दूरदराज की महिलाओं को गर्मी में पानी ढोने की मुश्किल से आजाद करता 'वेलो वाटरव्हील'
हमारे देश में बुनियादी तौर पर पीने के पानी की समस्या कमोबेश हर इलाके में है। चाहे महानगर हो या फिर दूरदराज का इलाका। बड़े शहरों में लोग अपनी ज़रूरत के हिसाब से पानी खरीदकर इस्तेमाल भी करते हैं लेकिन दूरदराज के इलाकों में ऐसा संभव नहीं है। आमतौर पर देखा गया है कि पानी की ज़रूरत घरों में होती है इसलिए सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है। यही वजह है कि दूरदराज के इलाकों में महिलाएं कई किलोमीटर का रास्ता तय करती हैं पानी के लिए। ऐसा माना जाता है कि ये महिलाएं अपने जीवन का लगभग पच्चीस फीसदी समय पानी भरने और घर लाने में लगा देती हैं। ऐसी बातें हम आपसे किसी खास वजह से कर रहे हैं। आइए आपको मिलाते हैं सिंथिया कोईंग से।
सिंथिया कोईंग ने अपने जीवन का एक दशक से भी अधिक का समय मैक्सिको, भूटान और ग्वाटमाला जैसे विकासशील देशों के दूरदराज के हिस्सों में रहकर बिताया है। सिंथिया बताती हैं-
‘‘मैक्सिको के दूरस्थ इलाके के एक गांव में अपने प्रवास के दौरान मैंने बहुत नजदीक से इस बात को देखा और महसूस किया कि किस प्रकार से जल संग्रहण का काम महिलाओं की शारीरिक और मानसिक दशा को प्रभावित कर रहा है और इसके चलते वे सामने आने वाले कई अवसरों का लाभ उठाने से भी चूक रही हैं।’’
दुनियाभर के कई क्षेत्रों में पीने का पानी और अन्य नित्यकर्मों के लिये आवश्यक साफ पानी को पाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। इसी कशमकश के बीच कि क्या गरीबी उन्मूलन के लिये वे व्यवसायिक दृष्टिकोण से एक समाधान पेश कर सकती हैं, सिंथिया ने स्थायी पर्यटन के अपने करियर को विराम दिया और मिशिगन विश्वविद्यालय के इर्ब इंस्टीटयूट आॅफ ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी से एमएस और एमबीए करने का फैसला किया।
अपने इसी पाठ्यक्रम के दौरान सिंथिया ने प्यास की समस्या से जूझ रहे दुनिया के हिस्सों को साफ पानी मुहैया करवाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए वेलो (Wello) नामक एक सामाजिक उद्यम की नींव रखी। वे कहती हैं, ‘‘हम ऐसे उत्पादों और समाधानों को डिजाइन करते हैं जिनकी लोगों को सिर्फ आवश्यकता ही नहीं होती बल्कि वे उसे चाहते भी हैं।’’ अपने इस सफर के दौरान सिंथिया की मुलाकात श्रद्धा राव से हुई जिनका करियर वित्त, विज्ञापन, ब्रांड मैनेजमेंट, इनोवेशन डिजाइन और उद्यमिता के क्षेत्र में फैला हुआ था। श्रद्धा भारत में वेलो की गतिविधियों का संचालन करने और नेतृत्व करने में एक प्रमुख सदस्य के रूप में स्वयं को स्थापित करने में कामयाब रहीं और फिलहाल वेलो भारत के अलावा पाकिस्तान और ज़ाम्बिया जैसे देशों में एक जाना-माना नाम है।
आखिरकार वेलो व्हील है क्या?
