'बजरंगी भाईजान' बनीं IAS अफसर, महिला को मिलवाया 50 साल पहले बिछड़े परिवार से
ये कहानी बिल्कुल फिल्मी है, लेकिन है असली...
यह कहानी आईएएस अधिकारी डॉ प्रीति गोयल के प्रयासों के बारे में है, जो एक परिवार के लिए बन गईं रियल लाइफ बजरंगी भाईजान।
प्रीति ने अनीता नाम की एक महिला को उसके परिवार से 50 सालों बाद मिलवा दिया। प्रीति गोयल पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में एसडीओ के पद पर कार्यरत हैं।
2014 में आईएएस अधिकारी प्रीति ने नागालैंड में अनीता के परिवार के सदस्यों की खोज शुरू की। दो साल बाद, असफल प्रयासों के बाद, आखिरकार प्रीति नागालैंड में अनीता के परिवार के साथ संपर्क स्थापित करने में कामयाब हो गईं।
निजी स्वार्थों और ढीले रवैये से ब्यूरोक्रेसी लालफीताशाही बनती जा रही है। लेकिन ब्यूरोक्रेसी की गिरती साख के बीच ऐसी कुछ खबरें दिख जाती हैं जो नौकरशाहों की नीयत पर फिर से यकीन पुख्ता कर देती हैं। यह कहानी आईएएस अधिकारी डॉ प्रीति गोयल के प्रयासों के बारे में है, जो एक परिवार के लिए बन गईं रियल लाइफ बजरंगी भाईजान। प्रीति ने अनीता नाम की एक महिला को उसके परिवार से 50 सालों बाद मिलवा दिया। बेहतर भारत का निर्माण सकारात्मकता पर आधारित है। प्रीति गोयल पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में एसडीओ के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने बचपन से अपने पड़ोस में रहने वाली अनीता के मुंह से सुना था कि 1967 में पहले वह नागालैंड से आर्मी के एक ऑफिसर से शादी कर पंजाब आ गई थी। उस समय उनकी उम्र करीब 14 साल की थी। अनीता नागालैंड में अंगामी जनजाति की थीं।
उन्होंने 1967 में सेना के सैनिक वकील चंद सिंह को शादी कर ली, जिन्हें नागालैंड में तैनात किया गया था। वर्ष 1971 में अनीता अपने पति के साथ पंजाब में चली गईं और कभी भी नागालैंड में कभी वापस नहीं गईं। चंदसिंह सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद एक छोटा सा वस्त्र व्यापार शुरू किया। बाद में उनका निधन हो गया। अनीता अब बिल्कुल अकेली हो गई थीं। उन्हें मां बाप की याद सताने लगी जिनको उन्होंने वर्षों पहले छोड़ दिया था। अफसोस की बात ये थी, वह अपने अतीत के बारे में कुछ याद नहीं कर पा रही थीं। उन्हें बस अपने पिता का नाम याद था और एक सिनेमा हॉल की अस्पष्ट स्मृति थी। उनके मुताबिक ये सिनेमाहॉल उनके घर के करीब ही था।
अनीता के दो बेटों ने भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, डीएनए की सूचना दी। प्रीति अनीता के पड़ोसी थीं और अनीता से उनकी कहानियों और उनके परिवार के बारे में काफी कुछ सुन रखा था। वह अनीता की इच्छा को पूरा करने के लिए बाहर निकलीं और नागालैंड में अनीता और उनके परिवार को फिर से एकजुट करने की मुहिम पर लग गईं। 2014 में आईएएस अधिकारी प्रीति ने नागालैंड में अनीता के परिवार के सदस्यों की खोज शुरू की। दो साल बाद, असफल प्रयासों के बाद, आखिरकार प्रीति नागालैंड में अनीता के परिवार के साथ संपर्क स्थापित करने में कामयाब हो गईं। प्रीति ने अनीता के परिवार को खोजने के लिए अपने सभी संसाधनों और उसके पूरे नेटवर्क का इस्तेमाल किया।
पहली सफलता तब हासिल हुई, जब नागालैंड में एक अंगाइ जनजाति के पुलिस निरीक्षक से प्रीति ने संपर्क किया। पुलिस निरीक्षक ने तुरंत लोगों को जुटाया और एक फोन कॉल करवाया, फिर एक वीडियो कॉल की व्यवस्था की। अनीता और उसके परिवार वालों ने जब 50 साल बाद फोन पर बात की तो वह 15 मिनट तक रोती रहीं क्योंकि 50 साल तक एक दूसरे को नहीं देखने के कारण शब्द भी शायद मूक हो गए थे। अनीता गोयल की पोती कामिनी सिंगला प्रीति गोयल को अपने जीवन की रियल बजरंगी भाईजान मानती है. जिन्होंने उसकी दादी को उनके 50 साल से बिछड़े परिवार से मिलाया। दोनों पक्ष के संतुष्ट हो जाने के बाद, अनिता पंजाब से नागालैंड आ गईं।
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