विदेशी सरकारें नकदी कमी को लेकर अप्रसन्न

विदेशी सरकारें नकदी कमी को लेकर अप्रसन्न

Thursday December 08, 2016,

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कई विदेशी सरकारें अपने दूतावासों के नकदी निकासी पर सीमा लगाये जाने को लेकर अप्रसन्न हैं और वे इस कदम को विएना संधि का ‘‘गंभीर उल्लंघन’’ बताते हुए विदेश में भारतीय मिशनों के खिलाफ भी ऐसे ही कदमों पर विचार कर रहे हैं। यहां स्थित 157 विदेशी मिशनों का प्रतिनिधित्व करने वाले डीन ऑफ डिप्लोमैटिक कोर फ्रैंक हैंस डैनेनबर्ग कैस्टेलानोज ने कहा कि इस पर निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करना है और उन्हें इस मुद्दे के समाधान के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यह तथ्य कि हम अपने बैंक खातों में जमा अपनी ही राशि तक पहुंच नहीं बना सकते और यह विएना संधि एवं अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है। यह काफी राजदूतों की मुख्य चिंता है।’’ उन्होंने कहा कि प्रति सप्ताह 50000 रूपये की निकासी की सीमा हटायी जानी चाहिए। डॉमिनिक गणराज्य के राजदूत फ्रैंक हैंस डैनेनबर्ग कैस्टेलानोज ने कहा कि भारत की पाबंदी से कई दूतावास निराश हैं और वे अपने देशों में भारतीय राजनयिकों के खिलाफ ऐसे ही कदमों की संभावना पर विचार कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह उम्मीद भी जतायी कि मुद्दे का जल्द ही समाधान हो जाएगा और विदेशी सरकारों द्वारा ऐसी कार्रवाई की जरूरत नहीं पड़ेगी। कैस्टेलानोज ने पीटीआई से कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सभी सरकारें ऐसा करेंगी लेकिन ऐसी सरकारें हो सकती हैं जो अपने देशों में भारतीय राजनयिकों के साथ ऐसा ही करने की संभावना का अध्ययन कर रही हों।’’ उन्होंने कहा कि वह केवल 157 मिशनों के आम विचार और सरकार की प्रतिक्रिया की कमी को लेकर उनकी निराशा व्यक्त कर रहे हैं। कैस्टेलानोज ने कहा कि उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और चीफ आफ प्रोटोकॉल को पत्र लिखकर नोटबंदी अभियान के मद्देनजर नकदी निकासी पर सीमा लगाने को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। कैस्टेलानोज ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि आखिर में निर्णय उन्हें :प्रधानमंत्री को: करना है..। उन्हें निर्णय करना है कि राजनयिकों को अपने खातों से बड़ी राशि निकालने की शक्ति होगी या नहीं।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या कुछ देश वास्तव में ऐसे ही कदम उठा सकते हैं, उन्होंने कहा, ‘‘वे कहते हैं कि वे अपने मंत्रालयों से ऐसा करने की संभावना के बारे में चर्चा कर रहे हैं।’’ 

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