कोरोना एक लड़ाई: लॉकडाउन के बाद क्या होगा एयरलाइन कंपनियों का?
कोरोना महामारी ने एविएशन सेक्टर को हिला कर रख दिया है। ढेर सारी मुश्किलों का सामना कर रहे इस सेक्टर के लिए निकट भविष्य काफी चुनौती भरा नज़र आ रहा है।
कोरोना महामारी के प्रकोप से शायद ही कोई ऐसा सेक्टर बचा हो जो प्रभावित न हुआ है। टूरिज़म, होटल, रेल और विमान सेवाओं पर इस स्थिति की बुरी मार पड़ी है। उड्डयन सेक्टर के लिए इसके पहले शायद ही इतना चुनौतीपूर्ण समय आया हो। मौजूदा हालातों के बीच बिगड़ी दशा को देखते हुए सेंटर फॉर एविएशन के अनुसार विमानन क्षेत्र को इस दौरान 3.3 अरब डॉलर से लेकर 3.6 अरब डॉलर के बीच नुकसान होने का अनुमान है।
ऐसा नहीं है कि विमानन क्षेत्र सिर्फ ये आर्थिक नुकसान ही झेलेगा, बल्कि आज इस क्षेत्र में 29 लाख नौकरियों पर संकट के बादल छाए हुए हैं। इस स्थिति को लेकर कई कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को ई-मेल के जरिये सूचित कर रही हैं, जबकि हाल ही में ब्रिटिश एयरवेज़ ने 12 हज़ार लोगों को नौकरियों से निकालने का फैसला भी किया था।
देश में फिलहाल लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है, लेकिन सभी विमान सेवाएँ लॉकडाउन के पहले दिन से ठप पड़ी हुई हैं। लगभग सभी विमान इस समय ग्राउंड पर हैं और संकट के बादल छट जाने कि रह देख रहे हैं, लेकिन क्या हालात इतनी जल्दी बेहतर हो पाएंगे? मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है।
किस तरह पड़ी मार?
एविएशन सेक्टर इस लॉकडाउन के दौरान बेहद बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सभी हवाई सेवाएँ लगभग बंद हो गईं हैं, जिसके चलते पहले से संकट में चल रहे इस क्षेत्र की मुश्किलों में और अधिक इजाफा हुआ है। देश में लॉकडाउन का पहला चरण 24 मार्च की आधी रात से शुरू हुआ था और तब से ही विमान जमीन पर ही खड़े हुए हैं।
जमीन पर खड़े ये विमान इस समय कंपनियों को कोई राजस्व तो नहीं दे रहे हैं, लेकिन इसके किराए का भुगतान इन कंपनियों को जरूर करना पड़ रहा है। इसी के साथ कंपनियों को ग्राहकों की बुकिंग का भी पूरा पैसा रिफ़ंड करना पड़ रहा है, जबकि आम दिनों में कंपनियाँ अपने अनुसार चार्ज लगाकर ग्राहकों की बुकिंग का पैसा वापस करती थीं।
इन दिनों पार्किंग में खड़े विमानों की देखरेख का काम जरूरी है, वहीं कुछ मालवाहक विमानों का इस्तेमाल जरूरी समय को लाने-ले जाने में किया जा रहा है।
क्या होगा असर?
24 मई से शुरू हुए इस लॉकडाउन को सरकार की तरफ से दो बार बढ़ाया जा चुका है और फिलहाल यह लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है जो 17 मई तक जारी रहेगा, फिलहाल तब तक सभी विमान जमीन पर ही रहेंगे, मतलब अभी किसी भी तरह की कमर्शियल हवाई सेवा को शुरू करने की अनुमति नहीं दी गई है।
इस सेक्टर को होने वाले नुकसान का असर हर तरफ दिखाई देगा। जल्द ही एयरलाइन कंपनियाँ यात्री टिकटों की कीमतों में भी इजाफा कर सकती हैं, इसी के साथ कंपनियाँ नए विमानों को खरीदने के विकल्प से पीछे भी हट सकती हैं। इन सब के बीच जिस तरह के हालात बने हुए हैं, कुछ एयरलाइन कंपनियों को बंद करने की नौबत भी आ सकती है या दूसरी एयरलाइनों में उनका विलय भी देखने को मिल सकता है।
ये एयरलाइन जब शुरू होती हैं तो शुरुआती समय में तो बड़ी संख्या में यात्री देखे जाएंगे, क्योंकि देश के तमाम कोनों में फंसे हुए लोग अपने घरों को जाना चाह रहे हैं, लेकिन यह भीड़ कुछ समय बाद ही कम हो जाएगी और तब एयरलाइन कंपनियों को असल मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
हवाई यात्रा सेवाएँ शुरू होने के साथ यह बात भी सामने आ रही है कि इस दौरान हवाई जहाज में सोशल डिस्टेन्सिंग को बनाए रखने के लिए हर कतार में कुछ सीटों को खाली छोड़ा जाए, अब ऐसे में यह एयरलाइन कंपनियों के लिए एक अतिरिक्त झटका होगा।
कोरोना वायरस ने पूरे विश्व को मंदी के और पास ले जाने का काम किया है और ऐसे में भारत के संवेदनशील ग्राहक हवाई यात्रा को कैसे प्राथमिकता देते हैं यह देखने वाली बात होगी। जबकि कोरोना वायरस के चलते यात्रियों के लिए एयरपोर्ट पर प्रक्रिया का पालन करना भी आसान नहीं होगा। खबरों में है कि एयरपोर्ट पर सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करने के लिए कतार व्यवस्था पर फिलहाल रोक लगाई जाएगी, लेकिन ऐसा करने के साथ ही यात्रियों को एयरपोर्ट कई घंटे पहले ही पहुँचना पड़ेगा।