#metoo : लड़कियों का गुस्सा अब पुरुषों के दिमाग को करेगा दुरुस्त
हमारे देश के लोग एक बंद समाज में रहते हैं। परदे के पीछे ऐसे अपराध आए दिन होते रहते हैं लेकिन निर्भया कांड के बाद महिलाओं में आई जागरूकता ने अपने जीवन के अन्य क्षेत्रों से जुड़ी महिलाओं को भी तेजी से मुखर किया है। यह एक बहुत जरूरी कदम है, जो आने वाले वक्त में बदमिजाज पुरुषों का दिमाग दुरुस्त कर सकता है।
निर्देशक और निर्माता विनता नंदा ने अपने मशहूर टीवी शो 'तारा' के लीड एक्टर पर रेप और यौन प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उन्होंने फेसबुक पर लंबी पोस्ट लिखकर बताया है कि उस एक्टर ने उनके साथ रेप किया, जबकि शो की एक्ट्रेस के साथ दुर्व्यवहार किया गया।
दिल्ली के निर्भयाकांड के बाद पूरे देश की महिलाएं पहली बार सड़कों पर बेइंतहा मुखर हुईं। लड़कियों पर खूंखार और वहशियाना हमलों ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया था। इस पहलकदमी में सरकार को भी आगे आना पड़ा। हमले पहले भी होते आये थे और आज भी जारी हैं। इसमें कुछ नया नहीं। स्त्रियां तो दर्द सदियों से सहती आ रही हैं। नया है तो उनक गुस्सा, उनका आक्रोश और उससे भी ज्यादा सड़कों पर उतरकर आर-पार की लड़ाई लड़ने का उनका जज्बा। आज दिग्गज टेलीविजन लेखिका, निर्देशक और निर्माता विनता नंदा की आत्मस्वीकृति हो या तनुश्री दत्ता के आरोप, बॉलीवुड के अंदर दशकों से उफन रहा नर्क अब जिस तरह सुर्खियां बन रहा है, इसके कई दबे अध्याय भी परत-दर-परत खुलने लगे हैं।
हमारे देश में हर साल छोटे-छोटे गांवों और शहरों से हज़ारों लड़कियां फ़िल्म कलाकार बनने के सपनों के साथ मुंबई पहुंचती हैं लेकिन उनमें से तमाम की किस्मत एक बुरा सपना बनकर रह जाती है। उनके साथ कास्टिंग एजेंट्स, अभिनेता और डायरेक्टर यौन शोषण करते हैं। कुछ साल पहले की बात है, एक कास्टिंग एजेंट ने ऐसी ही एक लड़की को अपने अपार्टमेंट में आकर मिलने के लिए कहा। जब वह वहां पहुंची, उसके साथ दर्दनाक वाकया हुआ। विरोध करने पर कहा गया कि उसका एटीट्यूड इंडस्ट्री के लिए ठीक नहीं है। अब तो समझदार लोग भी कहने लगे हैं कि भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री में रोल के बदले सैक्सुअल फैवर्स मांगा जाना आम बात हो चुकी है।
एक मीडिया प्रतिनिधि से बातचीत में तमाम युवा अभिनेत्रियां बता चुकी हैं कि उन्होंने फ़िल्मों में किरदार लेने के लिए भद्दी टिप्पणियों और यौन शोषण का सामना किया है। राष्ट्रीय फ़िल्म पुरुस्कार से सम्मानित फ़िल्म अभिनेत्री ऊषा जाधव उन चुनिंदा महिलाओं में से एक हैं, जिन्होंने यौन शोषण के अनुभवों को पहली बार बेखौफ सार्वजनिक किया। ऊषा जब पहली बार मुंबई पहुंची थीं तो उनसे कहा गया था कि उन्हें काम हासिल करने के लिए पूरी तरह से निर्देशकों और प्रोड्यूसरों के साथ 'होना' पड़ेगा। ऊषा कहती हैं कि फ़िल्म इंडस्ट्री में कुछ युवा महिलाओं को लगता है कि उनके पास सहमति जताने के अलावा कोई और विकल्प नहीं हैं।
