मानव तस्करी की पीड़िताओं ने खोली ‘बेटी ज़िंदाबाद बेकरी’
छत्तीसगढ़ के जशपुर की ये महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर
यह लेख छत्तीसगढ़ स्टोरी सीरीज़ का हिस्सा है...
2016 से शुरू हुए बेटी ज़िंदाबाद कार्यक्रम के तहत ‘बेटी ज़िंदाबाद बेकरी’ खोली गई जिसमें मानव तस्करी का शिकार हो चुकीं 20 लड़कियां काम कर रही हैं और आजीविका के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रही हैं।
यह दुकान ग्राम पंचायत के मारफ़त मिली थी। बेकरी के लिए प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम के अंतर्गत 5 लाख रुपए का और छत्तीसगढ़ महिलाकोष के माध्यम से 1 लाख रुपए का ऋण उपलब्ध कराया गया।
मानव तस्करी हमारे समाज के लिए अभिशाप है। देश के कई राज्य ऐसे हैं, जहां के दूरस्थ क्षेत्रों में आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों की महिलाएं और बेटियां समाज के इस कोढ़ का लगातार शिकार हो रही हैं। केंद्र और प्रदेश सरकारें लगातार मानव तस्करी की रोकथाम की दिशा में काम कर रही हैं। समाज द्वारा इस बात को तो ज़रूर स्वीकार किया जाता है कि मानव तस्करी की गतिविधियों से निर्दोष और मासूम लड़कियों और महिलाओं की ज़िंदगी बर्बाद हो रही है, लेकिन कई बड़े सवाल हमारे सामने अभी भी मुंह फैलाए खड़े हैं? क्या इन पीड़िताओं को समाज, वापसी के जायज़ मौक़े देता है? क्या समाज और परिवार में लौटने के बाद इनके साथ उचित व्यवहार किया जाता है? क्या इन लड़कियों और महिलाओं को एकबार फिर से आत्मनिर्भर बनने के अवसर मुहैया कराए जाते हैं? ऐसे ही कई और सवाल समाज और सरकार के समक्ष एक बड़ी चुनौती के रूप में हमेशा ही मौजूद रहते हैं।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के जशपुर प्रशासन और क्षेत्रवासियों ने मिलकर इन सभी चुनौतियों को पार करते हुए एक असाधारण उदाहरण पेश किया है। जशपुर में बदलाव की इस बयार का श्रेय जाता है, ज़िले की कलेक्टर प्रियंका शुक्ला को। प्रियंका शुक्ला, जशपुर की पहली महिला कलेक्टर हैं। उन्होंने प्रशासन की मुहिम की अगुवाई करते हुए, मानव तस्करी की पीड़िताओं के लिए जशपुर के कांसाबेल में 10 अक्टूबर, 2016 से बेटी ज़िंदाबाद कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके अंतर्गत ‘बेटी ज़िंदाबाद बेकरी’ खोली गई है और इसमें मानव तस्करी का शिकार हो चुकीं 20 लड़कियां काम कर रही हैं और आजीविका के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रही हैं। इन लड़कियों का संदेश है कि रोज़गार के लिए अपनी ज़मीन को छोड़कर जाने की ज़रूरत नहीं है। बेटी ज़िंदाबाद बेकरी हर महीने करीबन 45 हज़ार रुपए तक की कमाई कर रही है।
महिला और बाल विकास विभाग की वरिष्ठ अधिकारी नेहा राठिया ने बताया कि इन बालिकाओं को मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत पुणे के विज्ञान आश्रम में बेकरी के काम से संबंधित दो महीने का प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद बेटी ज़िंदाबाद बेकरी शॉप और निर्माण यूनिट का उद्घाटन 15 अगस्त, 2017 को कांसाबेल के बस स्टैण्ड पर स्थित एक छोटी सी दुकान से किया गया। यह दुकान ग्राम पंचायर के मारफ़त मिली थी। बेकरी के लिए प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम के अंतर्गत 5 लाख रुपए का और छत्तीसगढ़ महिलाकोष के माध्यम से 1 लाख रुपए का ऋण उपलब्ध कराया गया। हर महीने बेकरी की कमाई से इस ऋण की भी भरपाई की जा रही है। बीते महिला दिवस के मौक़े पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा बेटी ज़िंदाबाद बेकरी को सम्मानित भी किया गया था।
जशपुर की डीसी प्रियंका शुक्ला ने बेटी ज़िंदाबाद बेकरी में काम कर रहीं लड़कियों के साहस और आत्मविश्वास की जमकर सराहनी की। प्रियंका मानती हैं कि ऐसी लड़कियां सिर्फ़ उनके लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं। ये लड़कियां समाज की अन्य लड़कियों के लिए एक मिसाल हैं। बुरा दौर किसी के भी जीवन में दस्तक दे सकता है, लेकिन विषम परिस्थितियों से उबरकर जीवन को नई दिशा देनी चाहिए। जशपुर की बेटी ज़िंदाबाद बेकरी में काम कर रही पीड़िताएं समाज के सामने जीवन के इस सिद्धांत पर चलने का एक आदर्श उदाहरण स्थापित कर रही हैं।
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