लंदन में साथ पढ़ने वाली दो सहेलियों ने मिलकर भारत में शुरू किया ‘द कलर्ड ट्रंक’
अगर हम वर्ली के एक घर से संचालित हो रहे उस कार्यालय को हृदय के रूप में देखें तो हमारा सारा ध्यान उस कंपनी में जीवन और रक्त का संचार करने वाली दो सबसे महत्वपूर्ण और नाजुक धमनियों पर जाकर टिक जाता है। हो सकता है कि त्रिशला मेहता और यशनी कोठारी नामक इन दो युवा और ऊर्जा से भरपूर जिगरी सहेलियों की इस जोड़ी को देखकर आपको ऐसा लगे कि कि ये एक अच्छा समय बिताने के लिये लगातार पार्टियों इत्यादि का रुख करती होंगी। लेकिन फिलहाल अच्छे समय को लेकर इनकी विचारधाारा औरों से बिल्कुल अलग है और ये एक व्यवसाय का निर्माण करते हुए उसे किसी की भी कल्पनाशक्ति से अधिक विकास करते हुए देखना चाहती हैं।
लंदन काॅलेज आॅफ फैशन में फैशन के विभिन्न क्षेत्रों का अध्ययन करने के दौरान एक ही कमरे में रहने वाली त्रिशला और यशनी को देखकर ऐसा लगता था कि ये दोनों एक दूजे के लिये ही बनी थीं। एक दूसरे के साथ रहना इन दोनों के भीतर से सर्वश्रेष्ठ बाहर लाने में सफल रहा और ये दोनों कोर्स के दौरान सीखते हुए विकसित और संपन्न होने में कामयाब रहीं।
पुराने समय को याद करते हुए त्रिशला कहती हैं, ‘‘लंदन में एक वर्ष तक यशनी के साथ रहने और उसे जानने के दौरान हम दोनों एक दूसरे की आदतों इत्यादि से रूबरू हो गए। खाना पकाने, साफ-सफाई, लाँड्री और देर रात चलने वाली बातचीत से हमारे संबंध और भी अधिक प्रगाढ़ हो गए। हमारे बीच की अनुकूलता और सामंजस्य ने हमें यह समझाने में मदद की कि हम मिलकर एक अच्छी टीम के रूप में काम करते हुए सफल हो सकते हैं।’’
परस्नातक के लिये किये जा रहे अनुसंधान के दौरान उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि बाजार में अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों का निर्माण करने वाले उन फैशन डिजाइनरों के लिये विस्तार की असीम संभावनाएं है जो अपनी पहुंच को किन्हीं कारणों के चलते सिर्फ चुनिंदा और अपनी पसंद के सामाजिक दायरे और उपभोक्ताओं तक सीमित किये हुए हैं। त्रिशला कहती हैं, ‘‘उन्हें अपने काम को उपभोक्ताओं के एक बड़े वर्ग तक पहुंचाने की आवश्यकता थी और ऐसा सिर्फ एक डिजिटल मंच के माध्यम से ही करना संभव था। और बिल्कुल स्वाभाविक रूप से मैंने इस विचार को एक आकार और रूप देने के क्रम में यशनी का रुख किया।’’
इसके बाद काॅफी और रात्रिकालीन भोजन के दौरान होने वाले वार्तालापों के दौर ने इस विचार को और अधिक सकारात्मक बल दिया और वे इस बात को लेकर काफी आश्वस्त थीं कि वे कुछ बड़ा करने की ओर अग्रसर हैं। वे आगे कहती हैं, ‘‘हम एक बिल्कुल अलग और बाजार पर राज करने वाला फैशन व्यापार स्थापित करना चाहते थे। फैशन के क्षेत्र में प्रमाणिकता और रचनात्मकता नींव के पत्थर हैं और हमारे लिये ये प्रतिभाशाली और उभरते हुए फैशन और जीवनशैली डिजाइनर वहीं भूमिका निभा रहे हैं।’’
यशनी कहती हैं, ‘‘इस काम को करने का सबसे बेहतरीन तरीका यही था कि एक ऐसा पारदर्शी पारिस्थितिकीतंत्र का निर्माण किया जाए जहां पर डिजाइनर और उपभोक्ता खरीद-बिक्री की बातों को पीछे छोड़ते हुए आमने-सामने आने के अलावा आपस में विचार-विमर्श कर सकें और एक-दूसरे के तौर-तरीकों और पसंद-नापंस से रूबरू हो सकें। और इसी क्रम में ‘द कलर्ड ट्रंक’ (The Coloured Trunk) की अवधारणा अमली जामा पहनने में सफल रही। इस काम में अपने विश्वास के चलते ही हम दोनों इतना आत्मविश्वास जगाने में कामयाब रहीं कि हमने अपनी अच्छी-खासी तनख्वाह वाली नौकरियों को भी अलविदा कहने की हिम्मत की।’’
