सामूहिक कृषि में आर्गेनिक फार्मिंग प्रयोगों से किसानों की आर्थिक स्थिति को मज़बूत करने टाटा की पहल
ऑरगेनिक फार्मिंग परियोजना के तहत सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन की मदद ली जाती है, इससे पानी भी बर्बाद नहीं होता और उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है।
देश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी टाटा पावर ने अपनी समाजिक जिम्मेदारी प्रतिबद्धता के तहत जोजोबेरा प्लांट ने जमशेदपुर के पास सरजमदा और खैरबोनी गांव के किसानों में ऑरगेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने का बीड़ा उठाया है। इसके तहत टाना ने ग्रीन व्यू नर्सरी के साथ गठबंधन किया है। इस व्यवस्था के तहत अत्याधुनिक तकनीक की सहायता से किसानों को खेती-किसानी की ट्रेनिंग दी जाती है और इस कदम से किसानों को प्रगितीशील बनाया जा रहा है। टाटा पावर ने सीएसआर के द्वारा समुदायों के जीनव स्तर को बेहतर करने के लिए कई प्रयास किए हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत कंपनी शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और अन्य अनेक माध्यमों के जरिए लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने की हमेशा कोशिश करती है।
इस काम के लिए सरजमदा और खैरबोनी गांवों के किसानों को हितकारी समूहों में संगठित किया है। यहाँ किसानों को आधुनिकतम कृषि तकनीकों के उपयोग की जानकारी दी जाती है और उसके माध्यम से उन्हें इंटिग्रेटे फार्मिंग के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कंपनी ने उन्हें समेकित खेतों के निर्माण में सहायता की है, ताकि जोत के छोटे आकार की वजह से जो खेती के कामों में दिक्कतें आती हैं वो दूर हो जाएं। कृषि उत्पादन को किसानों के बीच उनकी जोत के आकार के अनुपात में बांट दिया जाता है। तकनीकी जानकारी मुहैया करने और उत्पादों को खरीदने की सुविधा के साथ ग्रीन व्यू नर्सरी का इस काम में किसानों के साथ सहभागिता रंग ला रही है। सिंचाई के लिए खेतों में ड्रिप इरिगेशन को लागू किया गया है जबकि उत्पादन को बढ़ाने के लिए सिर्फ जैविक खाद का प्रयोग होता है जिससे पर्यावरण और मिट्टी के संरक्षण में मदद मिलती है साथ ही पानी की बर्बादी भी नहीं होती।
टाटा द्वारा किसानों के लिए किए गए इस प्रयास के बारे में बताते हुए टाटा पावर के जोजोबेरा स्टेशन के चीफ वीवी नामजोशी ने कहा,
‘टाटा पावर हमेशा अपने समुदायों के जीवन स्तर में सुधार के लिए प्रयासरत रहता है और ये परियोजना जनजातीय लोगों में कृषि पद्धति में सुधार लाने की दिशा में एक प्रयास है। हमारा लक्ष्य उनके जीवन के आर्थिक स्तर को ऊंचा उठाना है। इस परियोजना के जरिए हम किसानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और उन्हें बाहरी दुनिया में खेती में इस्तेमाल होने वाली तकनीक से अवगत कराते हैं ताकि वो ऐसी पद्धतियों को अपना कर अपना सामूहिक विकास कर सके। कृषि उत्पादन और किसानों की आमदनी के लिहाज से इस प्रयास के कई फायदे हैं। छोटे-छोटे जोतों को एक साथ लाकर सामूहिक कृषि के इस प्रयोग से आर्थिक रुप से कमजोर किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है और उन्हें कुछ नया करने लिए भी प्रेरित करती है।
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सरजमदा में 11 किसानों को एक समूह में संगठित किया गया और अभी लगभग 12 एकड़ जमीन को सामूहिक कृषि के अंतर्गत लाया गया है। इसके तहत किसान अन्य चीजों के अलावा फूलगोभी, खरबूज़ और तरबूज़ की खेती करते हैं। इस साल पहली फसल से लगभग 17 टन खरबूज़ा, 14 टन तरबूज़ का उत्पादन हुआ, जिससे किसानों को करीब 2.60 लाख रु. मिले। जुलाई महीने में तरबूज़ और खरबूजे का उत्पादन 100 टन से अधिक होने की उम्मीद है।