2700 पेड़ काटने का आदित्य ठाकरे ने किया विरोध, जानिये पूरा मामला आरे मेट्रो प्रोजेक्ट का
मुंबई के आरे (Aare) में मेट्रो कार शेड बनाने पर 2014 से भाजपा और शिवशेना में विवाद चल रहा है. विवाद का प्रमुख कारण मेट्रो के पार्किंग शेड (Mumbai metro rail car shed) को आरे से कंजरमार्ग (Kanjurmarg) शिफ्ट करने का मामला है.
कार शेड की जगह को लेकर विवाद क्या है?
साल 2014 में मुंबई मेट्रो के विस्तार- वर्सोवा से घाटकोपर तक- परियोजना के तहत मेट्रो के पार्किंग शेड के लिए फिल्म सिटी गोरेगांव वाले इलाके की आरे कॉलोनी पसंद की गयी. आरे के इलाके को जंगल भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ 300 से ज्यादा पेड़-पौधों और जीवों की प्रजातियां रहती हैं.
मेट्रो शेड बनाने के लिए कंपनी को मैदानी इलाका चाहिए जिसके लिए आरे जंगल के पेड़ की कटाई जरूरी थी. शेड बनाने के लिए यहां 2702 पेड़ों की कटाई होनी थी. इस बात की खबर होने पर लोगों के तरफ से इस फैसले का विरोध हुआ. शिवसेना की युवा विंग युवा सेना और उसके नेता आदित्य ठाकरे इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे. विरोध करने वालों का तर्क था कि ये कदम मुंबई के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा. सरकार के इस कदम के खिलाफ मामला बॉम्बे हाईकोर्ट जा पहुंचा. लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दी. याचिकाएं खारिज होने के बाद पेड़ों की कटाई शुरू हो गई.
कोर्ट के आदेश के 24 घंटे के भीतर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही मुंबई मेट्रो रेल कोऑपरेशन लिमिटेड (MMRCL) ने इस इलाके के दो हजार से ज्यादा पेड़ काट दिए थे। अगले ही दिन याचिकाकर्ता हाईकोर्ट की विशेष पीठ पहुंचे। विशेष बेंच ने पेड़ काटने पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट का कहना था कि वह किसी मौखिक कथन पर कोई स्टे नहीं दे सकती।
बीएमसी द्वारा पेड़ काटने की मंजूरी देने और कोर्ट के आदेश का स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध किया था. आम लोगों के साथ ही कई पर्यावरणविद और बॉलीवुड हस्ती, जैसे फरहान अख्तर, श्रधा कपूर, दिया मिर्ज़ा; भी विरोध में सड़कों पर उतरे थे. इसी सिलसिले में लोगों ने ‘सेव आरे’ (Save Aare) कैम्पेन चलाया था. विरोध को दबाने के लिए फडणवीस सरकार ने धारा-144 लगा दी थी. और 29 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था. जिन्हें बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जमानत पर छोड़ा गया.
दो दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने और पेड़ काटने पर रोक लगा दी थी. महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि जितने पेड़ कटने थे वो काटे जा चुके हैं, अब और पेड़ नहीं काटे जाएंगे.
इस पूरी प्रक्रिया के एक महीने बाद नवंबर 2019 में राज्य में उद्धव ठाकरे सरकार सत्ता में आई. चुनाव के दौरान आदित्य ठाकरे ने मेट्रो कार शेड को आरे से कहीं और स्थांतरित करने वादा किया था. सत्ता में आने के एक दिन बाद 29 नवंबर 2019 को उद्धव ठाकरे ने फडणवीस सरकार के फैसले को पलट कर अपने वादे के अनुसार प्रोजेक्ट को आरे से कंजरमार्ग शिफ्ट कर दिया. साथ ही साथ आरे की करीब आठ सौ एकड़ जमीन को रिजर्व फॉरेस्ट घोषित कर दिया.
क्या रहा केंद्र सरकार का रूख:
उद्धव सरकार के फैसले के खिलाफ केंद्र ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका लगाई. केंद्र ने कंजरमार्ग में आवंटित की गई जमीन पर अपना दावा जताया. केंद्र की याचिका पर 16 दिसंबर 2020 को हाईकोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के आदेश पर स्टे लगा दिया. ये आदेश समय-समय पर बढ़ता रहा.
फिर 2022 में सत्ता बदलते ही डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मेट्रो कार शेड आरे में ही बनाए जाने की बात कही. नई सरकार की मंशा को देखते हुए पर्यावरण प्रेमियों ने रविवार को इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जिसका समर्थन आदित्य ठाकरे ने भी किया है. आदित्य ठाकरे ने सिलसिलेवार ट्वीट कर नई सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है.