हैट बनाने वाले एक अंग्रेज ने बनाया था भारत का पहला आम बजट
हैट मेकर के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले जेम्स विलसन ने सन् 1860 में भारत का पहला बजट तैयार किया था। वह एक ऐसी शख्सियत रहे, जिन्हे मैग्जीन 'द इकनॉमिस्ट' और आज के मशहूर स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की स्थापना का भी श्रेय जाता है। इस बार मोदी सरकार 05 जुलाई को संसद में आम बजट पेश करने जा रही है।
लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीतकर आई मोदी सरकार अगले महीने की पांच तारीख़ को आम बजट पेश करने जा रही है। ऐसे में 'बजट' शब्द और भारत के 'पहले' बजट की चर्चाएं भी सुर्खियों में हैं। बजट शब्द फ्रेंच के 'बूजे' से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है छोटा थैला। इंग्लैंड के पूर्व वित्त मंत्री सर रॉबर्ट वालपोल ने सन् 1733 में अपने बजट प्रस्ताव के कागजात एक थैले में रख कर सदन में पेश किया था।
दूसरा, महत्वपूर्ण प्रश्न है, देश का पहला बजट किसने बनाा था, तो जवाब है, एक हैट-मेकर के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले जेम्स विलसन ने सन् 1860 में भारत का पहला बजट तैयार किया था। उन्ही को मैग्जीन 'द इकनॉमिस्ट' और आज के मशहूर स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की स्थापना का भी श्रेय है। भारत में जब सन् 1857 के गदर में अंग्रेजी हुकूमत का खजाना छिन्न-भिन्न होने लगा था, उसे संभालने के लिए ही जेम्स विलसन भारत में पहली बार सन् 1860 के दशक में इनकम टैक्स कानून लेकर आए, जिसकी वजह से भारी विवाद पैदा हो गया। जेम्स विलसन का तर्क था कि चूंकि अंग्रेज सरकार भारतीयों को व्यापार करने के लिए सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराती है, इसलिए इनकम टैक्स वसूलना उसका हक और अधिकार है।
भारत का पहला बजट ब्रिटिश वायसराय के काउंसिल मेंबर (फाइनेंस) जेम्स विल्सन ने पेश किया। यह प्रक्रिया 18 फरवरी 1860 को शुरू हुई थी। हालांकि इस दौरान 1867 तक वित्त वर्ष की अवधि 1 मई से 30 अप्रैल तक होती थी, लेकिन समय के साथ काफी कुछ बदला। इसके बाद भारत में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के लिए वित्त वर्ष की शुरुआत 1867 से हुई। इसके बाद देश में आजादी का दौर आया, जिसमें आजादी से पहले भारत का अंतरिम सरकार का बजट लियाकत अली खां ने पेश किया था।
जेम्स विलसन के उस बजट ने भारत को वित्तीय शासन का एक कारगर शस्त्र दे दिया। बजट का अहम हिस्सा इनकम टैक्स कानून भारत के कारोबारियों के साथ-साथ जमींदारों को भी रास नहीं आया था। कनाडा के दो शोधार्थियों ने 1843-1860 के बीच भारत पर लिखे जेम्स विल्सन के लेखों का विश्लेषण किया, जो आज से तीन साल पहले प्रकाशित हुआ। उस शोध लेख के मुताबिक, 19वीं सदी में राजनीतिक अर्थशास्त्र के उदार विचार लाइसेज-फेयर का समर्थन करते थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अर्थव्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप को अपनाया। इस वजह से लोगों पर कर का बोझ बढ़ाया गया। उस लेख के मुताबिक, करों के इस अंतर को नस्ल के प्रति अंग्रेजों के रुख से भी समझा जा सकता है।
भारत का पहला बजट बनाने वाले जेम्स विल्सन ने कई वर्षों तक फाइनेंस और इकनॉमिक्स का गहरा अध्ययन किया। वह ब्रिटेन की ट्रेजरी के फाइनेंस सेक्रेटरी और बोर्ड ऑफ ट्रेड के वाइस-प्रेजिडेंट भी थे। इसके साथ ही ब्रिटेन की संसद के सदस्य भी। विलसन के उत्तराधिकारी सर रिचर्ड टेंपल ने अपनी किताब फाइनेंशियल फाउंडेशन ऑफ़ द ब्रिटिश राज में इस बारे में लिखा था कि विलसन ने भारत में पहली बार वित्तीय बजट शुरू किया, जो ब्रिटिश पैटर्न पर आधारित था।
आजादी के ठीक बाद भारत का पहला अंतरिम बजट आर.के. षण्मुखम शेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को सदन में पेश किया था। तब से लेकर आज तक आम बजट के स्व्रूप में काफी कुछ बदलाव आ चुका है। पहले आम बजट के दस्तावेज हिंदी में वित्ते वर्ष 1955-56 से होते और यहीं से ब्लैथक मनी उजागर करने की स्कीम शुरू की गई थी। इसके बाद राजीव गांधी ने 1987 के बजट में काफी बदलाव किया। उन्होंचने पहली बार कॉरपोरेट टैक्स का न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स पेश किया था। इसके बाद केंद्रीय बजट में 1994 में सर्विस टैक्सर का का आप्शरन जोड़ा गया। पहले बजट फरवरी के अंतिम दिन शाम पांच बजे से पेश किया जाता था। बाद में वर्ष 2001 से यह संसद में सुबह11 बजे पेश होने लगा।