सॉफ्ट बैंक के अध्यक्ष निकेश अरोड़ा, हर भारतीय के लिए गर्व करने वाला नाम...
इस पूरे वर्ष जब एक तरफ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह सुनिश्चित कर रहे थे कि भारत दुनियाभर में खबरों में बना रहे वहीं कुछ असाधारण भारतीय भी इस काम में पीछे नहीं रहे और वे भी विश्व स्तर पर सुर्खियों में बने रहने में सफल रहे। चाहे वह गूगल के सुंदर पिचाई हों या फिर पूर्व में उनके सहयोगी रहे निकेश अरोड़ा।
इस लेख को पढ़ रहे आपमें से अधिकतर ने इस वर्ष निकेश अरोड़ा के बारे में जरूर सुना होगा। निकेश 70 बिलियन डाॅलर टेलीकाॅम और इंटरनेट के क्षेत्र की जापानी कंपनी साॅफ्टबैंक के अध्यक्ष हैं। उन्हें इस कंपनी के संस्थापक मासायोशी सन द्वारा साॅफ्टबैंक का उत्तराधिकारी घोषित किया गया है।
मुझे बीते महीने बैंगलोर में निकेश अरोड़ा के साथ कालारी कैपिटल की एमडी वाणी कोला की एक वार्ता का साक्षी होने का मौका मिला। जहां निकेश लगातार निवेश को लेकर किये जाने वाले अपने फैसलों (साॅफ्टबैंक को लेकर किये गए एक फैसले सहित) और अपने प्रभाव के वास्तविक अंतर्राष्ट्रीय आभामंडल के चलते लगातार सुर्खियों में बने रहते हैं, वहीं उस वार्ता के नतीजतन मेरे लिये एक उद्यमी के रूप में काफी दिलचस्प निष्कर्ष भी निकलकर सामने आए।
वाणी ने निकेश अरोड़ा का परिचय एक ऐसे व्यक्ति के रूप में करवाया जो अपनी प्रतिबद्धताओं को महत्व देते हैं, जिन कंपनियों का सहयोग करते हैं उनकी वैल्यू कोशेंट को बढ़ा देते हैं और इसके अलावा एक बेहद निर्णायक व्यक्तित्व के स्वामी हैं। इसके अलावा वे आपके दृष्टिकोण पर भी विचार करने को तैयार हैं और उसके बाद ही किसी उचित निष्कर्ष पर पहुंचते हैं।
आपके लिये पेश हैं उसी बातचीत के कुछ अंश।
वर्ष 2016 में निवेश
अलीबाबा में हमारी हिस्सेदारी 40 बिलियन से 50 बिलियन अमरीकी डाॅलर के बीच की है और हमें उम्मीद है कि यह बेहतर ही होगी। आप यह मान सकते हैं कि आने वाले दस वर्षों में हम कुछ अनलोड होने में सफल होंगे क्योंकि अगर यह बहुत बेहतरीन तरीके से भी होता है तो यह हमारी नकदी के बाद 30 बिलियन से 40 बिलियन डाॅलर पैदा करने में सफल होगा। इस प्रकार यह मोटे तौर पर आपको निवेश के लिये 2 से 4 बिलियन डाॅलर प्रदान करता है और सही हमारा बेंचमार्क भी है। किसी वर्ष आप अधिक निवेश करते हैं और कभी कम। कभी बाजार बहुत ऊँचे होते हैं और कभ्री बेहद नीचे। बीते एक वर्ष में अबतक हम 3.7 बिलियन डाॅलर लगा चुके हैं।
हमारे चेक की न्यूनतन संख्या 50 मिलियन से 100 मिलियन डाॅलर के बीच हो सकती है लेकिन यह देखना अधिक महत्वपूर्ण है कि हमनें क्या पाया। हमनें इस बारे में बहुत गहन विचार-विमर्श किया है और हो सकता है कि आपमें से कुछ को इस बात की जानकारी हो कि साॅफ्टबैंक 300 मिलियन डाॅलर वाला एक वेंचर कैपिटल व्यापार है और हमारी सबसे हालिया सफलता फिटबिट रही है जो हाल ही में पब्लिक हुई है।
