क्या आप भी करते हैं शुगरफ्री का इस्तेमाल?
शुगर फ्री गोलियों यानि कि आर्टिफिशियल स्वीटनर्स, जिसका इस्तेमाल मधुमेह रोगी शक्कर के तौर करते हैं और आजकल तो जिन्हें मधुमेह नहीं होता वे भी करते हैं, कि कहीं मधुमेहकी प्रॉब्लम हो न जाये। शुगरफ्री मीठी होने के बावजूद मधुमेह के रोगियों में शुगर तो नहीं बढ़ाती लेकिन इसके अलग तरह के साइड इफेक्ट्स हैं। शुगरफ्री का सेवन करने से फायदा तो सिर्फ इतना है, कि ज़बान कुछ पल को मीठे का स्वाद चख लेती है, लेकिन कहीं मीठे का स्वाद चखने की तलब आपको किसी नई तकलीफ में तो नहीं डालने वाली?
शुगरफ्री सेहत के लिए अच्छा नहीं बल्कि बहुत खराब है। मधुमेह के रोगियों के लिए भोजन में मिठास भरने वाली शुगरफ्री शरीर में घोल रही है कड़वाहट, इसलिए संभल जायें।
एक शोध में इस बात का पता चला है कि कृत्रिम मिठास के प्रयोग से मधुमेह, हाई ब्लडप्रेशर और दिल संबंधी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसके अलावा इसके इस्तेमाल से वजन बढ़ने और मोटापे की चपेट में आने की भी संभावना होती है। ये सारी चीजें आगे चलकर गंभीर दिल संबंधी बीमारियों का कारण बन सकती हैं।
शुगर फ्री गोलियों यानि कि आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का इस्तेमाल मधुमेह रोगी शक्कर के तौर करते हैं। शुगरफ्री मीठी होने के बावजूद मधुमेह के रोगियों में शुगर तो नहीं बढ़ाती लेकिन इनके अलग तरह के साइड इफेक्ट्स हैं। शुगर फ्री गोलियों का मनमाना प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। हाई डोज़ में ये स्वीटनर्स लेने पर टॉक्सिक में तब्दील हो जाते हैं। ब्रेन को नुकसान पहुंचाते है। अगर आप भी अपने खाने-पीने की चीजों में आर्टिफिशियल स्वीटनर के इस्तेमाल के आदी हैं। अगर हां तो अब आपको संभल जाने की जरूरत है।
एक नए शोध में इस बात का पता चला है कि कृत्रिम मिठास के प्रयोग से मधुमेह, हाई ब्लडप्रेशर और दिल संबंधी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसके अलावा इसके इस्तेमाल से वजन बढ़ने और मोटापे की चपेट में आने की भी संभावना होती है। ये सारी चीजें आगे चलकर गंभीर दिल संबंधी बीमारियों का कारण बन सकती हैं।
"कनाडा की मानिटोबा यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि कृत्रिम मिठास के इस्तेमाल से लोगों के शरीर में पाचन क्रिया पर विपरीत असर पड़ता है। इसका प्रयोग आंतों में मौजूद बैक्टीरिया पर नकारात्मक असर डालता है जिससे भूख लगने की आदत प्रभावित होती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि स्वस्थ रहने के मकसद से लोग चीनी की जगह आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करते हैं। उनको यह नहीं पता होता है कि इसका प्रयोग मोटापे और दिल संबंधी बीमारियों को न्यौता दे सकता है।"
काफी मात्रा में प्रयोग में लाए जा रहे कृत्रिम मिठासों में एस्पार्टेम, सुक्रलोज और स्टेविया जैसे तत्व शामिल होते हैं।"
आर्टीफीशियल स्वीटनर के नुकसानदेह होने की वजहें
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आनुवंशिक रूप से संशोधित चीजों (जीएमओ) को परिभाषित किया है। डब्ल्यूएचओ का कहना है, कि जिन जैविक पदार्थों के डीएनए में अप्राकृतिक बदलाव किए गए हैं वे नुकसानदेह हैं। एरिथ्रिटॉल ऐसी ही एक चीज है, जो मकई को आनुवांशिक रूप से संशोधित कर तैयार किया जाता है इसलिए यह हानिकारक है। शोधकर्ताओं ने कहा, एरिथ्रिटॉल नाशपाती और तरबूज में प्राकृतिक तौर पर होता है। लेकिन खाद्य पदार्थों में इसे अलग से डालते हैं। उन्होंने कहा कि फलों में स्वाभाविक तौर पर पाया जाने वाला एरिथ्रिटॉल हानिकारक नहीं है, लेकिन जब अलग से खाद्य पदार्थों में इसको मिलाया जाता है तब यह हानिकारक हो जाता है।
आपको बीमार बना रहा है आपका शुगरफ्री
यह मेटाबॉलिज्म, बैक्टीरिया और एपेटाइट पर विपरीत असर डालते हैं। सिरदर्द, घबराहट, मितली, नींद कम आना और जोड़ों में दर्द आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के साइड इफेक्ट्स में शामिल हैं। लोगों यह मानना है कि इस स्वीटनर में कैलोरी बहुत कम होती है। इसके इस्तेमाल से वजन नहीं बढ़ता है। जबकि यह बिल्कुल गलत है।
शुगरफ्री के नाम से बिकने वाले इन स्वीटनर में कैलोरीज होती है। रोजाना सीमित मात्रा से ज्यादा इसका इस्तेमाल करने से बॉडी में कैलोरीज की मात्रा बढ़ जाती है। वजन घटने के बजाय बढ़ जाता है। यही नहीं, इसे ज्यादा लेने पर फूड कंजम्प्शन बढ़ने से वेट गेन होता है। जो लोग स्वास्थ्य संबंधी कारणों से चीनी से परहेज करते हैं उनके लिए मीठी चीजें तैयार करने में एरिथ्रिटॉल का उपयोग किया जाता है। जो लोग शुगर फ्री लेते हैं उनमें अपेक्षाकृत ज्यादा मोटापा देखा गया।
स्कूल से कॉलेज जाने वाले 75 फीसदी छात्रों का वजन बढ़ जाता है, जिसकी सबसे बड़ी वजह है उनका शुगर फ्री खाद्य पदार्थों के प्रति अधिक झुकाव।