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दुनिया भर की चाय की 100 किस्मों का अनुभव करा रहा है कविता माथुर का ये स्टार्टअप

चाय के जरिए खुद को स्थापित खर देश भर को कई तरह की चाय पिला रहा ये स्टार्टअप...

दुनिया भर की चाय की 100 किस्मों का अनुभव करा रहा है कविता माथुर का ये स्टार्टअप

Wednesday April 25, 2018 , 6 min Read

आज हम जिनकी बात कर रहे हैं उन्होंने चाय के जरिए न केवल खुद को स्थापित किया है बल्कि देश को कई प्रकार की चाय पिला रहे हैं। अक्सर कहा जाता है कि 40 की उम्र के बाद भारतीय दंपत्ती जबरदस्ती रिटायरमेंट लाइफ के सपने देखने लगते हैं। लेकिन उदय माथुर और उनकी पत्नी कविता ने इस उम्र के बाद भी कुछ नया करने की ठानी और इस बार उन्होंने अपने बेहद पसंदीदा पेय 'चाय' को ही अपना स्टार्टअप आइडिया बनाया।

कविता

कविता


अपनी यात्रा के दौरान, कविता ने पाया कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चाय को शौक के साथ पिया जाता है। इसने उन्हें चाय को बेहतर ढंग से समझने की अपनी खोज शुरू करने पर विवश कर दिया। भारत और विदेशों में यात्रा और चाय बागानों के दौरों के कुछ सालों बाद कविता के अंदर बिजनेस का विचार आया। 

चाय के शौकीन दुनियाभर में हैं। खासतौर पर भारत में चाय लोगों के टाइमपास का सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। चाय पर चर्चा के बारे में तो सुना ही होगा। अक्सर देश के गंभीर से गंभीर मुद्दों पर बहस चाय पर दौरान होती है। लेकिन ये भी सच है कि चाय के माध्यम से लोगों ने बड़े मुकाम हासिल किए हैं। आज हम जिनकी बात कर रहे हैं उन्होंने चाय के जरिए न केवल खुद को स्थापित किया है बल्कि देश को कई प्रकार की चाय पिला रहे हैं। अक्सर कहा जाता है कि 40 की उम्र के बाद भारतीय दंपत्ती जबरदस्ती रिटायरमेंट लाइफ के सपने देखने लगते हैं। लेकिन उदय माथुर और उनकी पत्नी कविता ने इस उम्र के बाद भी कुछ नया करने की ठानी और इस बार उन्होंने अपने बेहद पसंदीदा पेय 'चाय' को ही अपना स्टार्टअप आइडिया बनाया। उन्होंने टी ट्रेल्स नाम से एक स्टार्ट खोला। टी ट्रेल्स एक चाय श्रृंखला अर्थात टी-चैन है। जो दुनिया भर से बेहतरीन चाय की क्यूरेटेड रेंज प्रदान करती है।

कविता कहती हैं कि यह एक ऑथांटिक जापानी रेस्टोरेंट था जहां मैंने पहली बार समझा कि एक कप चाय का मतलब केवल टी बैग को कप में डुबाना और उसमें चीनी डालना ही नहीं होता है। बल्कि उससे भी आगे बहुत कुछ होता है। वे कहती हैं कि मुझे एक जापानी चाय समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था जिसमें औपचारिक तैयारी और मिलान-ग्रीन टी पाउडर की तैयारी शामिल थी। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि चाय पीना केवल डेली रुटीन का हिस्सा नहीं, बल्कि इमोशन है जो केवल चाय प्रेमियों को समझ में आ सकता है।

तब से, मैंने अपनी हर चाय को पीने से पहले उस पर शोध किया। इसमें ओलॉन्ग, दार्जिलिंग और अर्ल ग्रे से लेकर अदरक, घर पर इलाईची वाली चाय या मध्य पूर्व में सस्ती सड़क के किनारे मिलने वाली कड़क चाय शामिल थी। ऐसा करने से चाय के साथ मेरे अनुभव बढ़ते गए। इसी उत्साह को बरकरार रखने के लिए कविता माथुर टी-ट्रेल्स लेकर आईं। टी-ट्रेल्स चाय कैफे की एक विशेष श्रृंखला जिसे कविता और उनके सह-संस्थापक ने भारत में लॉन्च किया और फ्रैंचाइजी के माध्यम से पूरे देश में इसका स्वाद दे रहे हैं।

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अपनी यात्रा के दौरान, कविता ने पाया कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चाय को शौक के साथ पिया जाता है। इसने उन्हें चाय को बेहतर ढंग से समझने की अपनी खोज शुरू करने पर विवश कर दिया। भारत और विदेशों में यात्रा और चाय बागानों के दौरों के कुछ सालों बाद कविता के अंदर बिजनेस का विचार आया। वह, उनके पति, उदय माथुर, और पुराने मित्र व व्यापार सहयोगी गणेश विश्वनाथन और संजीव एस पोट्टी को अहसास हुआ कि कैसे पिछले कुछ वर्षों में कैफे युवाओं के लिए 'हैंगआउट' स्पॉट बन गए हैं।