दुनिया में हर कहीं वेंचर कैपिटल व्यापार मोटे तौर पर करीब एक मिलियन कंपनियों पर अपनी नजर रखता है। हमारे पास इतनी बड़ी संख्या को पार्स करने की क्षमता और बैंडबिथ नहीं है और ऐसे में हमनें एक कदम आगे चलने की सोची। हमनें सर्वश्रेष्ठ वीसी के साथ काम करते हुए उनकी परिसंपत्तियों के पोर्टफोलियों को देखने और फिर उनसे उनकी सबसे बेहतरीन परिसंपत्ति का चुनाव करवाने का फैसला किया।
इसके बाद हम उनकी सबसे बेहतरीन एसेट्स पर एक नजर डालेंगे और इस प्रकार हमारी नजरों में दुनियाभर की 500 से 750 के बीच बेहतरीन कंपनियां ही टिकेंगी। आखिरकार लाखों कंपनियों का विश्लेषण करने के मुकाबले चुनिंदा का विश्लेषण करना आसान काम है वर्ना हम भी इन्हीं कंपनियों का विश्लेषण करने वाले अन्य खिलाडि़यों में से ही एक होंगे। अगर आप इन चुनिंदा 500 से 750 कंपनियों की दुनिया पर नजर डालें तो इस बात की पूरी संभावना है कि दुनिया में शायद कुछ ऐसे लोग हों जो लगातार चेक में संख्या भरने को तैयार हों।
चेक में रकम भरने वाले कई व्यक्ति हो सकते हैं लेकिन एक समय ऐसा आता है जब उन्हें अधिक रकम की आवश्यकता होती है और ऐसे में जब आप (कोई कंपनी) अगली बार निवेश के लिये उनके पास जाएं तो इस बात की कोई गारंटी नहीं कि उनके पास निवेश करने के लिये पर्याप्त धन हो। तो ऐसे में हमनें पाया कि वह जगह आगे बढ़ने और खुद को ब्रांड करने के अलावा एक टीम के निर्माण करने की कोशिश करने और एक ऐसी जगह की तलाश करने के लिये बेहतरीन है जो बाद के चरणों में वेंचर फंडिड हो। कुछ हेज फंड भाग ले सकती हैं, परिसंपत्ति कंपनियां भाग ले सकती हैं और मैं कुछ ऐसे लेट-स्टेज वीसी को जानता हूँ जो भाग ले सकते हैं। लेकिन यह संख्या एक छोटी दुनिया बनकर रह जाती है। अगर आपके पास पूंजी है तो आपके लिये खुलकर खेलना बेहद आसान हो जाता है। पूंजी हमेशा सामने आनी वाली एक प्रारंभिक बाधा है क्योंकि लोग श्रृंखला में आगे बढ़ते हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में खेलते हुए वेंचर कैपिटल में सहयोग करना अधिक आसान है। और प्रतिवर्ष सिर्फ 10 से भी कम कंपनियां ऐसा करने में सफल हो रही हैं।
उनतक कैसे पहुंचा जा सकता है?
हमारी एक 15 सदस्यीय टीम है और हम जवाब देने के हरसंभव प्रयास करते हैं। हालांकि यह किसी को प्रतिक्रिया देना बेहद मुश्किल काम है क्योंकि यह जरूरी नहीं कि प्रत्येक व्यक्ति हमारे निवेश के मानदंडों से रूबरू हो। कई बार तो ऐसा होता है कि हम प्रतिक्रिया ही नहीं देते!