त्रिशला कहती हैं, ‘‘द कलर्ड ट्रंक की नींव रखने से पहले अधिकतर लोग हमें उद्यमिता के क्षेत्र में पांव न रखने की सलाह दे रहे थे। हमारे अधिकतर मिलने-जुलने वाले लोग हमारे एक सुरक्षित और अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी को छोड़कर व्यापार करने के कदम को बेवकूफी और बिना सोचे-समझे लिया गया निर्णय बता रहे थे।’’ हालांकि इन्हें प्रारंभिक दौर में कई बार वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि इन्होंने व्यवसाय प्रारंभ करने के लिये अपनी नौकरियों का अलविदा कह दिया था और इनके पास मौजूद सीमित बचत ही इनके पास मौजूद स्टार्टअप ईंधन था। बूटस्ट्रेपिंग के चलते इन्हें प्रारंभ में अपने घर से ही संचालन प्रारंभ करना पड़ा।
त्रिशला कहती हैं, ‘‘एक महिला होने के नाते हमसे उम्मीद की जाती है कि हम एक सुरक्षित करियर का चुनाव करते हुए कोई भी अपरंपरागत निर्णय न लें और उस हिसाब से तो अबतक हमें शादी के बंधनों में बंधकर घर-गृहस्थी संभलने में लग जाना चाहिये था। हालांकि हमारे दोनों के परिवार वालों ने पूरी तरह से हमारा साथ देते हुए समर्थन किया और इस साहसिक कदम को लेने के क्रम में आवश्यक प्रोत्साहन देते हुए हमारे फैसले में विश्वास दिखाया।’’
एक बहुत पुरानी अवधारणा है कि एक सफल महिला बनने के लिये आपको झुंड में ‘आदमी’ की भूमिका निभानी पड़ती है। लेकिन त्रिशला और यशनी इस पुराने सिद्धांत को झुठलाने के लिये आवश्यक एक जीता-जागता उदाहरण हैं। नफरत करने वाले नफरत करते रहे और शक करने वाले शक करते रहे लेकिन इन्होंने अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता से उन सबकी बोलती बंद कर दी।
त्रिशला कहती हैं, ‘‘फैशन एक महिला केंद्रित उद्योग है। अपनी उम्र को देखते हुए हमें अपने आपको साबित करना था क्योंकि अक्सर लोग बड़ी उम्र की महिलाओं को गंभीरता से लेते हैं। अक्सर लोग हमें काॅलेज में पढ़ने वाले ऐसे छात्रों के रूप में देखते हैं जिन्होंने जोश-जोश में आकर एक ब्लाॅग प्रारंभ किया हो और इसी वजह से हमें अधिक मुखर होते हुए लोगों को यह समझाना पड़ता है कि हम सिर्फ व्यापार करने आए हैं।’’
यशनी कहती हैं, ‘‘हमनेें अपने लिये बहुत ही उच्च स्तर के मानक तय किये हैं और उन्हें पाने के लिये हम जमीन-आसमान एक करने को तैयार रहते हैं। हम संगठित अराजकता में विश्वास रखने वाले हैं क्योंकि चीजें और स्थितियां हमेशा ही बेहद व्यस्त और अराजक होती हैं लेकिन उन्हें संयोजित करके हम प्रतिदिन आगे बढ़ते रहते हैं।’’
सिर्फ चार महीने पहले ही संचालन प्रारंभ करने वाले द कलर्ड ट्रंक के पास देशभर के 100 से भी अधिक उभरते हुए डिजाइनरों और ब्रांडों और 8 हजार से भी अधिक उपभोक्ताओं की एक पूरी फौज है जिसे उन्होंने विभिन्न सोशल मीडिया पेजों के माध्यम से खड़ा किया है। फिलहाल ये 190 प्रतिशत प्रतिमाह की दर से वृद्धि कर रहे हैं और इनकी एक बिल्कुल नई वेबसाइट 22 अक्टूबर को ही प्रारंभ की गई है। इसके अलावा इनका इरादा आने वाले दिनों में उद्योग और उपभोक्ता को आमने-सामने लाने वाली एक प्रयोगात्मक प्रतियोगिता आयोजित करने के अलावा एक निःशुल्क डाउनलोड होने वाली इन-हाउस फैशन पत्रिका भी प्रारंभ करने का है।
‘‘भविष्य की ओर देखने पर हम स्वयं को एक फैशन प्लेटफाॅर्म से कहीं आगे खड़ा पाते हैं और हम खुद को एक एग्रीगेटर के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। शायद एक एक्सीलरेटर या इंक्यूबेटर जो डिजाइन की उभरती हुई प्रतिभा को आवश्यक रचनात्मक की आपूर्ति करने में सफल हो।’’