कोरोनावायरस लॉकडाउन : हरियाणा के सरपंच हुक्का पीने के लिए ग्रामीणों को साथ बैठने से कर रहे हैं मना
चंडीगढ़, हरियाणा के गांवों में हुक्का गुड़गुड़ाने का चलन बहुत आम है लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण ग्राम प्रधान लोगों को सचेत कर रहे हैं कि वे एक ही पाइप साझा नहीं करें और बैठकों से दूर रहें।
गांव-कस्बे में कोरोना वायरस के बारे में जागरूकता बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाते हुए ग्राम प्रधान या सरपंच भी यह सुनिश्चित करने में जुटे हुए हैं कि फसलों की कटाई के इस मौसम में लोग सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करें।
सिरसा में नाजेल्दा कलां के सरपंच होशियार चंद ने कहा,
‘‘हुक्का पीना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। खासकर बुजुर्ग गांव में बातचीत के लिए एक जगह जुटते हैं और हुक्का पीते हैं। शुरुआत में उनको समझाना थोड़ा कठिन रहा लेकिन हमें उन पर भरोसा था। जल्द ही हर किसी को अहसास हो गया कि कोरोना वायरस के संक्रमण के मद्देनजर यह खतरनाक हो सकता है और अब बाहर में हुक्का पीते हुए कोई नजर नहीं आता है।’’
हिसार जिले में पबरा के सरपंच राजेश ढिल्लौं ने कहा कि गांवों में हुक्का पीना और ताश खेलना आम बात है। इसके लिए कई लोग एक जगह जमा भी हो जाते हैं लेकिन आजकल लोग ऐसा करने से परहेज कर रहे हैं।
उन्होंने कहा,
‘‘हमने ग्रामीणों को बताया कि ऐसी चीजों से कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में सरकार के प्रयास पर पानी फिर सकता है। कुछ दिन बाद लोग खुद ही सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने लगे। ’’
हरियाणा में संक्रमण के 183 मामले सामने आए हैं। अधिकतर मामले नूंह, पलवल, गुरुग्राम और फरीदाबाद में आए हैं।
सिरसा जिले में हांडी खेड़ा के ग्राम प्रधान आत्मा राम ने बताया कि उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि लोग सरकार के निर्देशों का पालन करें।
फसलों की कटाई का समय होने के कारण उन्होंने खेतों में किसानों को आपस में दूरी बनाए रखने को भी कहा है।
सरकार 15 अप्रैल से सरसों और 20 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू करेगी। लॉकडाउन की वजह से इस बार खरीद में देरी हुई है।
आत्मा राम ने पीटीआई-भाषा से कहा,
‘‘सरकार सामाजिक दूरी के महत्व पर जोर दे रही है और किसानों सहित हर किसी को बताया गया है कि सुरक्षित रहने के लिए यह सबसे बेहतर तरीका है।’’
सरपंचों ने बताया कि वे नियमित तौर पर कोरोना वायरस और लॉकडाउन के बारे में सूचनाएं, जानकारी और सरकारी निर्देश ग्रामीणों के साथ साझा करते हैं।
Edited by रविकांत पारीक