच्छा बस इच्छा बनकर ही रह जाती है। आपको अगर एक सफल सोशल एंटरप्रन्योर बनना है तो वेंकट स्वामी की तरह एक सफल लीडर बनकर मुहिम चलानी होगी। लोग आपको फॉलो करें क्योंकि इतिहास गवाह है कि एक सफल लीडर ही दुनिया में बदलाव ला सकता है। आपकी दूरदृष्टि होनी चाहिए और सबको साथ लेकर चलने की क्षमता भी।
4 - कंपनी को अच्छी से सर्वश्रेष्ठ बनाना -
वैंकट स्वामी ने एक अच्छी शुरूआत को एक सर्वश्रेष्ठ प्रयास में बदला। यह उनका विजन, लगन और क्षमता ही थी की वे ऐसा कर पाए। एक सफल एंटरप्रन्योर को भी सफल या अच्छी को सर्वश्रेष्ठ बनाने की कला आनी चाहिए। जरूरी नहीं कि आपके पास सारे संसाधन हों। जरूरी नहीं कि आपको सबसे मदद मिले लेकिन आपके अंदर यह क्षमता होनी चाहिए की तमाम दिक्कतों के चलते भी आप काम कर सकें। ऐसे में आपका सकारात्मक होना भी बेहद जरूरी है।
5 - पैसे का नहीं लोगों की मदद करना हो जुनून -
एक सफल सोशल एंटरप्रन्योर के लिए जरूरी है कि वो पैसे के पीछे ना भागे बल्कि लोगों की जो भी मदद हो वो करे। उसे पैसे से कम और अपने काम से ज्यादा प्यार होना चाहिए। वैंकट स्वामी ने भी सदैव यही किया जो भी उनके पास आता वो उसका इलाज करते, इस बात का ध्यान नहीं देते थे कि मरीज के पास देने के लिए फीस है भी या नहीं। उन्होंने मरीजों की सेवा को ही अपना धर्म बना लिया था और बस काम में लगे रहे। इसके अलावा वैंकट स्वामी ने मरीजों में कभी भेदभाव नहीं किया जो भी उनके पास आया चाहे वह अमीर हो या गरीब, उनके यहां सबका इलाज हुआ।