इंडियन नेवी की नई उपलब्धि: DSRV पनडुब्बी हुई बेड़े मे ंशामिल
अमेरिका, इंग्लैंड और रूस जैसे देशों की बराबरी
इंडियन नेवी के बेड़े में यह पोत शामिल होने से भारत अब अमेरिका, इंग्लैंड, रूस, चीन, फ्रांस और जर्मनी जैसे चुनिंदा देशों की श्रेणी में आ गया है। इन देशों के पास पहले से खुद का पनडुब्बी बचाव पोत है।
भारतीय नौसेना द्वारा गहरे समुद्र में चलने वाली पनडुब्बी के बचाव की क्षमता हासिल करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। भारतीय नौसेना समेत सिन्धुघोष, शिशुकुमार, कलवाड़ी वर्गों की पनडुब्बियों के साथ-साथ परमाणु शक्ति वाली पनडुब्बियों का संचालन करती है।
भारत ने नौसेना के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि हासिल की है। बुधवार को पनडुब्बी बचाव पोत (DSRV) देश को समर्पित कर दी गई। यह पोत समुद्र की गहराई में 650 मीटर से अधिक गोता लगाने में सक्षम है। इससे मुश्किल समय में पनडुब्बियों के दुर्घटनाग्रस्त होने पर गहराई तक पहुंचने में आसानी होगी और फंसे लोगों को आसानी से बचाया जा सकेगा। इंडियन नेवी के बेड़े में यह पोत शामिल होने से भारत अब अमेरिका, इंग्लैंड, रूस, चीन, फ्रांस और जर्मनी जैसे चुनिंदा देशों की श्रेणी में आ गया है। इन देशों के पास पहले से खुद का पनडुब्बी बचाव पोत है।
नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा ने गहरे समुद्र में पहली पनडुब्बी बचाव प्रणाली को मुम्बई की नौसेना गोदी में औपचारिक रूप से शामिल किया। भारतीय नौसेना द्वारा गहरे समुद्र में चलने वाली पनडुब्बी के बचाव की क्षमता हासिल करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। भारतीय नौसेना समेत सिन्धुघोष, शिशुकुमार, कलवाड़ी वर्गों की पनडुब्बियों के साथ-साथ परमाणु शक्ति वाली पनडुब्बियों का संचालन करती है। पनडुब्बियों द्वारा अपनाये जाने वाले संचालन माध्यम और उसकी प्रकृति उन्हें उच्च जोखिम लेने योग्य बनाती है। ऐसी स्थिति में खराब पनडुब्बी के लिए समुद्र में तलाशी और बचाव के परम्परागत तरीके निष्प्रभावी हो जाते है। इस खाई को पांटने के लिए नौसेना ने तीसरी पीढ़ी की, आधुनिक पनडुब्बी बचाव प्रणाली प्राप्त की है।
भारतीय नौसेना ऐसे देशों की लीग में शामिल हो गई है, जिनके पास खराब पनडुब्बी से चालक दल की तलाश करने, उसका पता लगाने और बचाव की उत्तम क्षमता है। भारतीय नौसेना द्वारा प्राप्त इस नई क्षमता का संचालन और उसकी तैनाती भारतीय नौसेना की नवगठित पनडुब्बी बचाव इकाई (पश्चिम) के चालक दल द्वारा मुम्बई में अपने केन्द्र से किया जाएगा।
नौसेना की गहरे समुद्र में पनडुब्बी की बचाव प्रणाली को विश्व भर में वर्तमान में संचालित अत्याधुनिक प्रणालियों में से एक माना जा रहा है। यह किसी खराब पनडुब्बी को 650 मीटर गहरे समुद्र में बचा सकती है। इस अवसर पर आयोजित समारोह में फ्लैग ऑफिसर, कमांडिंग इन चीफ, पश्चिमी नौसेना कमान वाइस एडमिरल गिरिश लूथरा भी मौजूद थे।
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