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जलवायु परिवर्तन ने बदली मानसून की चाल, राजस्थान में इस बार भी देरी से देगा दस्तक

जलवायु परिवर्तन ने बदली मानसून की चाल, राजस्थान में इस बार भी देरी से देगा दस्तक

Thursday May 14, 2020 , 3 min Read

जयपुर, राजस्थान में इस साल मानसून 25 जून को पहुंचने की संभावना है। बीते तीस साल के औसत के हिसाब से इस बार मानसून का आगमन सामान्य से दस दिन की देरी से होगा। यही नहीं राजस्थान से इसकी विदाई भी लगभग 12 दिन आगे टल गयी और इस बार यहां सितंबर के आखिर सप्ताह तक बारिश हो सकती है।


जलवायु परिवर्तन ने बदली मानसून की चाल, राजस्थान में इस बार भी देरी से देगा दस्तक (फोटो साभार: ShutterStock)

जलवायु परिवर्तन ने बदली मानसून की चाल, राजस्थान में इस बार भी देरी से देगा दस्तक (फोटो साभार: ShutterStock)


मौसम विभाग ने बीते तीस साल में राजस्थान में मानसून के रवैये के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। इस अध्ययन का निष्कर्ष यही है कि राजस्थान में मानसून की दस्तक में बीते तीन दशक में लगातार देरी हुई है। औसतन आधार पर इसका आगमन दस दिन व विदाई लगभग 12 दिन आगे चली गयी है। मौसम विभाग का आकलन कहता है कि राजस्थान में मानसून इस बार 25 जून से शुरू होकर 27 सितंबर तक रह सकता है।


गौरतलब है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून भारत में सबसे पहले जून के पहले हफ्ते में मालाबार तट पर पहुंचता है। वहां से इसकी अरब सागर वाली शाखा बढ़ती हुई लगभग आखिर में गुजरात से होती हुई राजस्थान पहुंचती है। राजस्थान में इसका आगमन गुजरात से लगते उदयपुर के इलाकों से होता है। अब तक राजस्थान में मानसून की अवधि 15 जून से लेकर 20 सितंबर तक मानी जाती थी।


देश के मौसम विभाग ने बीते तीस साल में मानसून चक्र में आए बदलाव का अध्ययन करवाने का फैसला किया था। इस अध्ययन के निष्कर्ष 15 मई को जारी होने की संभावना है।


राजस्थान राज्य में मानसून प्रवेश की सामान्य तिथियों के हिसाब से देखा जाए तो 15 जून को आकर 15 जुलाई तक पूरे राज्य में बारिश हो जाती है। एक सितंबर से यह विदा होना शुरू होता है और 20 सितंबर तक पूरी तरह से विदा हो जाता है। नयी अनुमानित तिथियों के अनुसार मानसून 25 जून को आएगा व आठ जुलाई तक पूरे राज्य में बारिश हो जाएगी। यह 17 सितंबर से विदा होना शुरू होगा और 27 सितंबर तक मानसून पूरी तरह राज्य से चला जाएगा।


मौसम केंद्र जयपुर के एक अधिकारी ने पीटीआई भाषा को बताया,'राज्य में मानसून के आगमन और प्रस्थान की पुरानी व नई सामान्य तिथियों में तीस साल के आधार पर लगभग दो हफ्ते का बदलाव मोटा मोटी नजर आ रहा है। इसका आगमन व प्रस्थान लगातार और खिसका है यानी उसमें देरी होती गयी है। नयी तारीखों का अनुमान भी इसी 'क्रम' पर आधारित है।' लेकिन यह सिर्फ अनुमान है वास्तविक में यह पहले, बाद में, कम ज्यादा कुछ भी हो सकता है।


मौसम केंद्र के निदेशक शिव गणेश के अनुसार राजस्थान के लिए मानसून की चाल ढ़ाल में यह बदलाव बीते तीस साल के अंतराल में दर्ज किया गया है। राज्य में इसका आगमन व प्रस्थान दोनों ही लगभग दस से 15 दिन आगे चले गए हैं। इस बार भी यही क्रम बना रहने का अनुमान है और संभवत: इसके जून के आखिरी सप्ताह में ही आने की संभावना है।


उन्होंने कहा कि मानसून के 'पैटर्न' में इस बदलाव की एक बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन मानी जा सकती है।



Edited by रविकांत पारीक