मदुरै के इस बिजनेसमैन ने 5 लाख से की थी शुरुआत आज 50 करोड़ का रेवेन्यू
सफलता के पैमाने क्या हो सकते हैं, इसके बारे में हर किसी की अलग-अलग राय होगी। लेकिन 5 लाख रुपयों से शुरू हुआ कोई बिजनेस जब 50 करोड़ रुपये का रेवेन्यू इकट्ठा करने लगे तो कम से कम मान लेना चाहिए कि वह बिजनेस सफल हो गया है। मदुरै के फैजल अहमद की कहानी कुछ ऐसी ही है। फैजल ने 2006 में 5 लाख रुपये जुटाकर एक बिजनेस की शुरुआत की थी लेकिन 2011 में उनकी कंनपी दिवालिया हो गई और उनके 1 करोड़ रुपये का नुकसान हो गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत की बदौलत आज इस मुकाम पर पहुंचे कि उनका बिजनेस 50 करोड़ रुपये का हो गया।
32 वर्षीय फैजल तीसरी पीढ़ी के उद्यमी हैं। यानी उनके पिता और दादाजी भी पहले बिजनेस ही किया करते थे। जब वे बीकॉम कर रहे थे तो उन्होंने अपने पिता द्वारा बिजनेस के लिए लिए गए लोन को चुकाने के प्रयत्न करने शुरू कर दिए थे। वे बताते हैं, '2006 में मैंने 7 सिलाई मशीनें लगाईं और उनसे रोजाना 100 शर्टें बनाने का काम शुरू किया। शुरू में मैं सीधे बडे़ व्यापारियों को माल सप्लाई किया करता था। पूरे राज्य में उस वक्त मेरे पास सिर्फ 2 डीलर हुआ करते थे। लेकिन धीरे-धीरे डीलरशिप की संख्या में इजाफा होता गया।'
फैजल बताते हैं कि वे स्वाभाविक गति से आगे बढ़ते गए। वे कहते हैं, 'हम 20 से 30 फीसदी की गति से आगे बढ़ रहे थे। 2011 में हमने अपना शोरूम खोलने का फैसला किया। मदुरै, सलेम, त्रिची और डिंडीगुल में सक्सस (Suxus) के स्टोर्स खुले। इसके पीछे हमारा उद्देश्य ये था कि अगर दूसरे रीटेल स्टोर्स हमारी शर्ट्स को 150 रुपये में बेचते हैं तो हम उन शर्ट्स को 100 रुपये में ही बेचेंगे।' लेकिन फैजल का ये आइडिया फ्लॉप हो गया और फैजल को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
वे बताते हैं, 'में एक करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ। पांच स्टोर्स में थे तीन फ्रेंचाइजी थीं और दो हमारे खुद के स्टोर्स थे। उस वक्त इरोड का स्टोर प्राइम लोकेशन था औऱ उसके लिए हम हर महीने 1 लाख रुपये का किराया भर रहे थे। लेकिन हमारी सेल सिर्फ 3,000 रुपये की हो रही थी। इसके बाद 2013 में हमने अपने इरोड स्टोर को बंद करने का फैसला किया और सिर्फ मदुरै वाले स्टोर को चालू रखा। हमने सारे स्टॉक को वापस लाने से बेहतर उसे धीरे-धीरे बेचने की प्लानिंग की। पहले दिन सिर्फ 1,500 रुपये की सेल हुई।'
स्टोर में 5,000 से 6,000 पीस का स्टॉक था। फैजल के दिमाग में 1,000 रुपये में सात शर्ट्स बेचने का आइडिया आया। उन्होंने अपने स्टोर मैनेजर के जरिए 3,000 रजिस्टर ग्राहकों को वॉट्सऐप के जरिए सूचना दी। फैजल का यह आइडिया काम आया और अगले दिन 3.5 लाख रुपये की सेल हो गई। वे बताते हैं, 'हमने सोचा था कि यह क्लियरेंस सेल है इसलिए काफी लोग खरीदने के लिए आएंगे और हमारी सोच सही निकली।'