मैं आजतक किसी भी ऐसे उद्यमी से नहीं मिला जिसे अपने विचार और बाजार के बड़े होने पर शक हो और जिसे उसकी सफलता को लेकर जरा सा भी अंदेशा हो। उनके लिये ऐसा महसूस न कर पाना वास्तव में काफी मुश्किल है। हरकिसी को ऐसे ही महसूस करना चाहिये। यह सिर्फ इतना ही है कि कई बार हम इतने स्मार्ट नहीं होते हैं कि हम यह देख सकें कि वे कितने स्मार्ट हैं। ऐसे में लोग हमें काफी कठिन पाते हैं।
हमारे लिये किसी भी ऐसी अवधारणा में निवेश करना काफी मुश्किल काम है जहां हम किसी भी प्रकार का लेददेन देखने में असफल हों। ऐसे में हम पहले दो या तीन दौर छोड़ने से भी गुरेज नहीं करते हैं। हमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि सामने वाला 500 मिलियन डाॅलर के मूल्यांकनन या फिर 1 बिलियन डाॅलर के मूल्यांकन वाले स्टार्टअप के साथ सामने आ रहा है जबतक कि उस स्टार्टअप में आगे चलकर 10 बिलियन या फिर 20 बिलियन डाॅलर के मूल्यांकन को पार करने की क्षमता न हो। ऐसे मामलों में हम हाथ रोककर चलते हैं। लेकिन हम इतने भी समझदार नहीं हैं कि हम किसी चीज को 20 में खरीदें और फिर उसके 10 तक पहुंचने की उम्मीद करें। 20 आगे जाकर 300 मिलियन डाॅलर में भी बदल सकता है लेकिन हम तब भाग लेना नहीं चाहेंगे क्योंकि 40 मिलियन डाॅलर लगाने के लिये आपको 20 मिलियन डाॅलर के कई निवेश के अलावा उनपर नजर रखने की भी आवश्यकता होती है और उससे बाहर निकलने में भी सक्षम होना होता है। इसलिये हम इसकी चिंता नहीं करते हैं।
सामने आने वाले नए सुनहरे अवसर
एक काम जो हम लोग कर रहे हैं कि हम एक व्यवस्थित दुनिया की तरफ देख रहे हैं ताकि हम उन संस्थापकों और कंपनियों का पता लगा सकें जो वास्तव में लेनदेन प्राप्त कर रहे हैं। एक अच्छी खबर यह है कि आज के समय में सबकुछ आॅनलाइन है। तो ऐसे में आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर आंकड़ों पर नजर रख सकते हैं। हम यह बड़ी आसानी से पता लगा सकते हें कि उन्होंने कितने डाउनलोड पाए हैं या फिर कितने लोगों ने उनसे संपर्क किया है। ऐसी बहुत सारी कंपनियां है जो प्रत्येक एप्प को ट्रेक करती हैं। तो ऐसे में आपको किसी भी कंपनी के बारे में जानने के लिये भारत आने की जरूरत नहीं है। मेरे लिये कैलिफोर्निया में बैठकर यह जानना बेहद आसान है कि किस कंपनी का कर्षण कितना रहा है।
अगर किसी क्षेत्र में 50 कंपनियां हैं तो हमारे लिये निवेश करने के इरादे से उस क्षेत्र पर नजर रखना काफी कठिन हो जाता है क्योंकि हमें बाजार के कुछ हिलने का इंतजार करना होता है। एक बिल्कुल ही अनोखा विचार जिसमें कोई अन्य खिलाड़ी ही मौजूद नही हो तलाशना हमेशा ही बेहद रोचक और कठिन होता है। अगर वह कोई ऐसा क्षेत्र है जिसमें आपको पता है कि 50 कंपनियां संचालित हो रही हैं तो हम इतने समझउार नहीं है कि उस सभी 50 को समझ और जान सकें। हम उस समय का इंतजार करेंगे जब यह संख्या घटकर सिर्फ पांच पर आ जाए क्योंकि पांच को समझना और जानना हमारे लिये आसान होगा। हमारे हलये इन पांच में से किसी एक विजेता का चुनाव करना आसान होगा। लेकिन हमारे पास 50 का अंकलन करने के लिये आवश्यक संसाधन नहीं हैं। ऐसे में हम बाजार के थोड़ा स्थिर होने का इंतजार करते हैं। कई बार हमें निवेश करने का मौका नहीं मिलता है लेकिन कोई बात नहीं। हम इसे समझते हैं। हम पोर्टफोलिये व्यापार में हैं इसलिये हमें इनमें से कुछ को तलाशना पड़ता है।
