5 से 15 अगस्त: देश के सभी ऐतिहासिक स्मारकों और म्यूजियम में फ्री एंट्री
देश में कुल 3691 ऐतिहासिक स्मारक और 50 संग्रहालय मौजूद हैं. बहुत मुमकिन है कि आप इन सारे जगहों पर न गए हों. टी.वी. और फिल्मों से इतर एक और तरीका है अपने देश के इतिहास और जानने और समझने का- इतिहास के साक्षी रहे हमारी ऐतिहासिक इमारतें और उस इतिहास कर संयोग कर रखने वाले हमारे संग्रहालय. इन इमारतों ने आज़ादी की लड़ाइयां तो देखी ही, साथ ही बहुत से अंदरूनी उतार-चढ़ाव भी देखे. साहस और दृढ़ संकल्प की कहानियां कहती ये इमारतें हमें प्रेरित करती हैं. ऐतिहासिक स्मारकों को देखने का कोई ख़ास वक़्त तो नहीं होता लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर हमें इन्हें याद करने की एक वजह मिल ही जाती है.
इन ऐतिहासिक स्मारकों की रख-रखाव सांकृतिक मंत्रालय के अंतर्गत भारत का पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करता है.
पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का इतिहास?
भारत में जब अंग्रेजों का शासन था तो उन्होंने 1767 में देहरादून में सर्वे ऑफ़ इंडिया की स्थापना की जिसे पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भी कहा जाता है. इस विभाग का काम ऐतिहासिक इमारतों को संरक्षित करना होता है जिसके अंतर्गत वे यह देखते हैं कि कौन सी ईमारत कितनी पुरानी है, किसकी क्या खासियत है, कब बनी, किसने बनवायी, क्यों बनवायी इत्यादि. स्वतंत्रता के बाद इस संस्था ने बहुत सी इमारतें और ढूंढें और उनका रख-रखाव कर उनको नया जीवन दिया. भारत में कई स्मारकें ऐसी हैं जिसे यूनेस्को ने विश्व विराषत घोषित किया है.
इसके साथ ही इतिहास तो संजोग कर रखने में संग्रहालयों की भूमिका भी बड़ी अहम् होती है. संग्रहालय दुर्लभ अभिलेखीय सामग्री, जैसे कि पुस्तकें, चित्रों, पत्रों, समाचार पत्रों की कतराने और अन्य दस्तावेजों को सहेज कर रखने का काम करता है.
बहरहाल, आजादी के 75 साल पुरे होने पर आज़ादी का अमृत महोत्सव समारोह के हिस्से के रूप में, इन स्मारकों और संग्रहालयों का दीदार करने की भारत सरकार ने हमें एक और वजह दे दी है. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने देश भर के सभी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण-संरक्षित स्मारकों और स्थलों में मुफ्त प्रवेश की घोषणा की है. 5 से 15 अगस्त तक किसी भी टिकट वाले इन जगहों पर निःशुल्क प्रवेश दिया जाएगा. ताजमहल, कुतब मीनार, बहाई मंदिर, गोवा के पुराने चर्च, अजंता-एलोरा की गुफाएं, विक्टोरिया मेमोरियल, चारमिनार, बसगो मोनास्टरी, उनडावल्ली गुफाएं, कोणार्क मंदिर या ऐसे पुरे देश भर में किसी भी ऐतिहासिक स्मारक और संग्रहालय में आप इन दस दिनों के लिए बिना पैसे खर्च किये जा सकते हैं. इस पहल के पीछे सरकार की लोगों में संस्कृति और देश की ऐतिहासिक उपलब्धियों के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता लाने की कोशिश है.