माईदीदी डॉट इन में घरेलू काम धंधों के लिए भुगतान प्रति मिनट के हिसाब से करें
भागम भाग भरी इस जिंदगी में जब पति-पत्नी दोनों ही कामकाजी होते हैं, तब उन्हें घर के कामकाज के लिए नौकरों, दाइयों और बावर्चियों के लिए तकरार करनी पड़ती है। उनकी इन्ही परेशानियों को दूर करने के लिए समाज में कई स्टार्टअप खुले हैं। पिछले कुछ समय से तो इस तरह की सेवाओं की बाढ सी आ गयी है।
जॉनी झा ने इसे एक उद्योग के रूप में देखा। घरेलू सहायकों की खोज की समस्या का हल करने के लिए उन्होने अपना सारा ध्यान प्रशिक्षित पेशेवरों (घर में काम करने वाले) की टीम बनाने में लगाया। जून 2015 में उन्होने मांईदीदी डॉट इन की मुम्बई में स्थापना की। इसके जरिये महिला कामगारों की कार्य क्षमता को बढाने का प्रयास किया जाता है ताकि अपने स्किल से समाज में वो इसका लाभ उठा सके।
माईदीदी टीम
27 साल की जॉनी आईआईटी मुंबई से स्नातक हैं। स्नातक करने के तीन साल तक उन्होने दुबई के मेककिनसे एन्ड कम्पनी में काम किया। वहां पर उन्होने अलग अलग विभागों जैसे टूररिज्म, हेल्थकेयर, इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा के क्षेत्र में काम किया।
सामाजिक प्रभाव
जॉनी ने डेढ़ लाख डॉलर की एक शुरुआती निवेश के साथ माईदीदी शुरू किया। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती कामगारों को उनकी मांग के अनुसार प्रशिक्षित करने की थी। मुंबई स्थित माईदीदी डॉट इन ने अपना पहला उत्पाद ‘स्पॉटलैस’ अपनी महिला नौकरानियों के सहयोग से लांच किया। इस उत्पाद को शुरू करने के दो महिने के अन्दर ही उन्होने 50 दीदीयों को इसकी ट्रेनिंग दे दी। जो कि इस मॉडल की सफलता को दर्शाता है। जॉनी का कहना है कि "माईदीदी मांग के मुताबिक तकनीकी रूप से प्रशिक्षित, प्रशिक्षु सेवा है जो कि महिला उद्यमी द्वारा दी जाती है। ये एक ऐसा मंच है जहां पर अच्छे स्तर की सेवांए एक ही मंच से दी जाती हैं। इसके सह-संस्थापक निवेशकों में मैकिन्से के पूर्व छात्र लिओ वेंग भी शामिल हैं।"
प्रशिक्षण की प्रक्रिया
माईदीदी महिलाओं को इकट्ठा करता है और फिर मांग के हिसाब से उनको ट्रेनिंग देने का काम करता है। इस दौरान महिलाओं को जमीनी स्तर पर घरों के आधार पर काम करना सिखाया जाता है। ट्रेनिंग के बाद इन महिलाओं को काम के लिए इस प्लेटफॉर्म पर डाल दिया जाता है ताकि उपभोक्ता इनसे सम्पर्क कर सके।
जॉनी बताती हैं कि "हमने अक्टूबर के मध्य में मुंबई में लांच किया और शुरूआत में ही 12सौ आर्डर सेवा देने के लिए मिले इनमें से 75 प्रतिशत ऐसे उपभोक्ता हैं जो हमारी ये सेवा दोबारा चाहते हैं।" दीदी एप्प फिलहाल ऐनड्राइड पर उपलब्ध है। कोई भी अपनी जरूरत के मुताबिक सुबह 7 बजे से रात 7 बजे तक इनकी सेवाएं ले सकता है। बुकिंग के 1 घंटे के अन्दर ये लोग आपसे सम्पर्क करते हैं और 149 रुपये हर घंटे के हिसाब से शुल्क लेते हैं।
यह अपने उपभोक्ताओं को एक ट्रैकिंग प्लेटफार्म की सुविधा देते हैं जिससे वे सेंटर से सहायता ले सकें। सप्लाई पर नजर रखने के लिए स्टार्टअप ने विक्रेताओं के लिए एक विक्रेता एंड्रॉयड एप्प निकाला है। जिससे वे उनके प्रदर्शन, आर्डर लेने और पैसे के हिसाब किताब को देख सकें। 12 कर्मचारियों और 7 ऑफ रोल कर्मचारियों के साथ माई दीदी मुंबई भर में फैला हुआ है। अभी तक यह सुविधा वर्तमान में चांदीवली, पवई, घाटकोपर, अंधेरी, गोरेगांव, जुहू और वर्सोवा में उपलब्ध है। माईदीदी एप्प के अब तक 800 डाउनलोड हो चुके हैं।
आय के बारे में जॉनी का कहना कि उनकी कुल आय में से एक निश्चित भाग माईदीदी के वेतन में चला जाता है। लॉजस्टिक, किट के सामान का खर्चा निकालने के बाद बची राशि में से ही मार्जिन निकाला जाता है। स्टार्टअप हर महीने 800 से 1000 आर्डर हासिल करता है और इसका लाभांस 50 प्रतिशत की दर से हर महिने बढ़ रहा है। जॉनी बताती हैं कि हम माईदीदी के कमीशन के रूप में एक निश्चित राशि प्राप्त करते हैं। माईदीदी में दो तरीके से भुगतान किया जाता है- एक तरीका वो होता है जब किसी कामगार महिला को हर महिने निर्धारित वेतन मिलता है जबकि दूसरे तरीके में महिला को घंटों के हिसाब से भुगतान किया जाता है...यहां पर उनकी सेवा के आधार पर पैसा दिया जाता है...जॉनी की योजना माईदीदी को अब मुंबई के अलावा बेंगलुरू में भी शुरू करने की है...इसके लिए उन्होने 2 से 3 हजार दीदीयों को प्रशिक्षिण देने की योजना है। जिसके बाद उनको उम्मीद है कि इस तरह वो करीब 1.5 से 2 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल कर सकेंगी।