इसके बाद पूरे शहर में इस सेल की खबर फैल गई। दूसरे दिन भी तीन लाख रुपये की सेल हुई और तीसरे दिन 2 लाख की सेल हुई। फैजल कहते हैं, 'हमारा स्टॉक खत्म हो गया था और हमारे स्टोर मैनेजर ने हमें और माल भेजने को कहा। मैंने सोचा कि क्यों न इसे पूरे साल जारी रखा जाए। इस तरह से एक नया मॉडल हमारे सामने आया।' इरोड वाला स्टोर फैजल के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर बन गया। ये ऐसी जगह थी जहां पर वे इस बिजनेस मॉडल को आगे के लिए डेवलप कर सकते थे।
फैजल बताते हैं, '1,000 रुपये में सात शर्ट देने के बाद हमने 1,000 रुपये में पांच ट्राउजर्स और 1,000 रुपये में ही चार जींस बेचने का आइडिया सोचा। छह महीने के बाद हमने कुछ गलतियों और ट्रायल के बाद इस अपने मदुरै वाले स्टोर में भी लागू किया।' वे बताते हैं कि ये आसान काम नहीं था। इरोड स्टोर में सेल के दिन कंपनी को घाटे में स्टॉक बेचना पड़ा। वे एक शर्ट को 146 रुपये में बेच रहे थे जिसकी लागत उन्हें 250 रुपये आ रही थी। इस तरह के मॉडल को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें किसी और रणनीति की जरूरत थी।
फैजल ने अपनी लागत घटानी शुरू कर दी। इसके लिए उन्होंने काफी बड़ी संख्या में उत्पादन किया और थोक में कच्चा माल खरीदा। इस तरह से उन्होंने अपने खर्चों में कटौती की। कपड़ों के रीटेल व्यापार में आमतौर पर 40 से 50 फीसदी का मार्जिन होता है। फैजल की कंपनी सक्सस (Suxus) ने इस मार्जिन को 5 से 10 फीसदी पर ला दिया। उन्होंने ऐसा करके अपने ग्राहकों का भरोसा जीत लिया।
उन्होंने नए स्टोर्स खोलने शुरू किए और इस बार उन्हें फायदा भी हुआ। एक ओर जहां गारमेंट इंडस्ट्री में स्टोर में 7,000 रुपये प्रति स्क्वॉयर फुट सेल होती है और इंडस्ट्री के दिग्गज 13,000 रुपये प्रति स्क्वॉयर फीट तक ही सिमट जाते हैं वहां फैजल की औसतन सेल 25,000 रुपये प्रति स्क्वॉयर फुट हो रही थी। फैजल ने अपने इस प्रयोग से दिखा दिया कि अच्छा मुनाफा पाते हुए भी पैसे बनाए जा सकते हैं।
बड़े सपने
आज तमिलनाडु में सक्सस (Suxus) के छह स्टोर्स हैं। ये स्टोर्स मदुरै, कोयंबटूर, इरोड, नमक्कल, सलेम और कांचीपुरम में स्थित हैं। फैजल की कंपनी आज बिजनेस टू बिजनेस के साथ-साथ बिजनेस टू कस्टमर्स मॉडल पर बिजनेस करते हैं। वे अपने दाम को वाजिब रखते हैं। उनकी कंपनी सिर्फ पुरुषों के कपड़े तैयार करती है जिसमें शर्ट्स, ट्राउजर्स, टी-शर्ट्स और डेनिम्स होती हैं।
उनके स्टोर्स में काफी कम सेल्स होते हैं और किसी डिपार्टमेंटल स्टोर्स की तरह वहां खुद से सामान देखने की सुविधा होती है। इससे ग्राहकों को कपड़े चुनने में ज्यादा आसानी होती है। खास बात यह है कि उनकी कंपनी पर किसी प्रकार का कर्ज नहीं है और उन्हें किसी बाहरी स्रोत से फंडिंग भी नहीं मिलती है। वे बताते हैं, '2013 में जब हमने इस मॉडल को शुरू किया था तो हमारा रेवेन्यू 1.35 करोड़ रुपये था। इस वक्त हमारा रेवेन्यू 50 करोड़ हो गया हो गया है। अगले साल तक हम इन स्टोर्स को तमिलनाडु के सारे कस्बों और शहरों तक पहुंचाना चाहते हैं और उसके बाद हमारी योजना केरल तक विस्तार करने की है।'
