किफ़ायती दामों में ऑर्गेनिक उत्पादों तक आम ग्राहकों की पहुंच बढ़ा रहा यह शख़्स
अपने आइडिया को कैसे करें साकार, सीखें अब्दुल से...
आज हम आपको चेन्नई के रहने वाले अब्दुल शुकूर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सीधे किसानों से ख़रीदकर लोगों तक किफ़ायती दामों पर ऑर्गेनिक उत्पाद पहुंचा रहे हैं।
अपने आइडिया को साकार करने की मुहिम की शुरूआत करते हुए अब्दुल ने छोटे स्तर पर ही ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स जुटाना, उनकी पैकिंग और डिलिवरी शुरू कर दी। अपने काम को ऑर्गनाइज़ करने के लिए उन्होंने इरोड की ऑर्गेनिक फ़ार्मर्स असोसिएशन यूइर के साथ डील कर ली।
बाज़ार का एक सीधा सा उसूल होता है कि जिस चीज़ की सप्लाई कम और डिमांड ज़्यादा होती है, उसकी क़ीमतें आसमान छूती हैं और ज़रूरत के कारक के बावजूद समाज के हर वर्ग की उन चीज़ों तक पहुंच नहीं बन पाती। हम देख सकते हैं कि पिछले कुछ सालों में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की मांग में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन भारी क़ीमतों की वजह से ये उत्पाद हर घर तक नहीं पहुंच पाते। आज हम आपको चेन्नई के रहने वाले अब्दुल शुकूर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सीधे किसानों से ख़रीदकर लोगों तक किफ़ायती दामों पर ऑर्गेनिक उत्पाद पहुंचा रहे हैं।
34 वर्षीय अब्दुल इस बिज़नेस में आने से पहले टेलिकॉम इंडस्ट्री में एक अच्छे सैलरी पैकेज पर नौकरी करते थे। दो साल पहले ही उन्होंने बाज़ार से जुड़े ट्रेंड्स में बदलाव लाने के उद्देश्य के साथ अपनी कोशिश शुरू की। अब्दुल मानते थे कि उनके आइडिया से किसानों और ग्राहकों, दोनों ही को फ़ायदा होगा।
अब्दुल कहते हैं, "अपनी फ़ुल-टाइम जॉब छोड़ने के बाद, मैं ख़ुद का कोई काम शुरू करना चाहता था। मैंने दो सालों तक अपने दोस्त के साथ ए-2 दूध बेचा और काम के सिलसिले में उन्हें एकबार किसानों के बाज़ार में जाने का मौक़ा मिला, जहां पर वे ऑर्गेनिक प्रोडक्ट बेच रहे थे। इसी दौरान मैंने फ़ैसला लिया कि इन उत्पादों को मुझे बाक़ी बाज़ारों तक भी पहुंचाना चाहिए।"
अपने आइडिया को साकार करने की मुहिम की शुरूआत करते हुए अब्दुल ने छोटे स्तर पर ही ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स जुटाना, उनकी पैकिंग और डिलिवरी शुरू कर दी। अपने काम को ऑर्गनाइज़ करने के लिए उन्होंने इरोड की ऑर्गेनिक फ़ार्मर्स असोसिएशन यूइर के साथ डील कर ली। यूइर, तमिल भाषा का शब्द होता है, जिसका मतलब होता है, 'जीवन'। असोसिएशन के साथ काम करते हुए अब्दुल को एक साल हो चुके हैं और वह यह मानते हैं कि अभी बहुत कुछ करना बाक़ी है।
अब्दुल मानते हैं कि लोगों को ऑर्गेनिक उत्पाद बेहद पसंद आते हैं और इन उत्पादों की मांग लगातार इसलिए बढ़ती जा रही है क्योंकि उपभोक्ताओं को इस बात का एहसास होने लगा है कि उनके घरों में मौजूद अधिकतर उत्पादों में नुकसानदायक केमिकल्स की मिलावट है। अब्दुल ने बताया कि फ़िलहाल 20-25 ग्राहक, उनकी सुविधाएं ले रहे हैं। अब्दुल अपने ग्राहकों के साथ लगातार संपर्क में रहते हैं और उनका फ़ीडबैक लेते रहते हैं। अब्दुल मानते हैं कि इन वजहों से उनके ग्राहकों का विश्वास बना रहता है।
अब्दुल ने जानकारी दी कि वह ग्राहकों की ज़रूरतों और मांग के आधार पर ऑर्गेनिक उत्पादों की व्यवस्था करते हैं। ग्राहक, अब्दुल को लगभग एक हफ़्ते पहले अपना ऑर्डर देते हैं और अब्दुल मांग के आधार पर ही किसानों से उत्पाद ख़रीदकर लाते हैं। अब्दुल कहते हैं, "इस तरीक़े से वह अपने उत्पादों की गुणवत्ता की भी पूरी निगरानी कर पाते हैं। किसानों के लिए यह काफ़ी बड़ी बात होती है कि उनके उत्पाद शहरों में बिक रहे हैं। मैं बेहद कम शिपिंग चार्जेज़ के साथ पूरे भारत के अलग-अलग हिस्सों में अपने उत्पादों की सप्लाई भी करता हूं।"
अब्दुल यह भी मानते हैं कि ऑर्गेनिक उत्पाद ख़रीदने के लिए बहुत से प्लेटफ़ॉर्म्स मौजूद हैं, लेकिन लगभग सभी प्लेटफ़ॉर्म्स कमर्शल स्ट्रैटजी अपनाते हैं और ग्राहकों को काफ़ी महंगी क़ीमतों पर सामान बेचते हैं। अब्दुल महज 15-18 प्रतिशत मुनाफ़े के साथ अपने उत्पाद ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। अब्दुल का कहना है कि अगर वह भी बाक़ी ब्रैंड्स की तरह भारी मुनाफ़ा देखने लग जाएंगे तो उनके उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी।
अब्दुल एक 'वन मैन आर्मी' के तौर पर अपने वेंचर को आगे बढ़ाने की जुगत में लगे हुए हैं। उनके सामने रोज़ाना यह चुनौती पेश आती है कि अधिक से अधिक लोगों को ऑर्गेनिक उत्पादों की ओर रुझान करने के लिए सहमत किया जाए। अब्दुल बताते हैं कि उनके घर से भी उनको कोई ख़ास समर्थन नहीं मिलता है। अब्दुल के घरवाले उन्हें विदेश जाकर नौकरी करने और पैसा कमाने की तरफ़ ध्यान देने की नसीहत देते हैं, जबकि अब्दुल अपने काम को इबादत के तौर पर देखते हैं क्योंकि यह लोगों की सेवा से जुड़ा हुआ है।
अब्दुल अपने वेंचर की सफलता को लेकर काफ़ी सकारात्मक हैं। वह अपने स्तर पर पालक की खेती शुरू करना चाहते हैं और पालक की ऑर्गेनिक खेती के लिए रिसर्च भी कर रहा है। अब्दुल की बातचीत तमिलनाडु के ज़मीन मालिकों से चल रही है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही वह एकसाथ कई किसानों को पालक और अन्य सब्ज़ियों की ऑर्गेनिक खेती से जुड़ने का मौक़ा दे सकेंगे।
आप अब्दुल शुकूर से [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं।
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