PayU नहीं खरीदेगी BillDesk, कैंसिल हुई 38.44 हजार करोड़ रुपए की डील
PayU और Billdesk के बीच हुई डील रद्द कर दी गई है. PayU की मूल कंपनी वैश्विक इन्वेस्टमेंट फर्म प्रॉसस एनवी (Prosus NV) ने भारतीय पेमेंट प्लेटफॉर्म बिलडेस्क के अधिग्रहण की डील को कैंसिल कर दिया है. ये डील 4.7 बिलियन डॉलर (38,400 करोड़ रुपये से ज्यादा) में हुई थी. इस 38,400 करोड़ रुपये की डील का कैंसिल होना कंपनी के लिए बड़ा झटका है. नीदरलैंड की कंपनी ने बिलडेस्क के अधिग्रहण का ऐलान 31 अगस्त को किया था.
अगर प्रस्तावित अधिग्रहण पूरा हो जाता तो प्रोसस का फिनटेक बिजनेस यानी PayU, टोटल पेमेंट वॉल्यूम (TPV) के जरिए ग्लोबली लीडिंग पेमेंट प्रोवाइडर्स में से एक बन जाता. यह डील 147 बिलियन डॉलर यानी 12.02 लाख करोड़ रुपए के टोटल वॉल्यूम के साथ एक डिजिटल पेमेंट दिग्गज बनाने और भारत में इस इंडस्ट्री में ग्रोथ करने के लक्ष्य के लिए की जा रही थी.
प्रोसस ने एक बयान में कहा है कि यह लेन-देन भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की मंजूरी सहित विभिन्न शर्तों के अधीन था. पेयू ने 5 सितंबर, 2022 को सीसीआई की मंजूरी हासिल कर ली, लेकिन कुछ शर्तों को 30 सितंबर, 2022 की डेड लाइन तक पूरी नहीं किया. इसका मतलब यह हुआ कि डील पूरी नहीं और इस वजह से समझौता अपनी शर्तों के अनुसार ऑटोमैटिक खत्म हो गया है. इसलिए अब प्रस्तावित लेनदेन को लागू नहीं किया जाएगा.
PayU द्वारा बिलडेस्क (BillDesk) का अधिग्रहण करने के सौदे के एक साल बाद भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने हाल ही में 4.7 अरब डॉलर के इस मर्जर को मंजूरी दी थी. इस मेगा डील को भारतीय रिजर्व बैंक से अंतिम नियामकीय मंजूरी का इंतजार था. 2018 में वॉलमार्ट द्वारा ई-कॉमर्स प्रमुख फ्लिपकार्ट के अधिग्रहण के बाद भारतीय इंटरनेट सेवा क्षेत्र में यह दूसरी सबसे बड़ी खरीद थी.
नेस्पर्स ने अपनी सहायक कंपनी प्रोसस के माध्यम से 2005 से अब तक भारतीय टेक्नोलॉजी कंपनियों में करीब 6 बिलियन डॉलर यानी 49.07 हजार करोड़ रुपए का निवेश करने का दावा किया है.
गौरतलब है कि मुंबई स्थित ऑनलाइन पेमेंट गेटवे कंपनी Billdesk की स्थापना 2000 में हुई थी. इसे एम एन श्रीनिवासु, अजय कौशल और कार्तिक गणपति ने शुरू किया किया था. एक पेमेंट एग्रीगेटर के तौर पर बिलडेस्क 170 से अधिक पेमेंट तरीके ऑफर करती है.
यह भारत बिल भुगतान प्रणाली (BBPS) के माध्यम से बिलर नेटवर्क की सेवाएं देता है. कंपनी मासिक किस्त जैसे रिकरिंग पेमेंट के कलेक्शन भी ऑफर करती है.
दक्षिण अफ्रीकी बहुराष्ट्रीय कंपनी नैस्पर की वैश्विक निवेश शाखा प्रोसस के इस फैसले से भारतीय फिनटेक बाजार में बिलडेस्क के प्रसार को धक्का लगा है.