मिर्ची वाले रसगुल्ले: मीठे रसगुल्लों ने तो आपकी खूब लार टपकाई है, अब ज़रा इन्हें भी चख लो!
पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में जमकर बिक रहे हैं तीखे रसगुल्ले
रसगुल्ले, एक ऐसी मिठाई जो हमारे देश में हर शहर, हर गांव और हर मौसम में मिल जाती हैं। हमें विश्वास है कि आपने भी कई बार रसगुल्ले खाए होंगे। इनकी मिठास जीभ पर लगते ही जैसे परमसुख मिल गया हो, कि अनुभूति होती है।
लेकिन आज हम आपको एक जगह के बारे में बता रहे है जहां हरी मिर्च के साथ तीखे रसगुल्ले मिलते हैं और लोग इन्हें बड़े चाव से खाते हैं। जी हां, पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में एक दुकान के हलवाई ने रसगुल्लों में 'तड़का' लगाया हैं और ये तड़केदार रसगुल्ले इन दिनों हर ओर चर्चा का विषय बने हुए हैं। ये सुनने में आपको जरूर अटपटा लग रहा होगा लेकिन इन रसगुल्लों को लोग बेहद पसंद कर रहे हैं।
मिदनापुर में चर्च स्कूल के पास स्थित इस मिठाई की दुकान पर लोगों की जमकर भीड़ लगती है।
दुकान के मालिक अरिंदम शॉ कहते हैं,
‘‘पहले मैं गुड़, केसर, हाजर और आम से बने सामान्य रसगुल्ले बनाता था लेकिन मुझे एहसास हुआ कि लोग टेस्ट में बदलाव चाहते हैं। हमने हवा के रुख में चलना शुरू कर दिया।”
सबसे जरुरी बात हम आपको बता रहे हैं, इन रसगुल्लों की कीमत मात्र 10 रुपये प्रति पीस है।
मिदनापुर के डिला मिठाई विक्रेता समिति के सचिव सुकुमार डे बताते हैं,
‘‘मिदनापुर रसगुल्लों के अलग-अलग स्वादों के लिए मशहूर है। लोगों के बदलते स्वाद के लिए यहां नए-नए प्रयोग किए जाते हैं।”
वहीं शहर के अन्य मिठाई विक्रेताओं का ये भी कहना है कि कई लोग मधुमेह (डायबिटीज) की बीमारी से ग्रसित होने के कारण चाशनी में डूबे मीठे रसगुल्ले नहीं खा पाते हैं। जिससे इसका सीधा असर मिठाईयों के व्यापार पर भी पड़ने लगा है। इसी को लेकर आए दिन मिठाईयों के साथ हम लोग नए-नए एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। और इन्हीं एक्सपेरीमेंट्स के तहत हमने रसगुल्लों के साथ हरी मिर्च का तड़का लगाना शुरू कर दिया।
एक अन्य लोकल मिठाई विक्रेता बताते हैं कि
‘‘रसगुल्लों के साथ किया गया हमारा ये एक्सपेरिमेंट सफल रहा और आज तीखे रसगुल्लों के मीठे चर्चे हर किसी की जुबान पर हैं।”
आपको बता दें कि इन तीखे रसगुल्लों के साथ एक कहानी यह भी है कि सन् 1845-1855 में फूलिया के हरधन मोयरा ने अपनी बेटी के लिए एक प्रकार की नई मिठाई बनाई थी। उन्होंने ताजे कॉटेज चीज को उबलती चाशनी में डाल दिया था। जिसके बाद से रसगुल्लों पर कई तरह के नए प्रयोग किए गए।