कहीं आने-जाने के लिये दूसरों के साथ सवारी साझा करने के विकल्प उपलब्ध करवाती लिफ्टओ
वाईएस टीमहिंदी
लेखकः सिंधु कश्यप
अनुवादः निशांत गोयल
देशभर के शहरों की सड़कों पर बढ़ती हुई भीड़भाड़ पर नियंत्रण पाने के उद्देश्य से सिर्फ ओला और उबर जैसे मंच ही सवारी साझा करने के काम को अंजाम नहीं दे रहे हैं यह क्षेत्र अपनी आमद दर्ज करवाने वाले कई अन्य स्टार्टअप्स के लिये भी एक बेहतरीन मंच साबित हो रहा है। इसी श्रृंखला में अपनी आमद दर्ज करवाने वाला एक और स्टार्टअप है लिफ्टओ (LiftO)। लेकिन यह स्टार्टअप इस क्षेत्र में संचालित हो रहे अन्य स्टार्टअप्स से काफी जुदा है। इस मंच के माध्यम से उपयोगकर्ता सिर्फ कारों के माध्यम से ही नहीं बल्कि टैक्सी और आॅटोरिक्शा के माध्यम से भी अपनी सवारी दूसरों के साथ साझा कर सकते हैं।
इस प्रकार से इस मंच के माध्यम से आप अपनी सवारी किसी भी वाहन के माध्यम से साझा कर सकते हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उपयोगकर्ता ओला, उबर, मेरू या फिर अन्य किसी भी मंच की तरह कार या टैक्सी या फिर आॅटोरिक्शा उपयोग कर रहा है वह लिफ्टओ के माध्यम से अपनी सवारी को पोस्ट कर सकता है। वे उसी मार्ग का उपयोग करने वाले किसी भी अन्य उपयोगकर्ता के साथ अपनी सवारी साझा कर सकते हैं।
इसी वर्ष सितंबर के महीने में संचालन प्रारंभ करने वाला मंच फिलहाल सिर्फ पवई और उसके पासपास के इलाकों के निवासियों और पेशेवरों के लिये संचालित हो रहा है। लिफ्टओ मुख्यतः 26 से 45 वर्ष के उस आयुवर्ग को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है जिन्हें अपने काम के सिलसिले में रोजाना सफर करना पड़ता है और वे परिवहन पर प्रतिदिन 150 से 200 रुपये खर्च कर रहे हैं।
उद्गम
विकेश अग्रवाल और निखिल अग्रवाल बीते कुछ वर्षों से बैंगलोर और मुंबई में निवास कर रहे हैं और इन्हें प्रतिदिन लगभग 40 से 50 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। हालांकि इनके सामने कारपूलिंग (दूसरों के साथ कार साझा करना) का विकल्प था लेकिन यह इन्हें बहुत बेकार और अजीब लगा। विकेश कहते हैं, ‘‘कुछ बार ऐसा करने के बाद आपका मन सवारी साझा करने से बिल्कुल हट जाता है। कई बार ऐसा होता है आपका रास्ता और समय दूसरों के साथ मेल नहीं खाता है। ऐसे में हमने यह महसूस किया कि अगर हम मौजूदा प्रणाली को रियल टाइम आधार पर रूट-मैचिंग एल्गोरिद्म से बदल सकें तो हम बाजार में आसानी से अपने पांव जमा सकते हैं। और इसके बाद हमने अपनी एप्लीकेशन लिफ्टओ पर काम करना प्रारंभ कर दिया।’’
टीम का विकास
इनकी कोर टीम के पहले सदस्य हैं सीईओ और सहसंस्थापक निखिल जो आईआईटी दिल्ली और आईआईएम लखनऊ के एक स्नातक हैं। इन्हें इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के क्षेत्र में नौ से भी अधिक वर्षों का अनुभव है। इस टीम के दूसरे सदस्य सीओओ और सहसंस्थापक विकेश हैं जो बिट्स पिलानी और एआईएम मनीला के पूर्व छात्र हैं और इन्हें मार्केटिंग और मीडिया सेल्स के क्षेत्र में छः से भी अधिक वर्षों का अनुभव है। इसके अलावा इस टीम के एक अन्य महत्वपूर्ण सदस्य सीटीओ नन्धा कुमार एस हैं जो एसआरएम इंजीनियरिंग काॅलेज के पूर्व छात्र हैं और जिन्हें मोबाइल एप्लीकेशन विकास के क्षेत्र में 10 वर्षों से भी अधिक का अनुभव है।
