अपनी हर बाधा को खुद पार कर लेने का हौसला रखती हैं कलेक्टर निधि निवेदिता
इस समय मध्य प्रदेश में राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता के थपड़ों की गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है लेकिन वह कहती हैं, हर महिला को अपना भविष्य खुद गढ़ना पड़ता है वरना समाज का पुरुष वर्चस्व तो एक कदम भी चलना दुश्वार कर दे। वह अपनी हर बाधा को खुद पार कर लेने का हौसला और हुनर रखती हैं।
जब भी कोई महिला अफसर पुरुषों से बेहतर और पूरे दबदबे के साथ अपनी ड्यूटी को अंजाम देने लगती है, प्रायः देखा गया है कि किसी न किसी बहाने पूरा पुरुष समाज उसके खिलाफ उठ खड़ा होता है। मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की कलेक्टर निधि निवेदिता के साथ कुछ वक़्त से ऐसा ही चल रहा है।
विपक्षी जिस तरह प्रदेश में इन दिनो 'थप्पड़' (तापसी पन्नू की आने वाली फिल्म नहीं) को सबसे बड़ा मुद्दा बनाने पर आमादा हैं, निधि निवेदिता की आत्मकथा में ही उनसका जवाब छिपा है। एक बार महिला दिवस पर औरतों और बच्चों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि एजुकेशन के दौरान खुद उनके घर वाले ही उन्हे यह कहते हुए ठीक से नहीं पढ़ने देते थे कि पढ़-लिखकर कलेक्टर थोड़े बन जाएगी।
साथ में आए दिन उन पर थप्पड़ भी पड़ा करते लेकिन उन्होंने स्कूल और किताबों से कभी समझौता नहीं किया और उसी का नतीजा है कि लोग मुझे इस मोकाम पर पा रहे हैं। बच्चों पर ज्यादा ठीक से पढ़ाई के लिए थप्पड़ पड़ते हैं लेकिन उन पर पड़ने वाली थप्पड़ की तो पूरी दास्तान ही उलटी थी। हां, मां से जरूर पूरी हौसलाआफजाई होती रही और उन्होंने न कभी थप्पड़ मारा, घर की आर्थिक तंगी को उनकी पढ़ाई की राह में आड़े आना दिया।
गौरतलब है कि 19 जनवरी को ब्यावरा (राजगढ़) में सीएए समर्थक रैली के दौरान असभ्य तरीके से पेश आने पर उछल-उछल कर नारेबाजी करते भाजपा नेता को कलेक्टर निधि निवेदिता ने थप्पड़ मार दिया था। इस मामले को विपक्ष ने मुद्दा बना लिया लेकिन आईएएस एसोसिएशन उनके पक्ष में खड़ा हो गया। इसके कुछ दिनों बाद दबाव बनाने के लिए एक पटवारी को थप्पड़ मारते हुए कलेक्टर निवेदिता का वीडियो वायरल कर दिया गया।
इस बीच उनके खिलाफ लगातार राजनीतिक ताने-बाने बुने जाते रहे लेकिन कलेक्टर ने हार नहीं मानी, किसी भी तरह की आलोचनाओं से नहीं डरीं। हाल ही में एक बार फिर नया बखेड़ा उस वक़्त खड़ा कर दिया गया, जब कलेक्टर ने एक दरोगा को थप्पड़ जड़ दिया।
बार-बार हाथ छोड़ना वैसे तो कोई अच्छी बात नहीं, हो सकता है इसके पीछे कलेक्टर के मन में बचपन की प्रताड़नाओं की भी कोई स्वाभाविक प्रतिक्रिया रहती हो, लेकिन पिटने वालो की हरकतों को भी इस सवाल के साथ आसानी से समझा जा सकता है कि आज पूरे देश में दरोगा, पटवारी और नेताओं की कैसी छवि है। वे आम लोगों के साथ किस तरह से पेश आते हैं और निजी जीवन में कितने तरह के खेल-तमाशे करते रहते हैं। एक आईएएस तभी आपा खो सकता है, जब सामने वाला हद दर्जे की कोई ऊटपटांग हरकत या गलती कर रहा हो।
इस समय तो जैसे पूरा विपक्ष ही कलेक्टर के पीछे हाथ धोकर पड़ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया कि राजगढ़ कलेक्टर ने अपनी सीमा लांघ कर पहले तो संसद में बने कानून का समर्थन कर रहे कार्यकर्ताओं पर थप्पड़ बरसाए, इसके बाद पटवारी और एएसआई को भी थप्पड़ मारा।
अब डीजीपी वीके सिंह ने प्रमुख सचिव को इस मसले पर पत्र लिखा है। इस बीच आईएएस और आईपीएस एसोसिएशन में मतभेद भी सामने आ चुके हैं। पीएचक्यू की रिपोर्ट मिलने के बाद गृहमंत्री बाला बच्चन कहती हैं कि डीजीपी के पत्र के संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
बहरहाल, कलेक्टर की धमक से इनकार नहीं किया जा सकता है। उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए जिले के पुलिस, नेता, पटवारी चाहे जितना शोर मचाएं, उनकी ही सताई जनता की निधि निवेदिता के साथ पूरी सहानुभूति है।
वह कहती हैं, हर महिला को अपना भविष्य खुद गढ़ना पड़ता है वरना समाज का पुरुष वर्चस्व तो एक कदम भी चलना दुश्वार कर दे। वह अपनी हर बाधा को खुद पार कर लेने का हौसला रखती हैं।