Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

मौतें होती रहीं, बचपन थर्राता रहा

मौतें होती रहीं, बचपन थर्राता रहा

Wednesday August 16, 2017 , 6 min Read

गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में साठ से अधिक बच्चों की मौत से मचे कोहराम ने एक बार फिर हमारे देश की चिकित्सा व्यवस्थाओं पर गहरा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। इतना ही नहीं, गोरखपुर में विगत तीन दशकों से बड़ी संख्या में लगातार बच्चों की अकाल मौतें हो रही हैं। यहां शिशु मृत्यु दर के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े खुलासा करते हैं कि गोरखपुर में पैदा हुए 1000 बच्चों में से 62 बच्चे एक साल से पहले ही मर जाते हैं। बच्चों की ताजा मौतों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है। ताजा घटनाक्रम पर केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार की ओर से जांच बैठा दी गई है।

फोटो साभार: ndtv

फोटो साभार: ndtv


गोरखपुर में विगत तीन दशकों से बड़ी संख्या में बच्चों की अकाल मौतें हो रही हैं। यहां शिशु मृत्यु दर सबसे ज्यादा है। आंकड़े इतने चौंकाने वाले हैं, अगर गोरखपुर एक देश होता तो वह उन 20 देशों की जमात में शामिल होता जहां सबसे ज्यादा मृत्यु दर हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, 20 देशों में 44.5 लाख की आबादी वाला गोरखपुर शिशु मृत्यु दर के मामले में 18वें नंबर पर है। इन आंकड़ों ने साफ कर दिया है कि गोरखपुर ने पश्चिमी अफ्रीका के रिपब्लिक ऑफ गाम्बिया की जगह ले ली है। इस देश की आबादी 19.18 लाख है। वहीं गोरखपुर को टक्कर देने में 62.90 और 64.60 शिशु मृत्यु दर वाले जाम्बिया और साउथ सुडान हैं। 

गोरखपुर (उ.प्र.) के सरकारी हॉस्पिटल में 60 से अधिक बच्चों की दर्दनाक मौत ने पूरे देश का हृदय झकझोर दिया। स्वतंत्रता दिवस से कुछ ही दिन पहले हुई मर्मांतक अनहोनी ने ऐसा तूल पकड़ा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री से विपक्षी पार्टियां इस्तीफा मांगने लगीं। गौरतलब होगा कि लगभग दो दशक से गोरखपुर ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निर्वाचन क्षेत्र है। बताया जाता है कि अस्पताल में बच्चों की मौत का सिलसिला सात अगस्त से ही शुरू हो गया था। नौ अगस्त की आधी रात से 10 की आधी रात तक 23 बच्चों की जानें जा चुकी थीं। उनमें से 14 मौतें नियो नेटल वॉर्ड यानी नवजात शिशुओं को रखने के वॉर्ड में हुईं, जिसमें प्रीमैच्योर बेबीज़ रखे जाते हैं।

इस दौरान यहां के बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव मिश्र ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मीडिया के हाथों लगी एक चिट्ठी में खुलासा हुआ है कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने स्थानीय डीएम को सूचित किया था कि बकाया भुगतान नहीं हुआ तो वह कड़ा कदम उठाएंगी। वह आगे सिलिंडर की सप्लाई नहीं कर पाएंगी क्योंकि 63 लाख रुपये से ज़्यादा का उसे भुगतान नहीं किया जा रहा है। घटना के बाद अस्‍पताल में ऑक्‍सीजन सिलिंडर सप्‍लाई करने वाली कंपनी पुष्‍पा सेल्‍स के मालिक मनीष भंडारी के घर पर छापा मारा गया।

