केवल एक क्लिक और मुश्किल आसान, 'नोटरी मामा' पूरा करेंगे सभी समाधान...
'नोटरी मामा' का व्यवसाय बैंकिंग, शिक्षा, सम्पदा या व्यापार सभी क्षेत्रों में है...
दस्तावेजीकरण के लिए "नोटरी मामा" एक एकल खिड़की सेवा है. अपने अन्य सह-कर्मियों की तरह ही गिरीश चल्ला को भी अपने आयकर विवरणी के लिए किराया अनुबंध के लिए एजेंटों के पास जाना पड़ता था. इ-स्टाम्प ड्राफ्टिंग और फिर उसको नोटरी करवाने का काम एक पीड़ादायक प्रक्रिया थी. और इसी सब से "नोटरी मामा" का विचार उनके दिमाग में आया. "नोटरी मामा के द्वारा हम दस्तावेजीकरण सेवा के सन्दर्भ में लोगो का बेशकीमती समय और पैसा बचाना चाहते हैं." गिरीश कहते हैं. "नोटरी मामा" की शुरूआात कोई बहुत आसान नहीं थी. इसके लिए पूरी प्रणाली की अच्छी समझ होना आवश्यक था और जिसके लिए स्टाम्प, रजिस्ट्रेशन तथा अन्य सम्बंधित अधिनियम को पूरी तरह पढ़ना जरूरी था.
गिरीश कहते हैं-
" हमने एक ऐसी प्रणाली शुरू की जिसमे किसी दस्तावेज को एक घंटे के अंदर नोटराइज्ड करके ग्राहकों के दरवाजे तक पहुंचाने की सोच शामिल थी. हमारा मिशन एक या सौ ग्राहकों को एक दिन में समान सेवा देने का था.”
गिरीश आश्चर्य से बताते हैं कि कई पेट्रोल पंप, बेकरी रेस्ट्रोरेन्ट और अन्य जगहों पर हमें लोगों ने अपना पोस्टर लगाने कि अनुमति दी. " हमने ५० रूपये के रियायती कूपन जारी करके परीक्षण और त्रुटि (Trail & Error) विपणन से अपनी शुरुआत की.और यह फार्मूला चल गया.
" हमें लोगों की बहुत सी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली जिस से हमें पता चला की इस समबन्ध में बंगलौर के लोग किस प्रकार की सेवा चाहते थे." गिरीश बताते हैं. "नोटरी मामा" की घर या कार्यालय में वितरण के विकल्प साथ इसके एकल खिड़की मॉडल की खासियत इसे अन्य प्रतिद्वंदियों से अलग करती है." इसके तहत इ-स्टाम्प खरीदना, कानूनी मसौदा तैयार करना, पहचान के वैध प्रमाण के साथ हस्ताक्षर और अंत में ग्राहकों तक इन दस्तावेजों को पहुँचना शामिल है. और ये सब संभव है "नोटरी मामा" की वेबसाइट पर मात्र एक क्लिक से.
इसके संस्थापक गिरीश और प्राशनाथ नारायण के साथ इनकी कोर टीम में आदित्य हैं. गिरीश व्यवसाय विकास का काम देखते हैं वहीँ आदित्य की जिम्मेदारी कार्य संचालन की है जबकि ब्रांड विकास का जिम्मा प्राशनाथ संभालते हैं. नवम्बर २०१३ में इनकी स्थापना के साथ ही इन्हे रोज ही चुनौतियों का सामना करना पड़ता था किन्तु जैसे जैसे समय गुजरता गया इन्हे समझ आती गयी कि कैसे नए नए काम हासिल करने है और अपनी सेवाओं का विपणन कैसे करना है. "हमारा राजस्व मॉडल ऑनलाइन और वाक-इन अाधारित है. बैंकिंग के लिए हमारा गठबंधन एसबीआई से है जबकि भुगतान सम्बन्धी समस्यायों से निपटने के लिए हमने "डाइरेक्ट पे" की सदस्यता ली हुयी है." गिरीश बताते हैं. "अभी तक हमने अपनी स्वयं की बचत और मित्रों से लेकर निवेश किया हुआ है. हाल ही में बैंगलोर में अपनी दूसरी शाखा शुरू करने के लिए हमें "एंजेल इन्वेस्टर्स" से कुछ निवेश प्राप्त हुआ है." गिरीश बताते हैं. "नोटरी मामा" का व्यवसाय बैंकिंग, शिक्षा, सम्पदा या व्यापार सभी क्षेत्रों में है. हम आईटी कंपनी, बैंक, नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी, रियल एस्टेट और कॉलेजों से गठबंधन की प्रक्रिया में हैं." जुलाई २०१४ "नोटरी मामा" की इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में दर्ज है जब इन्होने ५०० ग्राहकों को अपनी सेवाएं दी थी. इनमे समझौते, हलफनामा,प्रसंविदा, और पंजीकरण शामिल थे.
"नोटरी मामा" अपना विस्तार कर रहा है और अपनी टीम का आकर बढ़ाने की ओर अग्रसर है. गिरीश कहते हैं "हम अपने कर्मचारियों में वफ़ादारी और गोपनीयता जैसे मानवीय मूल्य देखना चाहते हैं क्योंकि हम अपने ग्राहकों के निजी और वित्तीय आकड़ों के साथ काम करते हैं." वो आगे कहते हैं- " हमारे ग्राहकों के चेहरे पर मुस्कान और उनकी ख़ुशी हमें उत्साहित रखती है और हमें उनकी अपेक्षाओं से भी अधिक करते रहने के लिए प्रेरित करती है. अपने उत्पाद और सेवाओं की ग्राहकों के समक्ष पारदर्शिता आपके व्यवसाय को सदैव आगे ले जाते हैं"
गिरीश कहते हैं-"भविष्य में आप कर्णाटक और बंगलौर के सभी प्रमुख स्थानों पर "नोटरी मामा" को पाएंगे. और अगले ५ सालों में हम सम्पूर्ण भारत में विस्तार की योजना बना रहे हैं.”
इस अनोखी पहल जैसी कोई और शुरुआत के विषय में अगर आपके पास जानकारी है तो हमें अवश्य बताएं.....