बनायें हर दिन नया
वर्तमान जीवनशैली ने हमें हर सुख-सुविधा प्रदान की है, लेकिन हमारी मानसिक शांति और सुकून छीन लिया है। देखा जाए तो ज़िंदगी उतार-चढ़ाव का दूसरा नाम है और ऐसे में ज़रूरत है इन उतार चढ़ाव का सामना करने की।
"सुख-दुख तो आते जाते रहते हैं, लेकिन इंसान का इन्हें देखने का नज़रिया अलग-अलग होता है। यही वजह है कि ज़िंदगी के प्रति जिसका नज़रिया संतुलित रहता है, वह निर्विकार भाव से प्रत्येक उतार-चढ़ाव और सुख-दुख का सामना करता है और ये क्षमता इंसान के भीतर ही छिपी है, बस आवश्यकता है तो इस क्षमता को पहचानने और विकसित करने की।"
"यदि चींटी किसी दिशा में आगे बढ़ रही है और उसके मार्ग में कोई रुकावट आ जाये तो वह आगे बढ़ने का दूसरा रास्ता ढूंढ लेती है। चींटी के इस समर्पण और लगन से हम शिक्षा ले सकते हैं, कि कभी हार न मानते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए।"
मशहूर फिल्म अभिनेता देव आनंद का कहना था, कि "मैंने काम को ही पूजा समझा है। ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव मुझे कभी दुखी नहीं कर सके, क्योंकि मेरी ज़िंदगी का फलसफा रहा है- ग़म और खुशी में फर्क न महसूस हो जहां, मैं दिल को उस मकाम पर लाता चला गया।" इस संसार में एक भी व्यक्ति ऐसा पैदा नहीं हुआ है, जिसे पूर्ण निश्चिंतता के साथ सरल और शांतिपूर्ण जीवन यापन करने की सुविधा मिली हो। यदि ऐसा होता तो मानवीय बुद्धि का विकास संभव न होता। यह सोच ही अपने आप में अनुचित है, हमें अपनी सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा, लेकिन हमारे पास यदि उलझनों को सुलझाने का सही दृष्टिकोण हो तो कठिन और भयंकर दिखने वाली समस्याएं भी बात ही बात में सुलझती चली जाती हैं और हम खुद को ऊर्जावान व तरोताज़ा महसूस कर सकते हैं।
सकारात्मक विचार...
एवरेस्ट विजेता सर एडमंड हिलेरी ने कहा था, कि 'सफलता और प्रसन्नता दो ऐसे बीज है, जिन्हें फलने के लिए दृढ़ निश्चय व इच्छाशक्ति की खाद चाहिए होती है।' इसके विपरीत मैं यह नहीं कर पाऊंगा, यह मेरे लिए नहीं था जैसे नकारात्मक विचार आपकी महत्वाकांक्षा को समाप्त कर देते हैं। जिससे आपकी खुशी के पल निश्चित रूप से समाप्त हो जायेंगे।
सकारात्मक सोचने का अर्थ है, ऐसी बातों की अनदेखी करना, जो आपको और दूसरों को परेशान करती हैं। वर्तमान स्थितियों की शिकायत नहीं करनी चाहिए और भूतकाल की असफलताओं पर विलाप नहीं करना चाहिए। इससे भी अधिक बुरा तब होता है, जब आप भूतकाल की किसी असफलता को एस बात का प्रमाण मान लेते हैं, कि आप कभी सफल नहीं हो सकते। अपनी तुलना ऐसे लोगों से नहीं करनी चाहिए, जिन्होंने आपसे अधिक उपलब्धियां हासिल की हों।
हर दिन की शुरूआत नई हो...