विकेश कहते हैं, ‘‘एक स्टार्टअप होने के नाते हम अपने साथ जुड़ने वाले लोगों के लिये खुलापन और लचीलापन लेकर आगे बढ़ रहे हैं। किसी न किसी को जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेने और काम को पूरा करने के लिये आगे बढ़ने के लिये तैयार रहना होगा।’’
प्रौद्योगिकी और विशिष्टीकरण
विकेश के अनुसार इनकी कंपनी की खासियत इनके स्वामित्व वाली एक विशेष ‘रूट मैचिंग एल्गोरिद्म’ है जो इसकी एप्लीकेशन का मुख्य आधार है। विकास आगे कहते हैं कि इनकी एप्प इतनी सक्षम है कि यह उपयोगकर्ता को बिल्कुल सटीक लोकेशन, पिकअप और ड्राॅप पाॅइंट और राइड-ट्रेकिंग तंत्र से रूबरू करवाता है। विकास का मानना है कि लिफ्टओ का उपयोग करने के बाद उपोगकर्ता को बिल्कुल किसी एप्प से टैक्सी बुक करवाने वाला ही अनुभव मिलता है।
उपयोगकर्ता को मानचित्र पर केवल अपनी यात्रा के अंतिम स्थान का चयन करने के अलावा यात्रा को प्रारंभ करने के समय को चुनना होता है। मात्र चंद क्षणों के भीतर ही लिफ्टओ सवारी साझा करने वाले सहयात्री को तलाशकर सूचना देती है। इस प्रकार उपयोगकर्ता अपना सफर प्रारंभ करने से पहले ही अपने सहयात्री की विस्तृत प्रोफाइल से रूबरू हो सकने के अलावा पिकअन स्थान और समय भी जानने में सक्षम होते हैं। एक बार सवारी साझा करने के अनुरोध को स्वीकार करने के बाद उपयोगकर्ता को पिकअप पाॅइंट पर सवारी साझा करने वाले व्यक्ति से मिलने के बाद सिर्फ लिफ्टओ एप्प पर ‘स्टार्ट राइड’ के बटन को क्लिक करना होता है।
दूसरी तरफ लिफ्ट लेने वाले व्यक्ति को मानचित्र पर अपनी यात्रा के अंत स्थान का चयन करना होता है और फिर उसके बाद उसके सामने एसी और गैर एसी टैक्सी, आॅटो, इत्यादि के विकल्प आते हैं। इनमें से एक का चुनाव करने के बाद वे पिकअप स्थान की जानकारी के साथ लिफ्ट की पेशकश करने वाले व्यक्ति की पूरी प्रोफाइल से रूबरू हो सकते हैं। अगर उन्हें लिफ्ट देने वाला व्यक्ति उपयुक्त लगता है तो वे उसे अपना अनुरोध भेजकर उसके साथ सफर का आनंद ले सकते हैं।
प्रारंभ और व्यापार
फिलहाल इस एप्लीकेशन का प्रारंभिक चरण पवई और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रारंभ किया गया है। विकेश का कहना है कि उनकी इस सेवा का सबसे अधिक लाभ वे पेशेवर पा रहे हैं जिन्हें प्रतिदिन सुबह-सवेरे पवई से बीकेसी, लोवर परेल, नरीमन पाॅइंट सहित दूसरे पश्चिमी उपनगरों में काम के सिलसिले में सफर करना पड़ता है। विकेश आगे कहते हैं, ‘‘शाम के समय मुंबई के इन क्षेत्रों के अपने कार्यालयों से वापस आने वाले लोग हमारी इस एप्प का प्रयोग करके अपने लिये सवार साझीदार तलाश सकते हैं।’’
उनका कहना है कि बेहद व्यस्त समय में जब लोगों के लिये टैक्सी और आॅटो को तलाश करना आमतौर पर काफी मुश्किल होता है उस समय वे एक विकल्प के रूप में लिफ्टओ का प्रयोग कर सकते हैं। यह स्पष्ट है कि कंपनी का अधिकतम व्यापार कार्यदिवसों के व्यस्ततम घंटों में ही होता है और उसी दौरान अधिकतम उपयोगकर्ता अपनी सवारी साझा करने में रुचि दिखाते हैं।
विकेश कहते हैं, ‘‘फिलहाल लिफ्टओ सिर्फ गूगल प्ले स्टोर पर ही उपलब्ध है लेकिन हम आईओएस संस्करण की दिशा में भी प्रयास कर रहे हैं और इसके जनवरी के मध्य तक सामने आने की संभावना है।’’
