जालंधर के 10 वर्षीय अर्शदीप को मिला 'यंग वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर ऑफ द ईयर' का अवॉर्ड
अर्श को उल्लू के बच्चों की तस्वीर खींचने के लिए यह पुरस्कार दिया गया। नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम लंदन में आयोजित पुरस्कार समारोह में अर्श की तस्वीर की खासी चर्चा रही। उन्होंने यह तस्वीर पंजाब के कपूरथला में खींची थी।
अर्श ने अपने पिता से फोटोग्राफी की बारीकियां सीखी हैं। उन्होंने 6 साल की उम्र में ही फोटो को फ्रेम करना सीख लिया था। अर्श के काम को लोनली प्लानेट यूके, जर्मनी, इंडिया, बीबीसी वाइल्डलाइफ यूके जैसे मीडिया संस्थानों द्वारा प्रकाशित किया जा चुका है।
जालंधर के रहने वाले अर्षदीप सिंह को जूनियर एशियन वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर के पुरस्कार से नवाजा गया। अर्श को उल्लू के बच्चों की तस्वीर खींचने के लिए यह पुरस्कार दिया गया। नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम लंदन में आयोजित पुरस्कार समारोह में अर्श की तस्वीर की खासी चर्चा रही। उन्होंने यह तस्वीर पंजाब के कपूरथला में खींची थी। अर्श ने कहा, 'मेरे पिता भी नेचर फोटोग्राफी करते हैं। मैं उनके साथ अक्सर कपूरथला जाया करता हूं। एक दिन ऐसे ही मैंने पाइप के अंदर बैठे कुछ उल्लुओं को देखा। मैंने पापा से गाड़ी रोकने को कहा और कार से उतरकर तस्वीर खींची।'
अर्श ने बताया कि उन्होंने इस तस्वीर के लिए काफी इंतजार भी किया था। उनके पिता रणदीप सिंह ने इस प्रयास की काफी तारीफ भी की थी। अर्श ने कहा, 'वे उल्लू सीधे मेरी आखों में देख रहे थे। मुझे ऐसे लगा मानों वे मुझसे कह रहे हों कि हम भी तुम्हें देख रहे हैं।' अर्श ने अपने पिता से फोटोग्राफी की बारीकियां सीखी हैं। उन्होंने 6 साल की उम्र में ही फोटो को फ्रेम करना सीख लिया था। अर्श के काम को लोनली प्लानेट यूके, जर्मनी, इंडिया, बीबीसी वाइल्डलाइफ यूके जैसे मीडिया संस्थानों द्वारा प्रकाशित किया जा चुका है।
अर्श कहते हैं, 'मैं हर रोज प्रैक्टिस करता हूं और कुछ नया सीखने की कोशिश करता हूं। इससे मुझे एक अच्छा फोटोग्राफर बनने में मदद मिलती है।' जूनियर एशियन वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर पुरस्कार को तीन वर्गों में विभाजित किया गया था। पहला 10 साल के अंदर, दूसरा 11-14 और तीसरा 15-17 साल के बच्चों के लिए। यंग वाइल्डलाइफ फोटोग्राफरों को 1,000 यूरो की पुरस्कार राशि मिलती है और साथ ही लंदन में समारोह में शामिल होने के लिए खर्च भी मिलता है।
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