फ़िल्म अभिनेत्री राधिका आप्टे कहती हैं कि ताकत ही एक ऐसा पहलू है, जो ऐसी चीजों को जन्म देता है। जब उन्होंने खुलकर बोलना शुरू किया तो उनको इंडस्ट्री की उन महिलाओं की हालत भी समझ आई और उन पर दया भी आई कि वे ऐसे किसी भी मुद्दे पर बोलने से घबराती हैं। राधिका कहती हैं कि बॉलीवुड में प्रवेश करने का कोई सरल या निर्धारित तरीका नहीं है, यही वजह है कि महिला अभिनेत्रियों के साथ इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं। निर्देशक और निर्माता विनता नंदा ने अपने मशहूर टीवी शो 'तारा' के लीड एक्टर पर रेप और यौन प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उन्होंने फेसबुक पर लंबी पोस्ट लिखकर बताया है कि उस एक्टर ने उनके साथ रेप किया, जबकि शो की एक्ट्रेस के साथ दुर्व्यवहार किया गया।
आरोपी एक्टर शराब के नशे में शो के सेट पर आता और एक्ट्रेस के साथ बुरा बर्ताव करता था। वह एक्टर उनका दोस्त था और उस समय का बड़ा स्टार भी था। एक्ट्रेस ने जब शिकायत की तो उसे एक मौका दिया लेकिन उसकी हरकतें नहीं रुकीं और एक रोज उसने शराब के नशे में सेट पर एक्ट्रेस से दुर्व्यवहार किया। एक्ट्रेस ने उसे थप्पड़ मार दिया। इसके बाद उस एक्टर को शो से हटा दिया गया। नंदा ने हालांकि उस एक्टर का नाम नहीं लिखा है लेकिन उसकी पहचान की तरफ इशारा करते हुए 'संस्कारी' शब्द का इस्तेमाल किया। इससे माना गया है कि उनका आरोप एक्टर आलोक नाथ पर है। नंदा ने लिखा है कि आरोपी एक्टर ने नशे की हालत में उनके साथ निर्दयता से रेप किया। इस घटना ने उन्हें अंदर तक हिला दिया। बाद के साल उन पर काफी भारी गुजरे। इतने साल बाद इस घटना के बारे में लिखने के सवाल पर नंदा का कहना है कि 'अब मैं यह इसलिए कह रही हूं ताकि कोई और लड़की सच कहने से न डरें।'
अभिनेत्रियों से बुरा बर्ताव करने वालो में इन दिनो विकास बहल, नाना पाटेकर, रजत कपूर, चेतन भगत जैसों के नाम लिए जा रहे हैं। यौन उत्पीड़न के आरोप का सामना कर रहे अभिनेता नाना पाटेकर का कहना है कि 'सच आज भी नहीं बदलता है।' अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। नाना के वकील ने तनुश्री दत्ता पर झूठा आरोप लगाने का इल्जाम लगाते हुए उन्हें कानूनी नोटिस भेजा था। दत्ता ने कहा था कि पाटेकर ने वर्ष 2008 में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान उनसे बदसलूकी की थी और उन्होंने यह मुद्दा उठाया भी लेकिन नाना के खिलाफ कदम नहीं उठाया गया बल्कि उन्हें ही फिल्म से बाहर निकाल दिया गया। दत्ता ने नाना पाटेकर, कोरियोग्राफर गणेश आचार्य और फिल्म ‘हॉर्न ओके प्लीज’के निर्देशक तथा निर्माता के खिलाफ मुंबई में मामला दर्ज कराया है।
इसी तरह दक्षिण भारत की तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री की एक अभिनेत्री श्रीरेड्डी ने अपने साथ हुए कास्टिंग काउच का विरोध जताते हुए एक फ़िल्म एसोसिएशन के परिसर में सार्वजनिक रूप से अपने कपड़े उतार दिए थे। शुरुआत में तो इसे सस्ती लोकप्रियता पाने के एक तरीके के तौर पर बताया गया और कई स्थानीय कलाकार एसोसिएशनों ने उन पर प्रतिबंध भी लगा दिए लेकिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की दखल के बाद उन पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया। श्रीरेड्डी का कहना है कि अगर इंडस्ट्री के लोग उनसे उनकी नग्न तस्वीरों की मांग करते हैं तो वह पब्लिक के सामने ही कपड़े क्यों न उतार दें। इसी तरह एक अन्य अभिनेत्री का कथित तौर पर अपहरण कर लिया गया था और चलती कार में उनके साथ छेड़छाड़ की गई।
