भूख लगी हो तो ये हेल्थी स्नैक खाकर देखिए, चिप्स और बिस्किट को जाएंगे भूल
चाहे भूख मिटानी हो या थोड़ी सी मिठास की जरूरत हो, 'हुदा बार' नाम का एक नया प्रॉडक्ट आपकी सारी शिकायतों को दूर कर देगा। हुदा बार देखने में जितना अनोखा है इसके बनने की कहानी उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प है।
इसमें कैल्शियम और फाइबर, कॉम्प्लेक्स कार्ब्स और प्रोटीन अच्छी मात्रा में हैं। यानी छोटे से पैकेट में इतना सब कुछ। इतना ही नहीं इसमें कोई ऐडेड फ्लेवर्स नहीं होते और बिना प्रिजर्वेटिव्स के बने होते हैं। जितनी सामग्री पैकेट पर लिखी होती है उनका स्वाद आप महसूस कर सकते हैं।
घर से बाहर रहने पर जब कभी हमें हल्की भूख लगती है तो हमारा ध्यान अक्सर ही दुकान में रखे चिप्स, चॉकलेट या बिस्किट जैसी चीजों पर जाता है। हमें ये भी पता होता है कि ये स्नैक्स स्वास्थ्य के लिए तनिक भी फायदेमंद नहीं होते। इनसे केवल भूख मिट सकती है वो भी सिर्फ थोड़ी देर के लिए। लेकिन मार्केट में अच्छे विकल्प भी नहीं होते जिस वजह से कई बार हमें मजबूरन इन्हें खाना पड़ता है। अगर आपने कभी ये चाहा है कि कुछ ऐसा खाने को मिल जाए जिससे भूख भी अच्छे से मिट जाए और स्वास्थ्य भी अच्छा रहे तो हम आपको आज ऐसे ही एक विकल्प के बारे में बताने जा रहे हैं।
चाहे भूख मिटानी हो या थोड़ी सी मिठास की जरूरत हो, 'हुदा बार' नाम का एक नया प्रॉडक्ट आपकी सारी शिकायतों को दूर कर देगा। हुदा बार देखने में जितना अनोखा है इसके बनने की कहानी उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प है। 'हुदा बार' की स्थापना हुदा मसूद ने की थी जो कि शोधकर्ता रह चुकी हैं। हुदा ने डेंटिस्ट्री में अपना ग्रैजुएशन किया और फिर स्टेम सेल रीजेनरेटिव मेडिसिन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। इसके बाद वह हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में रिसर्चर के तौर पर काम करती रहीं। यहां काम करने के बाद वह बेंगलुरु शिफ्ट हो गईं और ह्यूमन स्टेम सेल पर काम करने लगीं।
बेंगलुरु में काम करने के दौरान अपने अनुभव साझा करते हुए वे बताती हैं, 'कई बार ऐसा होता था कि ब्रेकफास्ट नहीं मिल पाता था। सोकर उठने के बाद इतना आलस आता था कि खुद से ब्रेकफास्ट तैयार करने की हिम्मत भी नहीं पड़ती थी। इस हालत में फिर ऐसे ही ऑफिस जाना पड़ता था।' लेकिन ऑफिस में खाना और भी बुरा होता था। हुदा बताती हैं कि ऑफिस का खाना ऑयली और अनहेल्थी होता था, जिसे खाने के बाद उन्हें नींद आने लगती थी। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने एक उपाय सोचा। उन्होंने कुछ ड्राई फ्रूट्स, शहद और खजूर को मिलाकर एक बार बनाया जो किसी चॉकलेट बार की तरह ही दिखता था, लेकिन टेस्ट और हेल्थ में उससे कहीं बेहतर।
हुदा की इस समस्या का तो समाधान हो गया, लेकिन इसी दौरान एक बुरी खबर आई। दरअसल उसी वक्त भारत सरकार ने स्टेम सेल पर होने वाले रिसर्च पर रोक लगा दी और हुदा की तरह ही कई लोगों की नौकरी चली गई। वे बताती हैं, 'मैंने जिस क्षेत्र में पढ़ाई की उसमें स्कोप ही खत्म हो गया। मैं कुछ और करना भी नहीं चाहती थी।'
हुदा को बाइक चलाने का भी शौक है और वे एक ट्रैवलर ग्रुप का हिस्सा भी हैं। उन्होंने ट्रैवल ग्रुप के कुछ लोगों को अपने हाथों से बनाए 'हुदा बार' दिए थे। कुछ दिन बाद उनके पास ट्रैवलर के फोन आने लगे कि उन्हें और 'हुदा बार' चाहिए। इसी दौरान मसूद को लगा कि नौकरी खोजने के बजाय क्यों न इस हैल्थी स्नैक बार को बनाकर भी पैसे कमाए जाएं।
