पीएम मोदी के स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज की हकीकत बना अंकित का 'यूनीको'
पीएम नरेंद्र मोदी का 'स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज' गौतमबुद्ध नगर में स्टार्टअप 'यूनीको' के अलावा, छत्तीसगढ़ के अधीश ठाकुर, गौरव आहूजा और भोपाल के अभिषेक गुप्ता का सिंगल यूज प्लास्टिक विरोधी हकीकत बन चुका है। पचास हजार की लागत से शुरू 'यूनीको' की कुल पूंजी तो एक ही साल में 35 लाख तक पहुंच चुकी है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने जो 'स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज' का आह्वान करते हुए उसमें सरकार से हर तरह की मदद मिलने के लिए आश्वत किया था, वह पहल अब स्टार्टअप सेक्टर में भी खुलकर रंग लाने लगी है। गौतमबुद्ध नगर (उ.प्र.) में मात्र 50 हजार की लागत से शुरू हुए, वहां के युवा उद्यमी अंकित और अतुल त्रिपाठी के स्टार्टअप 'यूनीको' की एक ही साल में कुल पूंजी 35 लाख तक पहुंच चुकी है।
अंकित ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। यह स्टार्टअप भी पीएम नरेंद्र मोदी के प्लास्टिक विरोधी अभियान से प्रेरित है, जो वैकल्पिक उत्पाद तैयार कर रहा है। इक्कीस वर्षीय अंकित कहते हैं, नियमित प्रयोग में इस्तेमाल होनी वाली वन टाइम प्लास्टिक को बाय-बाय कहना ही होगा। ऐसा नहीं है कि हमारे पास विकल्प उपलब्ध नहीं हैं, बस एक कोशिश जरूरी है।
अंकित प्लास्टिक, भुट्टे के छिलके, लकड़ी के बुरादा, रद्दी थर्माकोल आदि इकट्ठे कर वैकल्पिक उत्पाद तैयार कर रहे हैं। वह रद्दी अखबार और तरह तरह के पौधों के बीज से पेन और प्लास्टिक फ्री फोल्डर, डायरी, विजिटिंग कार्ड, आइकार्ड आदि ऐसे 40 से अधिक किस्म के सामान बना रहे हैं। उनके उत्पाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उनके उत्पाद ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं। उनके स्टार्टअप (वर्कशॉप) में वंचित परिवारों की महिलाओं को रोजगार भी मिला हुआ है। दिल्ली विश्वविद्यालय सहित कई बड़े संस्थानों के छात्र यूनीको में इंटर्नशिप कर रहे हैं।
इसी तरह रायपुर (छत्तीसगढ़) के दो युवाओं अधीश ठाकुर और गौरव आहूजा ने सिंगल यूज प्लास्टिक से टी-शर्ट और प्लास्टिक के बजाय सुपाड़ी की छाल से डिस्पोजेबल कप, प्लेटें और थालियां बनाने का स्टार्टअप शुरू किया है। अपनी पत्नी नीलिमा के साथ स्टार्टअप चला रहे अधीश ठाकुर बताते हैं कि मात्र आठ-दस प्लास्टिक की बोतलों से एक टी-शर्ट तैयार हो जाती है। काम शुरू करने से पहले इस कपल ने रीसाइकल्ड पॉलीएस्टर पर रिसर्च, फिर चेन्नई में रीसाइक्लिंग स्टैंडर्ड की मदद से पॉलीएस्टर से टी-शर्ट तैयार की, जो किसी भी आम टी-शर्ट की तरह ही अलग-अलग रंग और डिजाइन में होती है। गौरव आहूजा कहते हैं कि सुपाड़ी की छाल से तैयार थाली यदि मवेशी खा भी लें तो उसका उनकी सेहत पर कोई असर नहीं होता है और उससे तीस दिन में खाद बन जाती है।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में पीएम मोदी देश के युवाओं से आह्वान कर चुके हैं कि वे अपने नए स्टार्ट अप के जरिए सरकार की मदद करें। इसीलिए उन्होंने स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज की शुरुआत की है। युवा अपने स्टार्टअप से प्लास्टिक की थैलियों का सस्ता और सुलभ विकल्प सामने लाएं। ऐसे स्टार्टअप को सरकार गंभीरता से मदद करना चाहती है। इसके लिए जरूरी हुआ तो सरकार ही उनके निवेश की व्यवस्था भी कर सकती है। इससे देश में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज उनकी सरकार के बड़े फैसलों में से एक है। उन्होंने कहा कि आज प्लास्टिक की समस्या समय के साथ गंभीर होती जा रही है। प्लास्टिक पशुओं की मौत का कारण बन रही है। जलीय जीव इसके शिकार हो रहे हैं।
भोपाल के युवा अभिषेक गुप्ता ने तो बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरुक करने के लिए गोपाला किड्ज कार्टून स्टार्टअप शुरू किया है। उनकी यह स्टार्टअप सीरिज खासकर यू-ट्यूब पर बच्चों में खूब पॉपुलर हो रही है। थ्रीडी-एनिमेशन वाली इस यूट्यूब सीरीज में गीत-संगीत के जरिए बच्चों को सजग कर प्लास्टिक के उपयोग से बचने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अभिषेक ने इसे अभी इसी माह 01 अक्तूबर को लांच किया है। अभिषेक कम से कम दस लाख बच्चों तक इस सिरीज के माध्यम से पीएम का सफाई का संदेश पहुंचाना चाहते हैं।