इस घटना के सामने आने के बाद दक्षिणी राज्य केरल ने फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के कल्याण के लिए एक समूह का गठन किया लेकिन यौन उत्पीड़न महज़ महिलाओं तक ही सीमित नहीं है। बॉलीवुड के बड़े अभिनेता रनवीर सिंह इस बारे में कहते हैं कि साल 2015 में एक इंटरव्यू के दौरान उन्हें भी कास्टिंग काउच का सामना करना पड़ा था। वे बॉलीवुड के उन कुछ गिने चुने पुरुष अभिनेताओं में से एक हैं जिन्होंने उत्पीड़न के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है। इसी तरह एक्टर, डायरेक्टर और गायक फ़रहान अख्तर ने भी इस मामले पर अपने विचार खुलकर रखे हैं। उन्होंने 'मर्द' नाम से एक अभियान की शुरुआत की है जिसका पूरा अर्थ है 'मेन अगेंस्ट रेप एंड डिस्क्रिमिनेशन', इस अभियान के तहत देश के अलग-अलग हिस्सों में, गांवों और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में यौन हिंसा के प्रति जागरूकता फैलाई जाती है।
हमारे देश के लोग एक बंद समाज में रहते हैं। परदे के पीछे ऐसे अपराध आए दिन होते रहते हैं लेकिन निर्भया कांड के बाद महिलाओं में आई जागरूकता ने अपने जीवन के अन्य क्षेत्रों से जुड़ी महिलाओं को भी तेजी से मुखर किया है। यह एक बहुत जरूरी कदम है, जो आने वाले वक्त में बदमिजाज पुरुषों का दिमाग दुरुस्त कर सकता है। अब उनके गुस्से को साझा करने के लिए उनके जैसे जज्बे के साथ भाई, पिता, दोस्त, प्रेमी, पति भी उनके साथ सड़कों पर उतर कर लड़ रहे हैं। जाहिर है कि उनकी आँखों में महिलाओं के लिए आज़ादी, बराबरी, सुरक्षा और गरिमा पूर्ण जीवन के सपने हैं। सबसे दुखद सचाई ये है कि इस गुस्से भरी पहलकदमी से सरकारों ने अब भी कोई सबक नहीं सीखा है। महिलाएं उनसे पुलिस को संवेदनशील बनाने, महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिए अलग से फास्ट-ट्रैक अदालते बनाने जैसी तमाम उम्मीदें लगाये बैठी हैं।
इससे साफ़ है कि उन्हें इंच दर इंच जमीन के लिए लड़ना पड़ेगा। कालेज शिक्षिकाएं, बैंक, बीमा, रेलवे में काम करने वाली महिलायें, नर्सें, निर्माण क्षेत्र की औरतें, घरेलू काम-काज करने वाली बहनें, सब मिलकर इस परिवर्तन की लड़ाई में धीरे-धीरे उतर रही हैं। यह औरतों की मुक्ति और बराबरी की लड़ाई है। शोषण की शिकार तमाम महिलाएं ऐसी हैं, जो फ़ुटपाथ पर रहने को मजबूर हैं। इन बेघर महिलाओं को ज़िंदगी के हर मोड़ पर शोषण का शिकार होना पड़ता है। विडम्बना है कि अपने साथ हो रहे शोषण का न तो ये प्रतिरोध कर सकती हैं और न ही इसकी शिकायत। ऐसी बेघर महिलाएं कहती हैं कि फ़ुटपाथ पर महिला ऐसे है, मानो कुछ जंगली जानवरों के बीच एक मांस का टुकड़ा।
यह भी पढ़ें: मिलिए रियल लाइफ में बचपन में देखे सपने पूरे करने वाले 'थ्री इडियट्स' से