डिजिटल बैंकिंग में बढ़ी पॉइंट आफ सेल
बैंकिंग क्षेत्र में डिजिटल लेनदेन बढ़ रहा है : स्टेट बैंक अॉफ इंडिया
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की चेयरपर्सन अरूंधति भट्टाचार्य ने कहा है, कि बैंक में संख्या के हिसाब से पॉइंट आफ सेल (पीओएस) लेनदेन 300 प्रतिशत तथा मूल्य के हिसाब से 200 प्रतिशत बढ़ा है। इससे पता चलता है कि डिजिटल लेनदेन में इजाफा हो रहा है।
अरुंधति भट्टाचार्य ने इस बारे में कहा है, कि ‘यदि आप हमारे पीओएस लेनदेन को देखें तो डिजिटल लेनदेन बढ़ा है। संख्या के हिसाब से यह 300 प्रतिशत तथा मूल्य के हिसाब से 200 प्रतिशत बढ़ा है।’ उन्होंने कहा कि वॉलेट डाउनलोड में जोरदार इजाफा हुआ है। हमने इससे पहले वॉलेट डाउनलोड में इतनी बढ़ोतरी नहीं देखी। यह 100 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है। उन्होंने बताया कि बंबई चिकित्सक संघ ने चिकित्सकों के चैंबर के लिए कल बैंक से 650 पीओएस मशीनों का आग्रह किया है। इसके अलावा बड़ी संख्या में कंपनियां अपने ठेका श्रमिकों को भुगतान के लिए इम्प्रेस कार्ड का आग्रह कर रही हैं।
साथ ही एसबीआई के एक शोध नोट में यह बात कही गई है, कि सरकार का ऊंचे मूल्य के नोट बंद करने का फैसला सही दिशा में उठाया गया कदम है, हालांकि, उसे कालेधन की अर्थव्यवस्था के स्रोत को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। एसबीआई रिसर्च के अनुसार अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त करेंसी का प्रवाह है और यह आंकड़ा 5 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की अतिरिक्त नकदी की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह संतुलित बनाने के लिये न तो जरूरी है और न ही यह वांछित है। समय के साथ इस तरह की अतिरिक्त नगदी बिना हिसाब किताब के साथ अर्थव्यवस्था में जुड़ी चली गई और यह काली अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन गई। ऐसे में नोटबंदी सही दिशा में उठाया गया कदम है। हालांकि, हमें कालेधन की अर्थव्यवस्था के सृजन के स्रोत को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये का नोट बंद करने की घोषणा की थी। इससे 86 प्रतिशत मुद्रा या 14 लाख करोड़ रपये की करेंसी चलन से बाहर हो गई थी।
एसबीआई रिसर्च का कहना है कि सरकार को डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहन के लिए प्रोत्साहन की सूची जारी करनी चाहिए। मसलन सभी सरकारी सेवाओं में नकद लेनदेन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। दुकानों पर पीओएस (स्वाइप) मशीनों को लगाना अनिवार्य किया जाना चाहिए और एक निश्चित सीमा से अधिक के नकद लेनदेन पर पैन की जानकारी देना अनिवार्य किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है, कि डिजिटल भुगतान क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं। अभी डिजिटल बैंकिंग का आकार करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये है। यह कम से कम तीन लाख करोड़ रुपये पर पहुंचना चाहिए।