योगा करते हैं, तो संभल कर! कहीं बढ़ न जाये कोई दूसरा दर्द!
सिडनी विश्वविद्यालय के अनुसंधान से पता चला है कि योग 10% लोगों में मस्तिष्ककोशिका का दर्द का कारण बनता है और पहले लगी हुई चोटों को 21 प्रतिशत तक बढ़ा देता है। जर्नल ऑफ़ बॉडीवर्क एंड मूवमेंट थेरेपीज में प्रकाशित ये अपनी तरह का पहला शोध है।
इस निष्कर्ष को योग में हुई भागीदारी से लगी चोटों की जांच के जरिये निकाला गया है। योग एक मस्तिष्क कोशिका संबंधी विकारों के लिए एक तेजी से लोकप्रिय पूरक या वैकल्पिक चिकित्सा है, जिसका दुनिया भर में लाखों लोग अभ्यास करते हैं।
यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ हैल्थ साइंसेज के मुख्य शोधकर्ता एसोसिएट प्रोफेसर एवेनोलॉज पप्पस के मुताबिक, 'योग मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन व्यायाम के किसी भी प्रकार की तरह इससे दर्द भी हो सकता है।'
सिडनी विश्वविद्यालय के अनुसंधान से पता चला है कि योग 10% लोगों में मस्तिष्ककोशिका का दर्द का कारण बनता है और पहले लगी हुई चोटों को 21 प्रतिशत तक बढ़ा देता है। जर्नल ऑफ़ बॉडीवर्क एंड मूवमेंट थेरेपीज में प्रकाशित ये अपनी तरह का पहला शोध है। इस निष्कर्ष को योग में हुई भागीदारी से लगी चोटों की जांच के जरिये निकाला गया है। योग एक मस्तिष्क कोशिका संबंधी विकारों के लिए एक तेजी से लोकप्रिय पूरक या वैकल्पिक चिकित्सा है, जिसका दुनिया भर में लाखों लोग अभ्यास करते हैं। यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ हैल्थ साइंसेज के मुख्य शोधकर्ता एसोसिएट प्रोफेसर एवेनोलॉज पप्पस के मुताबिक, 'योग मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन व्यायाम के किसी भी प्रकार की तरह इससे दर्द भी हो सकता है।'
बहुत सावधानी से करें योग-
प्रोफेसर एवेनोलॉज ने प्रोफेसर मार्क कैम्पो के साथ इस विषय पर ये अध्ययन किया है। इस अध्ययन में मांस पेशियों और हड्डियों के दर्द और योग अभ्यास के बीच जटिल संबंधों पर प्रकाश डाला गया है। प्रोफेसर के मुताबिक, हमारे अध्ययन में पाया गया कि योग की वजह से दर्द बढ़ने की घटना 10 प्रतिशत से अधिक है, जो शारीरिक रूप से सक्रिय आबादी के बीच खेल में लगी चोटों की दर के बराबर है। हालांकि लोग इसे एक बहुत ही सुरक्षित गतिविधि मानते हैं। लेकिन योग से लगने वाली चोटों की दर पहले की तुलना में 10 गुना अधिक है। हमने यह भी पाया कि योग मौजूदा दर्द को बढ़ा सकता है, 21 प्रतिशत मौजूदा चोटों में योग की वजह से ऊपरी अंगों में पहले से मौजूद दर्द को और भी बदतर बना दिया।
गंभीरता के संदर्भ में योग की वजह से हुए दर्द के एक-तिहाई से अधिक मामलों में योग करना रोकना पड़ा था और ये दर्द 3 महीने से अधिक समय तक चला था। अध्ययन में पाया गया कि ज्यादातर योग के नए नए प्रैक्टिशनरों में दर्द ऊपरी हिस्से (कंधे, कोहनी, कलाई, हाथ) में ज्यादा था और इस दर्द का कारण था ऐसे आसन, जो ऊपरी अंगों पर वजन डालते थे। वैसे यह सब इतनी भी बुरी खबर नहीं है, क्योंकि इस अध्ययन में 74 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बताया कि मौजूदा दर्द में योग से सुधार हुआ है।
शारीरिक क्षमताओं के मुताबिक ही करें योग-
ये निष्कर्ष चिकित्सकों और व्यक्तियों के लिए योग के जोखिमों की तुलना करने के लिए काफी उपयोगी हो सकते हैं। किसी प्रैक्टिशनर को किस तरह की गतिविधि सबसे अच्छी लगती है, इस बारे में सही निर्णय में मदद मिलेगी। योग के कारण दर्द को सावधानीपूर्वक प्रदर्शन और प्रतिभागियों को उनके योग शिक्षकों को चोट लगने से ही पहले चेतावनी देकर रोका जा सकता है। साथ ही प्रैक्टिशनर अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को अपने योग अभ्यास के बारे में सूचित कर सकते हैं। योग में भाग लेने से पहले ही ये सारी बातों पर ध्यान देना चाहिए।
शोधकर्ता कहते हैं कि हम अनुशंसा करते हैं कि योग शिक्षक भी अपने छात्रों से चोट के जोखिम के बारे में चर्चा करते रहें। यदि वे ध्यान से अभ्यास नहीं करते हैं तो योग कुछ चोटों की संभावना को बढ़ाता है। एसोसिएट प्रोफेसर पप्पस के मुताबिक, योग के प्रतिभागियों को चोट के जोखिम और किसी भी पूर्व-मौजूद दर्द, विशेष रूप से ऊपरी अंगों के बारे में अपने योग शिक्षक और भौतिक चिकित्सक को बताते रहना चाहिए। योग एक सुरक्षित अभ्यास में भी परिणत हो सकता है। बस जरूरत है, अपनी शारीरिक क्षमताओं के हिसाब से अभ्यास करना।
ये भी पढ़ें: वर्किंग प्लेस पर यौन उत्पीड़न का शिकार इंसान जा सकता है घातक अवसाद में