भोपाल का ये शख्स 4000 से अधिक बार जरूरतमंदों को करवा चुका है ब्लड डोनेट, 1 साल में 10 बार कर चुका है रक्तदान
भोपाल के 'मानव' प्रदीप गुप्ता वे शख्स हैं जिन्हें चलता-फिरता रक्त कोष कहा जाता हैं। प्रदीप अब तक 4000 से अधिक जरूरतमंद लोगों को खून दिला चुके हैं और खूद 93 बार रक्तदान कर चुके हैं और एक साल में 10 बार, 39 दिन में 3 बार रक्तदान करने का रिकॉर्ड भी मानव प्रदीप गुप्ता के नाम हैं। प्रदीप को 2 बार गृहमंत्रालय से भी पद्मा अवार्डस के लिए नामांकित किया जा चुका है।
मध्यप्रदेश के भोपाल के रहने वाले 'मानव' प्रदीप गुप्ता शहर में चलते-फिरते रक्तकोष के नाम से मशहूर हैं। प्रदीप गुप्ता का जन्म 12 दिसंबर, 1972 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। शुरूआती शिक्षा के बाद प्रदीप ने हिंदी विषय में बीए किया। प्रदीप गुप्ता ने साल 2012 तक भोपाल नागरिक बैंक में बतौर डेली कलेक्शन एजेन्ट काम किया। प्रदीप को समाजसेवा और रक्तदान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए साल 1995-96 में 'मानव' की उपाधि से नवाजा गया।
'मानव' प्रदीप पिछले 28 वर्षों से समाजसेवा और रक्तदान के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे बिना किसी सरकारी मदद और बगैर किसी अनुदान के एकला चलो के सिद्धांत पर जरूरतमंदों की मदद करते आ रहे हैं।
AB+ ब्लड ग्रुप वाले 'मानव' प्रदीप अपने प्रयासों से अब तक 4000 से अधिक जरूरतमंद लोगों को रक्त दिलवा चुके हैं। वे खुद अब तक 93 बार रक्तदान कर चुके हैं। 'मानव' प्रदीप एक साल में 10 बार रक्तदान कर चुके हैं।
साल 2018 के भोपाल दौरे पर देश के महामहिम राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने 'मानव' प्रदीप से मुलाकात करते हुए देहदान पर चर्चा की। करीब चार साल पहले अपने चाचा के देहांत के बाद प्रदीप ने चाचा की आखें दान करवाई थी। इसके साथ ही प्रदीप अपने एक दोस्त के पिता के देहांत के बाद उनकी भी आंखे दान करवा चुके हैं। 'मानव' प्रदीप ने खुद अपने पिता के देहांत पर उनकी भी आंखे दान करने का प्रयास किया लेकिन कुछ मेडिकल कारणों से ये संभव नहीं हो सका।
'मानव' प्रदीप मानवहित में हर वो काम करते हैं जो उनसे बन पड़ता है। वे नंगे पैर घूमने वाले लोगों को चपलें भी मुफ्त में भेंट करते हैं। रक्तदान के लिए प्रदीप गुप्ता सिर्फ एक फोन कॉल पर हाजिर हो जाते हैं। ये सारी समाजसेवा और रक्तदान वे खुद अपने बलबुते पर करते हैं। इसके लिए उन्हें सरकार या किसी गैर-सरकारी संस्थान से कभी कोई मदद नहीं मिली है।
एक साल में 10 बार रक्तदान का जोखिम
आम नागरिकों में रक्तदान के भय को दूर करने के उद्देश्य से सितम्बर 2003 से सितम्बर 2004 के बीच वे सिलसिलेवार 10 बार रक्तदान कर इस भावना को प्रबल किया कि अगर 'मानव' प्रदीप साल में 10 बार रक्तदान कर सकता है तो हम और आप साल में एक या दो बार रक्तदान क्यों नहीं कर सकते।
'मानव' प्रदीप बताते हैं कि 7 दिसंबर 1992 के दंगो में जब सारे देश की तरह भोपाल भी दंगों की आग में जल रहा था, चारों तरफ त्राही-त्राही मची थी, उस वक्त शहर के बीचों बीच जुमेराती बाजार में आग में जलते हुए 45 फिट ऊंचे मकान से मुस्लिम परिवार के तीन सदस्यों को अपने दोस्तों के साथ मिलकर बाहर निकाला और उनकी जान बचाई। इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी उनकी सराहना की थी।
'मानव' प्रदीप अब तक 20 विशाल रक्तदान शिविरों का सफल आयोजन करा चुके हैं। स्वंय नेत्रदान की घोषणा कर चुके 'मानव' प्रदीप ने करीब 200 से अधिक लोगों से नेत्रदान संकल्प पत्र भरवाए हैं।
'मानव' प्रदीप चिलचिलाती धूप में सड़कों पर नंगे पैर घूमने वाले लोगों को नि:शुल्क चपलें भी बांटते हैं जिससे कि तपती धूप में उनके पैर ना जलें। वे अपने परिवार के सदस्यों व परिचितों की मदद से पुराने गरम कपड़े एकत्रित कर सर्दियों में गरीबों को दान करते हैं।
इसके साथ ही वे सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाने और उनके लिए दवाएं उपलब्ध कराने में भी अग्रणी होते हैं।
उत्कृष्ट उपलब्धियां
पुलिस प्रशासन द्वारा स्थापित नगर सुरक्षा समिति के कार्यक्रम में 1995 में दंगों में इन्सानों की जान बचाने व समाजसेवा में उत्कृष्ट कार्यों के लिए 'मानव' प्रदीप को स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
जिला प्रशासन द्वारा साल 1996 में राष्ट्रपति पुरस्कार "जीवन-रक्षक पदक" हेतु अनुशंसा की गई लेकिन कुछ लाल फीताशाही की वजह से वे इस पदक से सम्मानित नहीं हो सके। साथ ही साल 2003 में ग्यारहवें रेड एणड व्हाइट बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन्दौर में आयोजित लायंस डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में 'मानव' की उपाधि से प्रदीप गुप्ता को सम्मानित किया गया।
'मानव' प्रदीप रेडक्रॉस प्रथम उपचार का ज्ञान, अग्निशमन का प्रशिक्षण और प्राकृतिक आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।
इसक अलावा भोपाल सिविल डिफेंस, नगर सुरक्षा समिति, भोपाल विकास समिति, लायंस क्लब, लियो क्लब आदि सामाजिक और गैर-सामाजिक संस्थाओं द्वारा 'मानव' प्रदीप को सम्मानित किया जा चुका है।
'मानव' प्रदीप का संदेश
'मानव' प्रदीप हर उस कार्य के प्रति समर्पित होकर करते हैं जो मानव सेवा में हो, जो जीव-जन्तु और पशु-पक्षियों के हित में हो।
'मानव' प्रदीप कहते हैं,
"यदि हम जिन्दा है तो हमारा कर्तव्य है कि हम मरते हुए इन्सानों की हर संभव मदद करें, उनका जीवन बचाने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो हम उस मुर्दा इंसान से बदतर है, क्योंकि मुर्दा इंसान के कई अंगो के द्वारा जिन्दा इंसानों की जानें बचाई जा सकती है, और यही मानव सेवा है।"