भारत चीन के बाद चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन विडंबना यह है कि सभी बेहतरीन चाय पत्तियों का निर्यात किया जाता है। जब कैफे बाजार का विस्तार हो रहा था, तब भारत से कोई ऐसा शख्स सामने नहीं आया जो दुनिया को उत्तम चाय के कैफे पेश कर सके। इन सभी बातों ने इन चारो शख्स को लोगों की टेबल पर कुछ नया व अलग पेश करने के लिए प्रेरिता किया। 55 वर्षीय कविता माथुर पेशे से शिक्षाविद हैं और चाय की दुनिया में उतरने का फैसला करने से पहले वह प्री-स्कूल की सबसे बड़ी चैन यूरोकिड्स की संस्थापकों में से एक थीं। कविता बताती हैं कि "भारत में चाय व्यापार में कोई ब्रांडेड संगठन नहीं था और हमने इसे दुनिया भर से अपने ग्राहकों को चाय पिलाने के लिए एक चुनौती के रूप में लिया। चूंकि हम मुंबई से थे, इसलिए ठाणे में पहला चाय कैफे शुरू करना हमारी पहली पसंद थी।"

कविता ने आगे बताया कि कंपनी का मकसद साफ है। हमारी पहली रणनीति ग्राहकों को टी-बैग से दूर कर उन्हें पूरी पत्ती की चाय देना था। "चाय से जुड़े कई स्वास्थ्य लाभ हैं, इसलिए हमारे ग्राहक को शिक्षित करना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण था। हमने अपने कैफे को इस तरह से डिजाइन किया है कि ग्राहक चाय के स्वास्थ्य लाभ के बारे में आसानी से जान जाता है। साथ ही सुगंध, स्वाद और उत्तम चाय की 100 किस्मों का अनुभव करता है। हम चाय के साथ भोजन की पेशकश करने वाले इकलौते हैं।"

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टी ट्रेल्स ग्राहकों को विभिन्न मिश्रणों और अतिरिक्त स्वास्थ्य लाभों के साथ चाय की 100 से अधिक किस्मों का अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है। इनमें व्हाइट से ग्रीन टी और ओलॉन्ग से हर्बल टी तक की स्टाइल के साथ-साथ अदरक, पुदीना, पंच मसाला, केवल मसाला टी, लेमनग्रास शामिल हैं। चाय के अलावा कैफे के मेनू में कई विशेष चीजें शामिल हैं। जैसे बर्मीज टी सलाद, टी मार्बल्ड अंडे, टी इन्फ्यूज्ड थाई कटोरा आदि। कविता अपने स्टाफ को खुद ट्रेन करती हैं। ताकि वे ग्राहकों को सलाह दे सकें कि वे किस फूड के साथ कौन सी चाय का पेयर ऑर्डर कर सकते हैं।

जैसा कि कविता कहती हैं कि, "चाय का एक परफेक्ट कप तैयार करने में काफी कुछ लगता है। यह एक आर्ट और थोड़ी साइंस दोनों का मिश्रण है। न केवल चाय का बर्तन महत्वपूर्ण है, बल्कि पानी की गुणवत्ता, तापमान, चाय की पत्तियों की गुणवत्ता और मात्रा व बनाने का समय भी बहुत महत्वपूर्ण हैं।" टी ट्रेल्स कई वर्षों के फ्रैंचाइजी अनुभव वाले विशेषज्ञों की एक टीम के साथ काम करता है। ये 25 और 35 साल की उम्र के बीच युवाओं और ट्रैवल करने वाले व्यक्तियों को टार्गेट करते हैं। शुरुआत में टी ट्रेल्स को एचएनआई से फंडिंग मिली। कविता के अनुसार, इसकी सबसे बड़ी चुनौती और सफलता कॉफी के शौकीनों को चाय के प्रशंसकों में बदलना थी।

टी ट्रेल्स वर्तमान में भारत के आठ शहरों में 31 सफल आउटलेट संचालित करता है। अब इस ब्रांड ने एक अखिल भारतीय विस्तार रणनीति शुरू की है। जिसके तहत कंपनी के स्वामित्व वाली और फ्रेंचाइजीज आउटलेट के जरिए लोगों को विभिन्न प्रकार की चाय का स्वाद दिया जाएगा। प्रारंभिक चरण में, यह दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, विशाखापत्तनम, चेन्नई, बेंगलुरू और पुणे में आउटलेट खोल रहा है। ब्रांड 2020 तक 500 से अधिक आउटलेट तक नेटवर्क का विस्तार करने की योजना बना रहा है। कविता कहती हैं कि, "हम टी ट्रेल्स को टियर II और III शहरों में ले जाने की योजना बना रहे हैं और इस बिजनेस में लीडर बनना चाहते हैं।"

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