बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स और बैंक सखियां कोविड-19 लॉकडाउन के बीच ऐसे निभा रही है अहम भूमिका
बैंकों के लिए बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स और बैंक सखियों के रूप में काम करने वाली स्वसहायता समूह की महिला सदस्य कोविड-19 लॉकडाउन के बीच प्रधानमंत्री जनधन खातों में 500 रुपए की पहली किस्त के वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
कोविड-19 महामारी के कारण राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन की वजह से बड़ी संख्या में लोग पारिश्रमिक और रोजगार से वंचित हो गए हैं। इस अभूतपूर्व महामारी और लॉकडाउन की चपेट में आने वाले लोगों में दिहाड़ी मजदूर, प्रवासी श्रमिक, बेघर, गरीब और बहुत से ऐसे लोग हैं जो कमाई करने के लिए एक जगह ये दूसरी जगह आते जाते रहते हैं। केंद्र सरकार ने ऐसे ही लोगों को राहत पहुंचाने के लिए 20.39 करोड़ महिला जनधन खातों में 3 महीने के लिए 500 रुपए प्रति माह की राशि जारी करने की घोषणा की है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, को वित्तीय सेवा विभाग और बैंकों की मदद से यह राशि जनधन खातों में हस्तांतरित करने की जिम्मेदारी दी गई है।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के तहत जारी की जाने वाली राशि की निकासी के लिए बैंक परिसरों में लोगों की लंबी कतारें लगने लगी हैं। किसे और कितनी राशि दी जानी है इसके बारे में बैकों को पहले ही दिशानिर्देश जारी किए जा चुके हैं। बैंकों में भीड़ भाड़ को रोकने के लिए ही बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स और बैंक सखी के रूप में महिला स्वसहायता समूह की सदस्यों की सेवाएं ली जा रही हैं।
सभी बैंकों ने इनके महत्व को समझते हुए ही इन्हें कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान लिए विशेष पहचान पत्र जारी किया है जिसका इस्तेमाल पास के रूप में किया जा सकता है। इन महिलाओं को संक्रमण से बचाव के लिए जारी नियमों का पालन करने को कहा गया है।
परिणामस्वरूप, लगभग 8800 महिलाओं ने बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स और 21600 ने बैंक सखियों के रूप में असम, मिजोरम, सिक्किम, मणिपुर से लेकर बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा तक पूरे देश में लॉकडाउन के बीच काम करना शुरू कर दिया है। इनमें से 50 प्रतिशत स्वेच्छा से अपनी सेवाएं दे रही हैं। बैंक सखियाँ बैंक शाखा प्रबंधकों को डीबीटी भुगतान के दौरान शाखाओं में भीड़ का प्रबंधन करने और ग्रामीण समुदाय के बीच जागरूकता पैदा करके ग्राहकों की सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने में सहायता कर रही हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत सरकार द्वारा प्रदान किए गए वित्तीय राहत पैकेजों के वितरण को सुनिश्चित करने में बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स / बैंक सखी के रूप में लगी ये महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इनकी वजह से,लॉकडाउन की अवधि में ग्रामीण समुदाय को दरवाजे पर बैकिंग सेवाएं मिल रही हैं।
निसंदेह रूप से ये महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों में भारत सरकार द्वारा घोषित वित्तीय राहत पैकेजों के बारे में जानकारी पहुंचाने का अहम माध्यम बन चुकी हैं।
बिजनेस सखियों ने संकट की इस घड़ी में ग्रामीण समुदाय के लोगों के घरों तक बैकिंग सुविधाएं पहुंचाकर उन्हें गरीबी और भूख से बचाने की अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। वास्तव में देखा जाए तो यह महिला सदस्य ही ग्रामीण विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण आजिविका मिशन की असली ताकत हैं। देश भर में 63 लाख स्वसहायता समूहों की ऐसी लगभग 690 लाख महिला सदस्य हैं जिन्होंने उत्साही और प्रतिबद्ध सदस्यों के रूप में हमेशा आर्थिक और सामाजिक जरूरतों के समय अपना योगदान दिया है। आज कोविड-19 संक्रमण के फैलाव को राकने के प्रयासों में भी यह हर संभव तरीके से योगदान दे रही हैं।
(सौजन्य से : PIB_Delhi)
Edited by रविकांत पारीक