ओपीएम और खुमारी उतारना
इसके बारे में बोरिंग होना काफी मुश्किल है लेकिन मैंने बिजनेस स्कूल के अपने दिनों में यह सीखा है कि किसी भी कंपनी का मूल्य उसके भविष्य के रियायती नकदी प्रवाह के वर्तमान मूल्य के आधार पर निर्धारित होता है। मेरा मानना है कि सह अभी भी बिल्कुल सटीक है।
वास्तव में अभी भी मूल्य तो भविष्य के रियायती नकदी प्रवाह का वर्तमान मूल्य ही है लेकिन यह सिर्फ आपकी कल्पना ही है कि भविष्य के दिनों में नकदी का प्रवाह क्या रहेगा। कुछ लोग आपसे बेहतर कल्पना करने में सक्षम होते हैं और यही कंरण है कि वे इन चीजों का इस कीमत पर मूल्य निर्धारण कर पाते हैं। मैंने आज ही एक पोर्टफोलियो कंपनी से कहा है कि एक समय पर आपको ओपीएम की आदत को भूलता होगा। ओपीएम का मतलब है ‘‘दूसरे व्यक्तियों का पैसा।’’ भारत में संचालित हो रहे लगभग सभी स्टार्टअप वास्तव में ओपीएम के आदी हैं क्योंकि इनमें से कोई भी मुनाफा नहीं कमा रहा है। उन्हें पैसा मिलता है और वे उसे उड़ाते हैं। उसके बाद वे और अधिक पैसा मांगते हैं और उसे भी उड़ा देते हैं। ऐसे में एक समय ऐसा जाएगा जब उन्हें इससे बाहर आना होगा।
सिलिकाॅन वैली और अपने स्थिर होने के बारे में
मेरा मानना है कि हमें सिलिकाॅन वैली की जोखिम लेने की क्षमता की सराहना करनी चाहिये क्योंकि यह अब एक संस्कृति बन गई है। वहां के लोगों में जोखिम लेने की क्षमता है, वे विफलता की भी प्रशंसा करते हैं और वहां इन्हीं की जयजयकार है। वहां के पारिस्थितिकी तंत्र में इसी प्रकार के लोग हैं जो ऐसा ही करने के आदी हैं क्योंकि वे बीते 20 से 25 वर्षों से ऐसा ही कर रहे हैं और वे काफी अनुभवी भी हैं। इस कमरे की ओर देखें तो तो यहां मौजूद लोगों में से कुछ बीते कुछ समय से निवेश कर रहे होंगे और हो सकता है कि कुछ प्रथम बार के निवेशक हों। ऐसे में भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र को समय के साथ सीखते रहना होगा। ऐसे में आप बाहर देखें और आपको कुछ ऐसे लोग दिखाई देंगे जिन्हें आप फंडिंग कर रहे हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि यह काफी आश्चर्यजनक है।
बाॅस और मूल्य
आपको मासायोशी सन नामक इस सज्जन का सम्मान करने के साथ सराहना भी करनी चाहिये क्योकि ये करीब 80 दिनों तक दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति भी रहे हैं। वे बिल गेट्स और वाॅरेन बफ्फेट से भी अधिक अमीर थे। अक्सर लोग उनसे आकर पूछते थे कि वे इतने सारे पैसे का क्या करने जा रहे हैं या फिर वे किसी चैरिटेबल ट्रस्ट इत्यादि की स्थापना क्यों नहीं कर देते। जबतक वे समस्या का समाधान करते उनका कुल मूल्य मात्र दो दिनों में ही 99 प्रतिशत तक नीचे चला गया। चूंकि वे प्रत्येक इंटरनेट कंपनी में निवेशक थे और बाजार पाताल में चला गया। लेकिन उस समय भी उन्होंने आगे बढ़कर 20 बिलियन डाॅलर में एक कंपनी खरीदी। यहां तक कि अपनी संपत्ति का 99 प्रतिशत गंवाने के बाद भी उनके पास 1 बिलियन डाॅला अपने थे और उन्होंने 19 बिलियन डाॅलर का उधार लिया।