सांकेतिक तस्वीर, साभार: Shutterstock

सांकेतिक तस्वीर, साभार: Shutterstock


उल्लेखनीय है कि गोरखपुर में विगत तीन दशकों से बड़ी संख्या में बच्चों की अकाल मौतें हो रही हैं। यहां शिशु मृत्यु दर सबसे ज्यादा है। आंकड़े इतने चौंकाने वाले हैं, अगर गोरखपुर एक देश होता तो वह उन 20 देशों की जमात में शामिल होता जहां सबसे ज्यादा मृत्यु दर हैं। अगर स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो गोरखपुर में पैदा हुए 1000 बच्चों में से 62 बच्चे एक साल से पहले ही मर जाते हैं। पूरे उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 48 का है जबकि पूरे भारत में 1,000 में से 40 बच्चों की मौत हो जाती है। सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के यूएस के डेटा से वैश्विक स्तर पर तुलना करें तो गोरखपुर दुनिया के ऐसे 20 देशों में शामिल दिखता है, जहां शिशु मृत्यु दर का आंकड़ा सबसे ज्यादा है।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 20 देशों में 44.5 लाख की आबादी वाला गोरखपुर शिशु मृत्यु दर के मामले में 18वें नंबर पर है। इन आंकड़ों ने साफ कर दिया है कि गोरखपुर ने पश्चिमी अफ्रीका के रिपब्लिक ऑफ गाम्बिया की जगह ले ली है। इस देश की आबादी 19.18 लाख है। वहीं गोरखपुर को टक्कर देने में 62.90 और 64.60 शिशु मृत्यु दर वाले जाम्बिया और साउथ सुडान हैं। आपको बता दें कि अफगानिस्तान इस सूची में शिशु मृत्यु दर 112 के साथ टॉप पर है। गोरखपुर में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामले में हालात और भी बदतर हैं। यहां यह औसत 76 का है। पूरे भारत में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौतों का आंकड़ा 50 है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 62 का है।

सांकेतिक तस्वीर, फोटो साभार: Shutterstock

सांकेतिक तस्वीर, फोटो साभार: Shutterstock


गौरतलब है कि गोरखपुर जिले में करीब 35 प्रतिशत बच्चे कम वजन कुपोषित के हैं और 42 प्रतिशत कमजोर बच्चे हैं। इसके अलावा टीकाकरण के मामले में भी गोरखपुर काफी पीछे है। यहां प्रत्येक तीन में से एक बच्चे का जरूरी टीकाकरण का चक्र पूरा नहीं हो पाता है। 

बच्चों के चिकित्सकों का कहना है कि कुपोषण और अधूरे टीकाकरण के कारण बच्चों में इंसेफलाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शैल अवस्थी के मुताबिक कुपोषित बच्चों के अंदर इंफेक्शन से मुकाबले की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इस कारण डायरिया और सांस के संक्रमण की बीमारी से बच्चे मर जाते हैं।

image


पीएम ने दुख जताया, सीएम ने कहा- मौतें ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बात से इनकार किया है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है। आदित्यनाथ का कहना है कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति प्रकरण की जांच कर रही है। तथ्यों को मीडिया सही तरीके से पेश करे। मेरे गृह नगर में बच्चों की मौत गंदगी भरे वातावरण और खुले में शौच के चलते हुई है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने प्रिंसिपल के इस्तीफे की खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि हम उन्हें पहले ही निलंबित कर चुके हैं और उनके खिलाफ जांच भी शुरू की गयी है। इस बीच स्वतंत्रता दिवस पर भाषण में गोरखपुर त्रासदी का ज़िक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों की मौत पर दुख जताया। उनके निर्देश पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल और स्वास्थ्य सचिव सीके मिश्रा को गोरखपुर पहुंचने का निर्देश दिया गया है।

हादसे पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि 'इतने बड़े देश में बहुत सारे हादसे हुए और ये कोई पहली बार नहीं हुआ, कांग्रेस के कार्यकाल में भी हुए हैं। योगी ने तय समय में जांच के आदेश दिए हैं। वहां जो भी हुआ है, वह एक गलती है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि यह मौत नहीं बल्कि बाल हत्याकांड का मामला है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में संपादकीय लिखकर गोरखपुर की घटना को 'सामूहिक हत्याकांड' बताते हुए केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है। इस बीच विपक्ष ने सीएम से इस्तीफा मांगा। कांग्रेस के नेताओं ने मौके पर पहुंच कर घटना पर गहरा रोष जताया है।

पढ़ें: 1945 में जापान ने अमेरिका के सामने क्यों किया था आत्मसमर्पण?