कृषि बजट पिछले 10 वित्त वर्ष में 11 गुणा बढ़कर 1.34 लाख करोड़ रुपये हुआ, नए कृषि सुधारों से काफी लाभ होगा : संतोष गंगवार
केंद्रीय श्रम मंत्री ने भारतीय मज़दूर संघ और पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलनों को संबोधित किया
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि नए कृषि कानूनों और श्रम सुधार कानूनों से किसानों तथा कामगारों को काफी लाभ होगा।
एनडीए सरकार की किसान हितैषी पहलों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि कृषि मंत्रालय का बजट 11 गुणा बढ़कर 1.34 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है, जो कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2009-10 में 12,000 करोड़ रुपये था।
उन्होंने कहा कि यह देश में किसानों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए गंगवार ने कहा कि नए कृषि कानूनों का उद्देश्य किसानों को देश में किसी भी तरह की उपज बेचने के लिए विपणन स्वतंत्रता प्रदान करना है। गंगवार ने इस बात पर जोर दिया कि किसान अब अपनी उपज दूसरे राज्यों में भी बेहतर दामों पर बेच सकेंगे।
केंद्रीय मंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म करने की आशंकाओं को भी दरकिनार करते हुए कहा कि यूपीए शासन काल की तुलना में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में काफी वृद्धि हुई है।
गंगवार ने पीएचडी चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के सम्मलेन में श्रमिकों से सम्बंधित प्रमुख श्रम कानूनों के लाभों के बारे में व्यापक रूप से चर्चा की और बाद में भारतीय मज़दूर संघ के राष्ट्रीय सम्मेलन में भी इस बारे में बातचीत की। उन्होंने कहा कि इन सुधारों से आने वाले दिनों में श्रमिकों को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। गंगवार ने यह भी बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीनों श्रम संहिताओं को अपनी सहमति दे दी है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अभूतपूर्व श्रम कल्याण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के अलावा इन श्रम संहिताओं से व्यापार को आसानी से आगे बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि उद्योग और कामगार एक दूसरे के पूरक हैं और इसलिए सभी को बदलते समय के साथ मिलकर काम करना होगा।
उन्होंने देश के अग्रणी उद्योगपतियों का आह्वान करते हुए कहा कि वे भारत को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के अंतिम लक्ष्य को हासिल करने के लिए आर्थिक प्रगति के लिए सरकार को सहायता प्रदान करें। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि, रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ-साथ कामकाजी स्थिति में भी सुधार लाने से वृद्धि और विस्तार में बढ़ोतरी होती है।
गंगवार ने सार्वभौमिक और अनिवार्य स्तर की मजदूरी, महिला कामगारों के लिए समान मजदूरी तथा काम करने के अवसर, नियुक्ति पत्र जारी करने, देश के विशाल कार्यबल के लिए ईपीएफ और ईएसआईसी के सामाजिक सुरक्षा तंत्र को बढ़ावा, जीआईजी मंच की उपलब्धि और बागान श्रमिकों सहित असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने आदि प्रावधानों का उल्लेख किया।
गंगवार ने असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा निधि, नौकरियां खोने वालों के लिए पुन कौशल निधि, प्रवासी श्रमिकों की व्यापक परिभाषा और बेहतर लक्ष्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए उनके डेटा संग्रह आदि प्रावधानों के लाभों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये सुधार तरक्की के नए रास्ते लाने वाले और परिवर्तनकारी हैं क्योंकि कुछ पुराने कानून पिछले 73 वर्षों से अस्तित्व में हैं और ये सुधारों का इंतजार कर रहे हैं।
गंगवार ने कहा कि पहले एक पंजीकरण, एक लाइसेंस, एक रिटर्न के स्थान पर रिटर्न की एक नई व्यवस्था करके कारोबार करने में आसानी सुनिश्चित करने के प्रयास भी किए गए हैं। गंगवार ने यह भी कहा कि इन कानूनों को अंतिम रूप देने से पहले सभी हितधारकों के बीच व्यापक विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने अफसोस जताया कि विपक्ष ने संसद में इन विधेयकों पर चर्चा नहीं करने का फैसला किया था जिससे न केवल करोड़ों लोगों के हित को ऐतिहासिक लाभ मिलता बल्कि पहले से जारी कई सुधार भी मिलते।
गंगवार ने असंगठित क्षेत्र में कामगारों के लिए पेंशन योजना प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना जैसे पहले से किए गए उपायों का हवाला देते हुए कामगारों के कल्याण के लिए वर्तमान सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है, ईपीएफ और ईएसआईसी सेवाओं की पोर्टेबिलिटी और विस्तार हो रहा है और महिलाओं को खानों में काम करने का अधिकार देना जैसे कई महत्वपूर्ण उपाय किए गए हैं।
मजदूरी पर संहिता के अलावा पिछले साल तीन प्रमुख श्रम कानूनों को अधिनियमित किया गया था। सामाजिक सुरक्षा पर संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा स्वास्थ्य और कामकाजी परिस्थितियों पर संहिता को संसद द्वारा पारित किया गया और हाल ही में अधिनियमित किया गया है।
(सौजन्य से- PIB_Delhi)