नेता बनना चाहते हैं? 'Swanti' सिखाएगा राजनीति का ककहरा
कोर्स के दौरान देते हैं वजीफासांसद और विधायक के विकास कार्यों में करते हैं मददराजनीति में बढ़ा युवाओं का झुकाव
हमारा समाज जिस तेजी से बदल रहा उतनी ही तेजी से लोगों के विचारों में परिवर्तन आ रहा है। आज का युवा सरकार में अपनी भागीदारी चाहता है। खासतौर से 30 साल की उम्र के लोग विकास जैसे मुद्दे पर काम कर बदलाव लाना चाहते हैं। हालांकि उम्रदराज लोग सार्वजनिक जीवन में राजनीति को एक पेशे के तौर पर देखना पसंद नहीं करते, लेकिन अन्ना आंदोलन ने इस तरह का बदलाव ज्यादा देखने को मिला है जिसके बाद से युवा लोग राजनीति से जुड़ना शुरू हुए हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हार्वर्ड से ग्रेजुएट, ऋत्विका भट्टाचार्य ने Swanti की शुरूआत की।
ऋत्विका ने अपने दो दोस्तों के साथ साल 2009 में हार्वर्ड में पढ़ाई के दौरान देखा कि काफी छात्र राजनीति में आना चाहते हैं। ये छात्र भारत के राजनीतिक नेतृत्व के साथ जुड़ना चाहते हैं। इतना ही नहीं कई छात्र तो ऐसे थे जो पढ़ाई खत्म करने का बाद भारत लौट गये और किसी राजनीतिक दल के लिए काम करने लगे। लेकिन उनमें से बहुत सारे छात्र ऐसे थे जिनको वहां पर सही जगह नहीं मिली क्योंकि उनके पास अपना कोई नेटवर्क नहीं था। इसी बात को भांपते हुए ऋत्विका और उनके दो दोस्तों ने जिन्होने पहले एक सांसद के साथ काम भी किया था जानते थे कि विभिन्न राजनैतिक नेता प्रतिभाशाली युवकों के साथ काम करना चाहते हैं। इन लोगों को पता था कि कई सांसद ऐसे लोगों की तलाश करते हैं जो होनहार हों और उनके संसदीय इलाके के विकास कार्यों में हाथ बंटा सकें। हालांकि किसी प्रोजेक्ट में सांसद की मदद करने के लिए कोई औपचारिक प्रक्रिया नहीं थी ये सिर्फ मांग और आपूर्ति की तरह था। बस इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए इन लोगों ने Swaniti की स्थापना की।
ऋत्विका ने वर्ल्ड बैंक के लिए काम करते हुए अनुभव कर लिया था कि कोई सरकार चाहे तो किसी योजना को कितने कारगर तरीके से लागू करवा सकती है। जिसके बाद उन्होने सांसदों ने इस मसले पर बात करनी शुरू की जो अपने इलाके में विकास के कामों को बड़ी ही संजीदगी से करना चाहते थे। इसके बाद उन्होने ऐसे प्रोजेक्ट की जानकारी इकठ्ठा करनी शुरू कर दी जो हकीकत में इलाके का विकास करने में सक्षम हों।
ऋत्विका के पास एक शानदार टीम है जो उत्साह से भरी हुई है टीम के कई सदस्य विभिन्न सांसदों और मुख्यमंत्रियों के साथ का कर चुके हैं। कोर टीम में हरिहरन श्रीराम हैं जो आईआईएम सी के पूर्व छात्र है और फिलहाल एफएमसीजी कंपनी में काम कर रहे हैं। इससे पहले वो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, के साथ भी काम कर चुके हैं। फिलहाल हरिहरन Swaniti में रहकर रणनीति और भागीदारी का काम देखते हैं। टीम के एक अन्य सदस्य हैं वरुण संतोष उनके पास पर्यावरण और मानव विकास को लेकर खासा अनुभव है ये भी इन्ही मसलों पर विभिन्न सांसदों और मुख्यमंत्रियों के साथ काम कर चुके हैं। फिलहाल वो सिक्किम के मुख्यमंत्री के कार्यालय में काम कर रहे हैं। टीम के दूसरे सदस्ये हैं अंशुमान जो Swaniti में मार्केंटिग डॉयरेक्टर हैं और सांसद सुल्तान अहमद के साथ उनके काम में हाथ बंटा रहे हैं। अंशुमान के पास माइक्रोफाइनांस का अच्छा अनुभव है। टीम में एक ओर महिला सदस्य है गीता रामकृष्णनन जो Swaniti के विशेष कार्यक्रमों को देखती हैं और वो सांसद अनुराग ठाकुर के साथ उनके क्षेत्र में पाठ्यक्रम में सुधार को लेकर काम भी कर चुकी हैं। टीम में सबसे युवा है सौरव कूंडु। जो Swaniti की वेबसाइट, ब्लॉग और इंटरनेट से जुड़े दूसरी चीजों को देखते हैं।
फिलहाल तीन तरह की फैलोशिप ये लोग देते हैं। व्यक्तिगत तौर कोई भी आईआईटी, आईआईएम, स्टैनफोर्ड, हार्वर्ड से पढ़ाई पूरी कर कोर्स के लिए अप्लाई कर सकता है। कार्यक्रम के मुताबिक छात्रों को वजीफा भी दिया जाता है। ऋत्विका के मुताबिक उनके पास आने वाले लोगों में उत्साह और किसी काम के प्रति उनकी लगन देखते ही बनती है। उनके मुताबिक अगर भारत को बदलना है तो युवाओं को आगे लाना ही होगा। उनके मुताबिक भारत के पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है जरूरत है जुझारू लोगों की जो किसी भी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए अपना सबकुछ लगा दें।
हरिहरन के मुताबिक उनका लक्ष्य अगले दो सालों के अंदर 10 प्रतिशत सांसद और विधायकों के काम में अपना सहयोग देना है। Swaniti देश के अलग अलग हिस्सों में काम कर रहा है जहां केरल में वो पीने का साफ पानी में मदद दे रहा है वहीं हिमाचल में बेहतर शिक्षा के प्रोजेक्ट में काम कर रहा है जबकि पश्चिम बंगाल में माइक्रोफाइनेंस समूह का निर्माण कर रहा है। Swaniti से जुड़े लोग कमलनाथ, श्रीकांत जैना, जय पांडा और अजय कुमार सरीखे सांसदों के साथ काम कर रहे हैं। इसके साथ साथ ये अपना विस्तार करने के लिए विभिन्न कॉलेज कैम्पस में जाकर अपने काम के जानकारी देते हैं ताकि दूसरे युवा छात्र भी इनके साथ जुटें। ये जानते हैं कि देश में समस्याएं काफी ज्यादा हैं लेकिन उनके समाधान के लिए जरूरी है युवाओं और राजनैतिक नेताओं में प्रतिबद्धता। ये लोग बिना वक्त गवांये प्रभावी और सुचारू ढंग से अपना काम कर रहे हैं।