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आकाशवाणी ने इस साल कुछ इस तरह मनाया विश्व ब्रेल दिवस; दृष्टि दिव्यांगों ने ब्रेल लिपि में पढ़े समाचार

आकाशवाणी ने इस साल कुछ इस तरह मनाया विश्व ब्रेल दिवस; दृष्टि दिव्यांगों ने ब्रेल लिपि में पढ़े समाचार

Tuesday January 07, 2020 , 2 min Read

आकाशवाणी समाचार और पुणे एवं नागपुर की क्षेत्रीय इकाइयों ने दृष्टि-बाधित छात्रों और अधिकारियों द्वारा समाचारों का प्रसारण करके विश्व ब्रेल दिवस को अभिनव तरीके से मनाया। समाचार को ब्रेल में लिपिबद्ध किया गया था और इन्हें लाइव पढ़ा गया।


दिल्ली से सुबह 11 बजे का पांच मिनट का हिंदी बुलेटिन दृष्टिबाधित अधिकारी कमल प्रजापति ने पढ़ा।


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दिल्ली से सुबह 11 बजे का पांच मिनट का हिंदी बुलेटिन पढ़ते हुए दृष्टिबाधित अधिकारी कमल प्रजापति



मराठी में समाचारों का सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर पुणे से लाइव प्रसारण हुआ और इसे दृष्टि बाधित छात्रों गुलाब काम्बले एवं कविता गवली द्वारा प्रस्तुत किया गया। ये छात्र पुणे ब्लाइंड मेन्स एसोसिएशन के थे। आकाशवाणी का पुणे केन्द्र 2016 से ब्रेल लिपि में समाचारों को प्रसारित कर रहा है। पुणे इकाई की इस अनूठे प्रयास के लिए सराहना की गई है।


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आकाशवाणी की नागपुर इकाई में सुश्री सलोली कपगटे ने आज सुबह 11 बजकर 58 मिनट पर दो मिनट का एफएम समाचार पढ़ा। उन्होंने अपने प्रशिक्षक सुश्री कंचन नाजपांडे की मदद से ब्रेल लिपि में समाचार पढ़े। दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने और उनकी मुख्यधारा में उपस्थिति को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया गया था।

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इस अवसर पर आकाशवाणी समाचार की प्रधान महानिदेशक इरा जोशी ने कहा कि आकाशवाणी एक समावेशी माध्यम है और दृष्टि दिव्यांगजनों तक इसकी पहुंच सबसे आसान है।


उन्होंने कहा कि ब्रेल दिवस जैसे अवसर हमें समावेशी और सुगम्य समाज बनाने के प्रति पुनःसमर्पण का मौका देते हैं।


उन्होंने कहा कि दृष्टिबाधित लोगों को समाचार संकलन का हिस्सा बनाने से न केवल उनमें आत्मविश्वास पैदा होता है बल्कि श्रोताओं और समाचार कक्ष में अन्य लोगों को दिव्यांगजनों की जरूरतों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। उन्होंने कहा कि सुगम्य प्रसारण, 2015 में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए सुगम्य भारत अभियान का प्रतिबिम्ब है।


आपको बता दें कि हर साल 4 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है। दृष्टि बाधित लोगों के लिए ब्रेल लिपि विकसित करने वाले लुई ब्रेल की जयंती के अवसर पर यह दिवस मनाया जाता है। लुई ब्रेल का जन्म उत्तरी फ्रांस के कूपवरे (Coupvray) शहर में चार जनवरी 1809 को हुआ था। तीन वर्ष की अल्प आयु में एक दुर्घटना में उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी। इसके उपरांत छह उभरे हुए बिंदुओं की भाषा विकसित की गई जिसे ब्रेल के नाम से जाना जाता है।


सौजन्य से: PIB_Delhi