उनके पति ने भी उनका साथ दिया और दोनों ने घर पर ही हुदा बार के नाम से प्रोडक्शन शुरू कर दिया। ये सारा काम शुरू से लेकर अब तक हाथों से ही होता है। धीरे-धीरे उनकी बिक्री बढ़ने लगी। इसी बीच उनके पास 10,000 पीस का एक ऑर्डर आ गया। पहले तो उन्हें लगा कि वे यह ऑर्डर पूरा नहीं कर पाएंगी क्योंकि उनके पास इतने संसाधन नहीं थे। लेकिन उनके पति ने उन्हें अपनी टीम बढ़ाने का आइडिया दिया। वे रोज सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक सिर्फ बार्स ही तैयार करते। सिर्फ कुछ ही दिनों में ही उन्होंने 10,000 पीस तैयार कर दिए।
अब उनके पास ढेर सारे ऑर्डर आने लगे थे। उन्होंने अपनी वेबसाइट तैयार की और इस प्रॉडक्ट को नए लेवल तक पहुंचाने का ख्वाब देखा। ट्रैवलर ग्रुप के लोग उनसे कहते थे कि वे एक हफ्ते या महीने की यात्रा पर जा रहे हैं और उन्हें कुछ बार की जरूरत है। हुदा कहती हैं, 'हम चाहते हैं कि जब लोग ट्रैवल करें तो उन्हें खाने के लिए कहीं भटकना न पड़े। बस पैकेट खोलो और भूख मिट जाए। जिसके पास वक्त नहीं है लेकिन वे हेल्थी खाना पसंद करते हैं, ये बार उन्हीं के लिए हैं। यहां तक कि बच्चों को जन्म देने वाली मां के लिए ये बेस्ट हैं।'
वे बताती हैं कि इसमें कैल्शियम और फाइबर, कॉम्प्लेक्स कार्ब्स और प्रोटीन अच्छी मात्रा में हैं। यानी छोटे से पैकेट में इतना सब कुछ। इतना ही नहीं इसमें कोई ऐडेड फ्लेवर्स नहीं होते और बिना प्रिजर्वेटिव्स के बने होते हैं। जितनी सामग्री पैकेट पर लिखी होती है उनका स्वाद आप महसूस कर सकते हैं। लोगों ने शुरू में कहा कि अगर रिटेल स्टोर में ये नहीं बिके तो आप सर्वाइव नहीं कर पाएंगे लेकिन हुदा ने इन्हें सिर्फ ऑनलाइन तक ही सीमित रखा और आज वे अच्छा प्रॉडक्शन कर रही हैं। खास बात ये है कि आज भी ये प्रॉडक्ट हाथ से बनते हैं।
हुदा कहती हैं कि हमारा प्रचार ग्राहकों के जरिए ही हो जाता है। जो भी खाता है वो इसे पहली बार में ही पसंद कर लेता है और ज्यादा की भी डिमांड करता है। लेकिन अभी भी इसके बारे में कुछ ही लोग जानते हैं। इसलिए इसका दायरा और बढ़ाना है।
हुदा ने बताया कि उन्होंने किसानों का एक नेटवर्क बनाया है और बार में पड़ने वाला सारा सामान सीधे खेतों से आता है। यह पूरी तरह से ऑर्गैनिक भी होता है। सारा कच्चा माल भारत में उत्पादित और सर्टिफाइड ऑर्गैनिक होता है। सिर्फ खजूर मिडल ईस्ट से आता है। हुदा कहती हैं कि लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर उतने अवेयर नहीं हैं इसलिए वे कस्टमर्स को एजुकेट करना चाहती हैं।
इस हेल्थी स्नैक की एक और खास बात यह है कि ये पर्यावरण के अनुकूल हैं। अगर आप मार्केट से चिप्स या बिस्किट खरीदते हैं तो वे हमारे पर्यावरण में प्लास्टिक को बढ़ाते हैं। लेकिन हुदा बार को एल्युमिनियम फॉइल में पैक किया जाता है जिसे कि बार-बार रिसाइकिल किया जा सकता है। हुदा बार के फाउंडर जीरो वेस्ट में यकीन रखते हैं। हुदा कहती हैं कि एक वक्त ऐसा भी था जब लगता था कि मैं अपने कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे पाऊंगी और कोई भी इन बार्स को पसंद नहीं करेगा। लेकिन लोगों ने इसे काफी पसंद किया।
अपने आगे के प्लान के बारे में बात करते हुए वह कहती हैं कि हम इसे बढ़ाना चाहते हैं और एक इनहाउस टेस्टिंग लैब भी खोलना चाहते हैं। वे कहती हैं, "अभी भी हमारे पास टेस्टिंग की थोड़ी सी सुविधा है। क्योंकि हम किसी पर यकीन नहीं करते यहां तक कि सर्टिफिकेट पर भी नहीं, इसलिए सब कुछ लैब में चेक किया जाता है।"
यह भी पढ़ें: इंडिया स्टार्टअप रिपोर्ट: योरस्टोरी की नजर से भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की समीक्षा