बारातियों को साइकिल से लेकर दूल्हा पहुंचा लड़की के घर, पर्यावरण को बचाने का दिया संदेश
इस अनोखी शादी ने इस तरह दिया पर्यावरण बचाने का संदेश...
शहरों की तरह ही गांवों में भी शादी में खूब खर्च करने का चलन इन दिनों बढ़ा है। इससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर काफी असर पड़ा है और उन पर भी शादी में अधिक खर्च करने का दबाव बन जाता है। अजय का कहना है कि शादियों में फिजूलखर्ची करने का कोई मतलब नहीं होता है।
पर्यावरण के लिए अच्छा संदेश देने के साथ ही यह शादी दहेज के बिना संपन्न हुई। इस अच्छे काम के लिए पर्यावरण सेना की तरफ से दूल्हे को एक नई साइकिल भी भेंट की गई।
पर्यावरण की हालत दिन ब दिन बेकार होती जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां हैं। पर्यावरण को बचाने के वैसे तो कई स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन एक दूल्हे ने पर्यावरण को संरक्षित करने के बारे में जागरूकता लाने के उद्देश्य से साइकिल से बारात ले जाने का फैसला किया। साथ ही शादी में होने वाली अन्न की बर्बादी और फिजूलखर्ची को रोकने के लिए भी संकल्प लिया गया। यह अनोखी घटना उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद से सटे हुए जिले प्रतापगढ़ की है।
इलाहाबाद के सोरांव तहसील के अलावलपुर गांव के रहने वाले जावेंद्र कुमार की शादी प्रतापगढ़ के मानधाता के इब्राहिमपुर गांव के भोला की बेटी चंदा देवी के साथ तय हुई थी। साइकिल से बारात ले जाने का आइडिया पर्यावरण सेना नाम से एनजीओ चलाने वाले अजय क्रांतिकारी का था। शहरों की तरह ही गांवों में भी शादी में खूब खर्च करने का चलन इन दिनों बढ़ा है। इससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर काफी असर पड़ा है और उन पर भी शादी में अधिक खर्च करने का दबाव बन जाता है। अजय का कहना है कि शादियों में फिजूलखर्ची करने का कोई मतलब नहीं होता है।
उन्होंने दोनों परिवारवालों को समझाया और वे इसके लिए राजी भी हो गए। इसके बाद अजय ने अपने नेतृत्व में समाज के सभी लोगों को साइकिल से बारात चलने को कहा। सभी बाराती दूल्हे के साथ इब्राहिमपुर तक गए और शादी में हिस्सा लिया। पर्यावरण के लिए अच्छा संदेश देने के साथ ही यह शादी दहेज के बिना संपन्न हुई। इस अच्छे काम के लिए पर्यावरण सेना की तरफ से दूल्हे को एक नई साइकिल भी भेंट की गई। दूल्हे जावेंद्र कुमार का कहना था कि शादी में कम खर्च करना अच्छी बात है और साइकिल से बारात ले जाने के पीछे पर्यावरण को बचाने की सोच थी।
आज से लगभग दो दशक पहले तक गांव में अधिकांश लोग साइकिल से ही कहीं आते जाते थे। शादी समारोह में साइकिल से बारात जाना एक आम बात थी। लेकिन बदलते वक्त के साथ हर घर में गाड़ियां हो गईं और साइकिल का चलन लगभग बंद सा हो गया। शायद यही वजह है कि कभी जो बात सामान्य हुआ करती थी आज वह लोगों को हैरान कर सकती है। अजय क्रान्तिकारी ने कहा कि फिजूलखर्ची और अन्न की बर्बादी से हमारा पर्यावरण बिगड़ रहा है। समय की मांग है कि हम प्रदूषण मुक्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों के बर्बादी को रोकते हुए पर्यावरण संरक्षण का प्रयास करें जिससे पीढ़ियों को धरती पर जीवन मिलता रहे। कुछ भी हो पर्यावरण सेना का यह प्रयास सराहनीय और अनुकरणीय है हम सभी को प्रदूषण मुक्ति के लिए जितना हो सके करना चाहिए।
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