कचौड़ी बेचने वाले की सालाना कमाई 60 लाख, इनकम टैक्स ने मारा छापा
आजमगढ़ का जूठन चाय वाला, कानपुर का मोती मलाई वाला, बनारस में तो एक मोहल्ला ही कचौड़ी वाली गली के नाम से मशहूर है लेकिन अलीगढ़ में मुकेश कचौड़ी भंडार पर रेड पड़ी तो पता चला की यहां करोड़ों की कमाई हो रही है। इस मामूली सी दुकान की सालाना इनकम साठ लाख रुपए से अधिक है।
सुनकर कोई भी चौंक जाएगा लेकिन अलीगढ़ (उ.प्र.) की 'मुकेश कचौड़ी' के बारे में ये सोलहो आने सच है। किसी को कब किस काम में बरक्कत हो जाए, कह पाना मुश्किल भले हो, असंभव नहीं है। वैसे तो आज के जमाने में ज्यादातर शहरों में कोई न कोई मशहूर कचौड़ी-समोसा, मिठाई-पकौड़ी वाला बारहो घंटे अपने ग्राहकों से घिरा रहता है, उसे सांस तक लेने की फुर्सत नहीं होती है लेकिन 'मुकेश कचौड़ी भंडार' वाले की इसलिए बात ही कुछ ज्यादा निराली है कि वाणिज्यिक कर विभाग की उस दुकान पर रेड पड़ी है।
शहर में सीमा टॉकीज के करीब स्थित इस मुकेश की इस साधारण सी दिखने वाली दुकान ने कमर्शियल टैक्स अधिकारियों को हैरत में डाल दिया है। टैक्स के मामले की छानबीन कर रहे एसआईबी के डिप्टी कमिश्नर आरपीडी कौन्तैय के मुताबिक, छापा पड़ने के बाद मुकेश ने आसानी से सालाना अपनी साठ लाख रुपए की कमाई का सच मान लिया है। इसके साथ ही उसने जांच अधिकारियों को अपने कच्चे माल, तेल, एलपीजी सिलेंडर आदि की दैनिक और वार्षिक खपत का पूरा ब्योरा भी उपलब्ध करा दिया है।
गौरतलब है कि चालीस लाख रुपए और उससे अधिक के टर्नओवर वाले कारोबारी को जीएसटी पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है। तैयार खाद्य पदार्थों पर पांच फीसदी टैक्स लगता है। एसआईबी ने मुकेश को जीएसटी पंजीकरण करवाने के साथ ही एक साल का टैक्स चुकाने के भी फरमान थमा दिए हैं।
अलीगढ़ शहर में सीमा सिनेमा के निकट रोजाना सुबह-सवेरे मुकेश की कचौड़ी-समोसे की दुकान का शटर उठ जाता है, जो देर शाम ही गिराया जाता है। इस दौरान दुकान पर बराबर ग्राहकों का तांता लगा रहता है। जांच करने वाले अधिकारियों को तो अंदेशा है कि इस दुकान से भले ही मुकेश के मुताबिक सालाना साठ लाख रुपए की कमाई बताई गई हो, वास्तविकता में ये आमदनी एक करोड़ रुपए से ज्यादा हो सकती है।
मुकेश की दुकान पर छापा किसी भेदिया की वजह से डाला गया। मुकेश की दुकान तो रोजाना की तरह आराम से चल ही रही थी, शिकायत के बाद अचानक ठीकरा फूट पड़ा। वाणिज्यिक कर निरीक्षकों की टीम ने मौके पर पहुंच कर गहराई से पड़ताल, आसपास के लोगों से भी पूछताछ की। इससे पहले बगल की दुकान पर कुछ देर चुप्पी साधकर टीम के लोगों ने हालात का जायजा ले लिया था। अब मुकेश को नोटिस जारी कर दिया गया है। इतनी भारी आमदनी के बावजूद उन्होंने आज तक एक पैसा टैक्स नहीं चुकाया है।
उनका कहना है कि उन्हे जीएसटी, टैक्स जैसी बातों की कोई जानकारी ही नहीं है। वह तो पिछले बारह वर्षों से आराम से एक सामान्य दुकानदार की तरह कचौड़ी-समोसे बेचने में ही व्यस्त रहे हैं। आज तक उन्हे किसी ने कभी कोई रोक-टोक नहीं की थी। अब नोटिस मिला है तो वह गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) चुकाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
इसके साथ ही मुकेश ने टैक्स विभाग के अधिकारियों पर प्रताड़ित करने का आरोप भी लगाया है। उनका कहना है कि उनकी दुकान पर 20 जून को छापेमारी की गई। दुकान का रोजाना कारोबार दो से तीन हजार रुपए तक हो जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जीएसटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होने के लिए 40 लाख सालाना से अधिक का टर्नओवर होना चाहिए और मेरी इनकम इसकी आधी भी नहीं है। इस पर मामले की जांच कर रहे राज्य खुफिया ब्यूरो का जवाब है कि जांच के दौरान दुकानदार ने स्वयं अपनी आय की बात स्वीकारते हुए कच्चे माल की खपत का पूरा ब्योरा भी खुद दिया है।
दुकानदार को अब तो जीएसटी पंजीकरण करवाना ही होगा, साथ ही उन्हे पिछले एक साल का टैक्स भी चुकाना पड़ेगा। अब तो रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में भी बिक रहे खान-पान पर बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट के पांच फीसदी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगा दिया गया है। नवंबर 2017 से सरकार ने 213 सामानों को अधिकतम 28 प्रतिशत जीएसटी स्लैब से निकालकर 18 प्रतिशत के स्लैब में शामिल किया है। पांच प्रतिशत जीएसटी के दायरे में शामिल छह सामानों पर टैक्स खत्म कर दिया गया है।