वे बताते हैं. '2030 तक हम अपने स्टोर्स की संख्या बढ़ाकर 420 तक करना चाहते हैं। हम उत्तर भारत में भी अपने स्टोर्स खोलने चाहते हैं। इसके बाद हमारा सपना है कि हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहुंच बनाएं।' फैजल ने अभी तक जहां भी अपने स्टोर्स खोले हैं उन्हें हर जगह से अच्छा रिस्पॉन्स मिला है और पहले ही दिन 3,000 से अधिक लोगों ने स्टोर्स में अपने कदम रखे। तमिलनाडु जैसे राज्य में जहां सिर्फ राजनेता और फिल्मी हस्तियां ही भीड़ जुटा पाती हैं वहां सक्सस ने भी भीड़ जुटाने की कला सीख ली है। फैजल बताते हैं कि कई बार स्टोर्स में इतनी भीड़ हो जाती है कि उन्हें संभालने के लिए पुलिस बुलानी पड़ जाती है।
फैजल ने मार्केटिंग के लिए शुरू में वॉट्सऐप का इस्तेमाल किया लेकिन बाद में लोगों ने खुद ही एक दूसरे से इतनी तारीफ की कि उनकी लोकप्रियता अपने आप बढ़ती चली गई। वे डिजिटल मीडिया का खूब लाभ उठाते हैं। उनके मुताबिक, 'हम यूट्यूब वीडियो के माध्यम से लोगों को कपड़े के बारे में जानकारी देते हैं। हम ग्राहकों को बताते हैं कि उनके कपड़े की असल लागत क्या है। इसके बाद भी अगर ग्राहक ब्रैंड्स के कपड़े खरीदता है तो ये उसकी मर्जी है नहीं तो हमारे कपड़े खरीदने में कोई बुराई नहीं है।'
इसके अलावा वे ग्राहकों की प्रतिक्रिया को वीडियो में रिकॉर्ड करते हैं और उसे फिर सोशल मीडिया पर पब्लिश करते हैं। वे आगे कहते हैं, 'हमारे पास दो लाख से अधिक ग्राहकों का डेटाबेस है। हम उनके बीच ये वीडियो डालते हैं। हमारे वीडियो काफी वायरल होते हैं।' इन सारी चीजों के अलावा फैजल अपनी जानकारी में विस्तार करते रहते हैं। वे कई सारे ट्रेड और बिजनेस संगठनों से जुड़े हैं। वे हमेशा इंडस्ट्री के विशेषज्ञों से कुछ न कुछ सीखते रहते हैं जो उनके बिजनेस में काफी काम आता है।
फैजल बताते हैं कि उन्होंने सफलता से ज्यादा असफलता से सीखा है। वे कहते हैं, 'मुझे अहसस हुआ कि आप अपने बिजनेस को लोगों के सफलता के पैमाने पर नहीं खड़ा सकते हैं। आपको अपना मॉडल खुद बनाना पड़ेगा। जब मैंने शुरुआत की थी तो मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी इसलिए मुझे काफी नुकसान उठाना पड़ा।' वे मानते हैं कि अगर इरोड वाले स्टोर में उन्हें असफलता नहीं मिली होती तो आज वे इतने सफल नहीं होते। वे कहते हैं, 'आपको अपनी जगह बनानी होगी और दूसरों से अलग होना पड़ेगा। आपको वो करना होगा जो बाकी नहीं कर रहे हैं। इसके बाद ही आप अपना बिजनेस बढ़ सकते हैं।'
फैजव थयरोकेयर टेक्नॉलजी के फाउंडर और चेयरमैन ए वेलुमनी की बात का उदाहरण देते हुए कहते हैं, 'चुराया हुआ मॉडल कभी सिद्ध नहीं हो सकता है और सिद्ध मॉडल कभी चोरी नहीं हो सकता।' जब योरस्टोरी ने आखिरी सवाल के तौर पर उनसे सक्सस नाम रखने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि इसे दोनों तरफ से पढ़ा जा सकता है।
यह भी पढ़ें: भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति अजीम प्रेमजी ने परोपकार में दान किए 52 हजार करोड़