उन्होंने उस व्यापार को खरीदा और ऐसे बहुत कम उदाहरण मौजूद हैं जब किसी ने किसी व्यापार को बिल्कुल उलट दिया हो। उन्होंने इसे वोडाफोन से खरीदा जो स्वयं एक वैश्विक दूरसंचार कंपनी है। उन्होंने इस कंपनी को खरीदा, उसका मुकद्दर बदला और संख्या के आधार पर देखें तो तिगुना किया लेकिन मुझे अब भी याद है कि वह 19 बिलियन डाॅलर 1 प्रतिशत की दर से उधार लिया गया था। तो ऐसे में अगर वे अपनी निजी संपत्ति के इतने नीचे जाने के बाद उस दौर में भी निवेश करने के इच्छुक थे मेरा मानना है कि हमारे अंदर भी सांस्कृतिक रूप से इस प्रकार के बाजार में जोखिम लेने की एक भूख होनी चाहिये। और मुझे इस बात की पूरी उम्मीद है कि यही मूल्य बाकी कंपनियों के लिये सहायक साबित होता है।
अब से 10 साल बाद का भारत
कुछ चीजें बिल्कुल र्निविवाद हैं जैसे हर कोई यही कहेगा कि अधिक लोग मोबाइल फोन और ब्राॅडबैंड का प्रयोग करेंगे। इाके अलावा अधिकाधिक लोग चीजों को मंगाने के लिये आॅनलाइन खरीददारी करना आसान पाएंगे।
मैं यह तो नहीं कह सकता कि कौन विजेता साबित होगा लेकिन स्नैपडील में हमारे निवेश के पीछे कारण है। अगर आप अमरीका पर नजर डालें तो आप पाएंगे कि वहां सैंकड़ों बिलियन डाॅलर की जीएमवी के साथ वालमार्ट और अमेजन हैं लेकिन भारत में किसी भी रिटेलर की सबसे अधिक जीएमवी 60 बिलियन डाॅलर है।
तो यह एक ऐसा खंडित बाजार है कि कई बार तो आपको महसूस होगा कि आॅनलाइन काॅमर्स इस बाजार को मजबूत करने में मदद ही देगा। जैसा कि कुणाल ने कल कहा कि यह 2.5 ट्रिलियन डाॅलर का ई-काॅमर्स बाजार है, ऐसे में आप कोई भी एक संख्या चुन लें। मान लेते हैं कि आप 5 प्रतिशत, 10 प्रतिशत या फिर 8 प्रतिशत चुनते हैं तो कोई भी संख्या अच्छी हो सकती है क्योंकि वर्तमान में भारतीय बाजार 13 से 15 बिलियन डाॅलर का बाजार है।
अगर यह आने वाले 10 वर्षों में 10 गुणा विकास करता है तो यह 150 बिलियन का बाजार होगा। अगर समझदारी बरकरार रही और ये लोग ओपीएम के चंगुल से बाहर आने में सफल रहे और इस पैसे की बर्बादी बंद कर दी तो मुनाफे के आधार पर हम व्यापार को जीएमवी के मुकाबले 0.6 से 0.9 प्रतिशत की दर पाजत्रते हुए पाएंगे। ऐसे में हम 30 बिलियन डाॅलर से 50 बिलियन डाॅलर की जीएमवी वाली कंपनी तैयार करने में सफल रहेंगे।
मैं इस कंपनी में अपना हिस्सा 10 वर्ष बाद लूंगा और अगर यह समझदारी और निष्पादन उस वक्त भी मौजूद रहा तो उस दौर में यह कई क्षेत्रों में एक बड़ी कंपनी होगी। अगर आप निश्चिम श्रेणी के कुछ अगुवाओं को खोजने में सफल रहें और आपको यह विश्वास हो कि कि वे ठीक प्रकार से अमल करेंगे, तब आप समझदारी के बढ़ने का विश्वास कर सकते हैं और ऐसे में कंपनी के पास बेचन के लिये भी कुछ होगा। लेकिन आपको पहले इन जोखिमों के बारे में सोचना होगा और तभी आप निवेश करने का फैसला कर सकते हैं।
सफलता किस्मत, कड़ी मेहनत और बहुत हद तक प्रतिभा का संयोजन है। कई बार ऐसा होता है कि बहुत अधिक प्रतिभावान लोग बड़ी मेहनत करते हैं लेकिन उनकी किस्मत उनके पक्ष में नहीं होती है।कई बार ऐसा होता है कि सिर्फ किस्मत के सहारे कम प्रतिभावान व्यक्ति बिना मेहनत किये ही लोग सफल हो जाते हैं। तो क तीनों चीजें सिर्फ कुछ मौकों पर ही एक संयोजन के रूप में कारगर होती हैं।
निकेश अरोड़ा वास्तव में एक विश्वासी, वास्तविक और प्राकृतिक अगुवा हैं। आप इस व्यक्ति से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते जो एक गहरा और सार्थक प्रभाव छोड़ने के मिशन पर है। उम्मीद है कि यह लेख आपको उनसे मुलाकात के लिये तैयार करने में सहायक होगा।
(यह लेख मूलतः अंग्रेजी में लिखा गया है और इसकी लेखिका योरस्टोरी की संस्थापक और एडिटर-इन-चीफ श्रद्धा शर्मा हैं। )