आप एक बेहद गर्म दिन में तपते हुए सूरज के नीचे पानी का मटका लेकर मीलों पैदल चलती हुई एक महिला की तस्वीर अपने मन में याद करें। अब आप उस मटके को एक बड़े पहिये के रूप में तब्दील करके देखें जिसे उसके साथ जुड़े हुए एक स्टीयरिंग की सहायता से बड़ी आसानी से बिना अधिक मेहनत किये लुढ़़काकर कहीं भी ले जाया जा सकता है। बस यही है वेलो व्हील।
सिर्फ भारत में ही 76 मिलियन जनसंख्या पानी के साफ और बेहतर स्रोत की कमी से जूझ रही है जिसके चलते एक बड़ी संख्या में लोग पानी की वजह से होने वाली बीमारियों की चपेट में आने के जोखिम में रहते हैं। भारत के 35 राज्यों में से केवल सात राज्य ही अपने गांवों में संरक्षित जल स्रोत पूरी तरह से उपलब्ध करवाने में कामयाब हो पाए हैं। आबादी के एक बहुत बड़े हिस्से के लिये अभी भी बेहतर जल स्रोत तक पहुंच बनाना दूर की कौड़ी है और उन्हें साफ पानी की तलाश में लगभग प्रतिदिन या तो लंबी दूरी तय करनी पड़ती है या फिर मजबूरी में अत्याधिक कीमत चुकाकर उसे खरीदना पड़ता है। यही वह समस्या है जिससे वेलो व्हील निबट रही है।
दिलचस्प बात यह है कि उनकी पहली बिक्री राजस्थान में हुई जहां के आदिवासी ग्रामीण मुखियाओं ने अपने परंपरागत ऊँट के बालों से बने मशक के बदले उनके पहले परिष्कृत वाटरव्हील प्रोटोटाइप को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई। अपने उत्पाद को मान्यता दिलवाने के बाद इन्होंने इनके निर्माण के लिये स्थानीय निर्माताओं का रुख किया। श्रद्धा बताती हैं, ‘‘पहले दिन से ही हमारा पूरा ध्यान और लक्ष्य अपने उपभोक्ताओं को अपने उत्पाद के माध्यम से पूरी कीमत वसूलवाना रहा है। मूल्य को मापने का सबसे बेहतर तरीका सिर्फ नकद लेनदेन का होता है और आज की तारीख में हमारे वाटरव्हील स्थान और फाइनेंस की उपलब्धता के आधार पर खुदरा बाजार में 2 हजार से 2,500 रुपये के बीच में उपलब्ध हैं।’’
इसके अलावा वेलो की टीम अपने इन वाटरव्हील को अधिक से अधिक उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाने के लिये प्रभावी तरीकों की खोज में कुछ संभावित माध्यमों के साथ प्रयोग कर रहे हैं। सिंथिया कहती हैं, ‘‘पारंपरिक वितरक, गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) और सूक्ष्म वित्त संस्थान वे माध्यम हैं जिनके साथ हम फिलहाल प्रयोग के दौर में हैं। वर्तमान में हमारा सारा ध्यान महाराष्ट्र पर है लेकिन हम वाटरव्हील को दूरस्थ क्षेत्रों के व्यापक उपभोक्ताओं तक भी पहुंचाने के लिये तत्पर हैं।’’
एक कंपनी के रूप में वेलो खुद को एक ऐसे डिजाइन उद्यम के रूप में देख रहा है जो ग्रामीण बाजार के लिये नए उत्पाद तैयार कर रहा है। भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए सिंथिया कहती हैं, ‘‘वेलो हमारे इतिहास में एक रोमांचक मोड़ पर है। बीते कुछ महीनों में हमनें अपने पहले उत्पाद वाटरव्हील 2.5 का वाणिज्यीकरण करने में सफलता पाई है और अपनी पहली उत्पादन श्रंखला को बेचा है। इसके अलावा हमने अपने अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) के पाइपलाइन में दो नए उत्पादों को भी जोड़ा है।’’ कंपनी फिलहाल सेल्स और संचालन के क्षेत्र में विभिन्न भूमिकाओं के लिये लोगों को अपने साथ जोड़ने के क्रम में है। इसके अलावा वेलो कंपनी को विकसित करने की दिशा में निवेशकों और सलाहकारों की भी तलाश में है।