प्रत्येक नए दिन का स्वागत इस विचार के साथ करें कि यह एक नई शुरूआत है। यह मेरा दिन है। यह मेरे हाथ में है कि मैं इसका सदुपयोग करूं या दुरुपयोग या फिर इसे व्यर्थ जाने दूं। इस तरह के सकारात्मक चिंतन से आप दिन भर चुनौतियों से लड़ने की ऊर्जा अपने भीतर संचित कर सकते हैं।
वर्तमान में रहना सीखें...
'ज़िंदगी के सफर में गुज़र जाते हैं जो मुकाम, वो फिर नहीं आते...' यह बात अतीत के संदर्भ में सौ फीसदी सच है। वहीं भविष्य अनदेखा अनजाना है, इसलिए भूत और भविष्य की चिंता छोड़कर वर्तमान पर ही अपना पूरा ध्यान केंद्रित करें, क्योंकि वर्तमान की नींव पर ही आपका भविष्य आश्रित है। ज़िंदगी को संपूर्णता से जीने और खुश रहने का मूलमंत्र तो यही है कि वर्तमान को भरपूर जीना सीखें। बीती हुई बात पर मगजमारी करके अपनी ऊर्जा व्यर्थ न जाया करें। किसी ने यदि कोई गलती की है, तो उसे क्षमा कर दें। क्षमा करने से हमारे मन को बहुत शांति मिलती है। बेहतर हो कि छोटे-मोटे मामलों में खुद को न उलझाएं।
बनिए कुशल समय प्रबंधक...
समय की कमी का रोना सभी के पास रहता है, पर कुशल प्रबंधन करके इसका सर्वोत्तम प्रयोग किया जा सकता है। याद रखें किसी के पास भी एक में 24 घंटे से ज्यादा और एक वर्ष में 365 दिनों से अधिक समय नहीं होता है। आपके पास भी दूसरों जितना ही समय है, अब आप पर निर्भर करता है, कि आप अपने जीवन की प्राथमिकताओं के आधार पर समय को कितने उपयोगी ढंग से बांट सकती हैं।
थोड़ा समय अपने लिए भी...
अपनी व्यस्त दिनचर्या में से कुछ समय अपने लिए अवश्य रखें। जिसको आप अपने हिसाब से बिता सकें। इस समय का सदुपयोग आप अपनी किसी हॉबी को पूरा करने में लगा सकते हैं या कोई भी नया हुनर सीखने या रचनात्मक कार्य करने में।
'ना' कहना सीखें...
आपकी सबसे पहली जिम्मेदारी खुद के प्रति है, इसके बाद ही आप किसी अन्य शख़्स के प्रति जिम्मेदार है, इसलिए जब आपको यह महसूस हो कि आप अपनी व्यस्तता या किसी अन्य वजह से किसी दूसरे के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर सकते तो विनम्रतापूर्वक उस शख्स को ना कहना सीखें और मना करने का कारण भी स्पष्ट रूप से बता दें। इस दुनिया में कोई भी तार्किक व्यक्ति आपकी इस बात का बुरा नहीं मानेगा।
सेहत का रखें ध्यान...
यदि आपका स्वास्थ्य अच्छा रहता है तो आपका मन जोश, चुस्ती-फुर्ती और ऊर्जा से लबरेज रहता है। यही नहीं सेहतमंद रहने से कार्यक्षमता भी बढ़ जाती है, इसलिए व्यायाम करें। सुबह, शाम मौका निकाल कर वॉक पर जायें। जब तक सेहत ठीक नहीं रहेगी, तब तक किसी काम को करने का मन नहीं करेगा। स्वस्थ्य शरीर ही स्वस्थ्य देश का निर्माण करता है।
यदि आप इन कुछ बातों का ध्यान रखेंगे, तो यकीनन कामयाबी के पथ पर आगे बढ़ेंगे और राह में आनेवाली हर बाधा से आसानी से निपट पायेंगे, क्योंकि कठिनाईयों को देखकर पीछे लौटना समझदारी नहीं बल्कि कठिनाईयों से सबक और अनुभव लेते हुए रास्ता बदल देना चाहिए।