अपने संचालन के पहले महीने में इस टीम ने दैनिक स्तर पर लगभग 50 सफल लेनदेन को करने में सफलता पाई जबकि रोजाना लगभग 500 से 600 सवारियां साझा करने के अनुरोध पोस्ट किये गए। अबतक इनकी प्रणाली में 16500 से अधिक सवारियों को पोस्ट किया जा चुका है। इनका यूजर बेस 4300 की संख्या को पार कर चुका है और इनका इरादा नवंबर के दूसरे सप्ताह तक 100 लेनदेन प्रतिदिन की संख्या को पार करने का है।
निवेश और भविष्य
इस टीम ने हाल ही में 85 लाख रुपये का निवेश पाने में सफलता पाई है। विकेश का कहना है कि इन्हें स्टार्टअप जगत के कुछ बड़े नामों का समर्थन भी मिल रहा है।
इस टीम ने केंद्रीय मुंबई से अपना संचालन और मार्केटिंग प्रारंभ की है लेकिन इनका इरादा आने वाले वर्ष के मार्च के महीने तक पूरे शहर में विस्तार करने का है। इसके अलावा इनकी योजना वर्ष 2016 के मध्य तक लिफ्टओं को दिल्ली-एनसीआर, बैंगलोर, पुणे, हैदराबाद और कोलकाता जैसे मेट्रो शहरों में विस्तारित करने के अलावा दो वर्षों के भीतर अंतर्राष्ट्रीय होने का है।
कानूनी पहलू
एक तरफ जहां सवारी साझा करने और टैक्सी और अन्य वाहनों के एकत्रीकरण की अवधारणा तेजी से लोगों के बीच अपनी पैठ बना रही है वहीं दूसरी तरफ सरकारी नीतियां और कानून इनके आड़े आते जा रहे हैं। ऐसे समय में जब जि़पगो के बुरे दौर से गुजरने की खबरें सामने आ रही हैं क्या इस प्रकार के स्टार्टअप खुद को बचाए रखने में कामयाब रहेंगे? विकेश की सोच बिल्कुल उलट है। उनका कहना है कि मोटर वाहन अधिनियम 1988, जो केंद्र सरकार का अधिनियम है, के अंतर्गत कारपूलिंग या सवारी साझा करने या फिर लिफ्ट देने को लेकर कोई जिक्र नहीं है। इसके अलावा उनका कहना है कि इस अधिनियम में इन सेवाओं के विरोध में कुछ भी उल्लिखित नहीं है।
अधिनियम की धारा 66 सिर्फ ‘अनुबंध वाहनों’ और ‘लोक सेवा वाहनों’ (धारा 2 के अंतर्गत परिभाषित, बिंदु 2) को नियंत्रित करता है। यह परिभाषा सिर्फ किराये या फिर लाभ कमाने के लिये प्रयोग होने वाले वाहनों पर लागू होती है और ये वे वाहन हैं जो पूर्ण रूप से सवारियों को ढोने के काम आते हैं।
कारपूलिंग के मामलों पर अगर नजर डालें तो इस श्रेणी में आने वाली कारें इस परिभाषा के तहत नहीं आनी चाहियें क्योंकि लिफ्ट देने वाला व्यक्ति सिर्फ परिवहन में आने वाली लागत को साझा कर रहा है और इस प्रकार से वह किसी भी प्रकार का लाभ नहीं कमा रहा है या फिर एक स्थायी व्यापार नहीं कर रहा है। एक निजी कार का संचालन करने में 10 रुपये प्रति किलोमीटर की लागत आती है और अगर सवारी साझा करने वाला इससे अधिक पैसा लेता है तो वह लाभ कमाने के लिये वाहन चालन की श्रृेणी में आना चाहिये।
बाजार का क्षेत्र
एक अवधारणा के रूप में देखा जाए तो कारपूलिंग एक काफी बड़ी साझा अर्थव्यवस्था का हिस्सा है। प्राइसवाटरहाउसकेपर्स की एक हालिया रिपोर्ट में इसके वैश्विक बाजार के करीब 15 बिलियन डालर होने का अनुमान जताया गया है। वर्ष 2025 तक इस रकम का 335 बिलियन डाॅलर के पार रहने का अनुमान है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत भी इस बाजार के एक बड़े हिस्से का साझीदार रहेगा। बीते कुछ वर्षों में मीबडी, राइडिंगओ और कारपूल अड्डा जैसे स्टार्टअप इस क्षेत्र में सामने आए है लेकिन ब्राजील के ट्रिपडा और फ्रैंच ब्लाब्ला कार जैसे वैश्विक खिलाडि़यों का प्रवेश संपूर्ण परिदृश्य को बदलने वाला रहा। इन्होंने भारतीय बाजार में कारपूलिंग की आवश्यकता को स्थापित करने में सहायता की है।