अमेरिका में सस्ते हो रहे किराये के घर, नोबल जीतने वाले अर्थशास्त्री बोले- महंगाई में सुधार का इशारा
नोबल प्राइज विजेता पॉल क्रुगमैन ने ट्वीट कर कहा है कि अमेरिका में हाउसिंग रेंटल में कमी आना महंगाई के सामान्य स्तर पर जाने का संकेत हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी की रफ्तार थाम सकता है.
कोविड महामारी तो खत्म हो गई मगर तमाम देशों के सामने छोड़ गई महंगाई की मार. संक्रमण के मामले कम होने के साथ जैसे ही स्थितियां सामान्य होने लगीं खासकर अमेरिका, यूरोप जैसे विकसित देशों में तमाम चीजों के दाम आसमान छूने लगे. जिसका असर भारत पर भी पड़ा. हालांकि अब अमेरिका से एक राहत भरी खबर आ रही है.
बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में घरों के किराये में गिरावट का ट्रेंड देखा गया है. नोबल प्राइज विजेता पॉल क्रुगमैन कहते हैं कि किराये में कमी आना ये दिखाता है कि अमेरिका में महंगाई अब धीरे-धीरे सामान्य स्तर पर पहुंच रही है.
किराये में मामूली सी भी कमी महंगाई के मोर्चे पर बहुत बड़ी राहत दे सकती है. अगर ऐसा होता है तो फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी के सिलसिले को रोक सकता है. उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि अपार्टमेंट्स के किराये आर्थिक नीतियों के लिए लोगों की उम्मीद से कहीं ज्यादा अहम होते हैं. किसी भी तरह की प्रॉपर्टी हो उसका किराया महंगाई को मापने वाले सभी मानदंडों पर अच्छा खासा असर डालता है.
क्रुगमैन ने अपने ट्वीट के साथ एक रिपोर्ट भी साझा कि जिसके मुताबिक वहां घरों के किराये 0.1% घटे हैं. वहीं नैशविल और ऑस्टिन जैसे शहरों में तो किराया 1% से ज्यादा घटा है. हालांकि निवेशकों को अमेरिका से महंगाई के आंकड़ों का इंतजार है. इकनॉमिस्ट्स को अनुमान है कि अगस्त में महंगाई घटकर 8.1% पर आ सकती है जो जुलाई में 8.5% थी.
अगर इंडिया की बात करें तो यहां फिलहाल महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं नजर आ रहे. भारत में सोमवार को ही अगस्त में महंगाई के आंकड़े आए हैं. उसके मुताबिक अगस्त में महंगाई बढ़कर 7 फीसदी पर पहुंच गई है. जुलाई में यह 6.71 फीसदी थी. यानी की महंगाई बीते महीने बढ़ी है.
अब अगर हाउसिंग मार्केट पर नजर डालें तो एनॉरॉक की रिपोर्ट के मुताबिक जून तिमाही में इंडिया के टॉप सात शहरों में किराये के घरों की डिमांड 2019 में कोविड के समय के मुकाबले 10 से 20 फीसदी बढ़ी है.
कई जगहों पर हाल इतना बुरा है कि लोगों किराये पर रहने के लिए घर ही नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में किराये में उछाल आना लाजिमी है. इससे पहले मार्च तिमाही में टॉप 13 शहरों में रेंटल हाउसिंग डिमांड में 15.8 पर्सेंट की तेजी देखी गई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा रेंटल हाउसिंग की डिमांड बेंगलुरु और मुंबई से आई है. दोनों ही शहरों में डिमांड में 15 से 20 फीसदी का उछाल आया है. जबकि एनसीआर के इलाकों में यह 10 से 15 फीसदी बढ़ा है. इसी तरह पुणे में 10 से 20 फीसदी ज्यादा डिमांड आई है.
कोलकाता और हैदराबाद में रेंटल घरों की डिमांड 5 से 10 पर्सेंट का इजाफा हुआ है. यह 2019 की डिमांड से 10 फीसदी ज्यादा है. मैजिकब्रिक्स ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा था कि इंडिया में रेंटल हाउसिंग की सर्च जून तिमाही में सालाना आधार पर 84.4 पर्सेंट का इजाफा नजर आया है. जबकि मार्च तिमाही के मुकाबले यह 29.4 पर्सेंट है.
हाउसिंग मार्केट पर रिसर्च करने वाली कई कंपनियों का ऐसा मानना है कि कोविड के बाद अब कंपनियां अपने एंप्लॉयीज को वापस ऑफिस बुला रही हैं. जो लोग वर्क फ्रॉम होम की वजह से घर चले गए थे वो लोग अब लौट रहे हैं, और किराये के घरों की तलाश कर रहे हैं. ये ट्रेंड खासकर उन शहरों में देखने को मिल रहा है जहां कई कंपनियों के ऑफिस हैं.
कुल मिलाकर ये कहना अभी बहुत मुश्किल है कि महंगाई असल में कब तक सामान्य स्तर पर आएगी. लेकिन उम्मीद की जा सकती है की क्रुगमैन में अमेरिका में महंगाई के नीचे आने का जो अनुमान लगाया है वो सच साबित हो. अगर ऐसा होता है तो इंडिया पर भी इसका फायदा दिखने के आसार होंगे.
Edited by Upasana