सादगी की मिसाल हैं रामनाथ कोविंद
देश के नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का सफरनामा...
आंकड़ों पर जायें, तो राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद की जीत तय मानी जा रही है। सासंदों और विधायकों की ताकत को देखते हुए रामनाथ कोविंद को सात लाख से अधिक वोट मिलने की उम्मीद है और उन्हें जीतने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। आज उनके राष्ट्रपति बनने की घोषणा होगी और 25 जुलाई को उन्हें शपथ लेनी होगी।

रामनाथ कोविंद एक अत्यंत साधारण परिवार से आते हैं। उनकी सादगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके भतीजे पंकज अभी भी कानपुर देहात झींझक के पास कपड़ों की दुकान चलाते हैं।
अपनी सादगी के लिए मशहूर रामनाथ कोविंद ने अपने पैतृक गांव वाले मकान को बारात घर के रूप में दान कर दिया था। बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। अगस्त 2015 में बिहार के राज्यपाल के तौर पर भी उनके नाम की घोषणा अचानक ही हुई थी। रामनाथ ने 2007 में कानपुर देहात की भोगनीपुर लोकसभा से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल खत्म हो गया है और अब उनकी जगह देश को नया राष्ट्रपति मिल जाएगा। वैसे तो एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनना तय है, लेकिन मतों की गिनती के बाद औपचारिक ऐलान शाम को ही होगा। हालांकि नतीजों से पहले ही एनडीए खेमे में जश्न मनना शुरू हो गया है। एनडीए की ओर से जब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा हुई थी तो हर कोई हैरत में था। क्योंकि बिहार का राज्यपाल होने के बावजूद देश के अधिकतर लोगों ने इससे पहले उनका नाम भी नहीं सुना था। जैसे कोविंद का राष्ट्रपति बनना हैरत की बात है वैसे ही उनकी जिंदगी भी हैरतों से भरी रही है।
रामनाथ कोविन्द का जन्म अक्टूबर 1945 में उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह कानपुर देहात जिले की तहसील डेरापुर के एक छोटे से गांव परौंख में पले बढ़े। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा संदलपुर ब्लाक के ग्राम खानपुर परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय हुई। कानपुर नगर के बीएनएसडी से इंटरमीडिएट स्कूल से 12वीं करने के बाद उन्होंने कानपुर के ही प्रसिद्ध डीएवी कॉलेज से बी.कॉम और लॉ की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे दिल्ली चले आए और यहां रहकर आईएएस की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने दो बार आईएएस की परीक्षा दी, लेकिन दोनों बार असफलता हाथ लगी। अपने तीसरे प्रयास में उन्होंने आईएएस की परीक्षा पास की।
रामनाथ गोविंद एक अत्यंत साधारण परिवार से आते हैं। उनकी सादगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके भतीजे पंकज अभी भी कानपुर देहात झींझक के पास कपड़ों की दुकान चलाते हैं। कोविंद जून 1975 में आपातकाल के बाद वे वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव रहे थे इसके अलावा उन्होंने जनता पार्टी की सरकार में सुप्रीम कोर्ट के जूनियर काउंसलर के पद पर कार्य किया। उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लगभग 16 साल तक प्रैक्टिस की। 1971 में बार काउंसिल के लिए उन्हें नामांकित किया गया और कोविंद दिल्ली हाई कोर्ट में 1977 से 1979 तक केंद्र सरकार के वकील रहे। कोविंद 1980 से 1993 तक केंद्र सरकार के स्टैंडिग काउंसिल में थे। वह कई सारी समितियों के सदस्य भी रहे। वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे हैं। बीजेपी में उन्हें दलित मोर्चा के अध्यक्ष का प्रभार दिया गया था। साल 1986 में दलित वर्ग के कानूनी सहायता ब्यूरो के महामंत्री भी थे।
कोविंद की पहचान एक दलित चेहरे के रूप में रही है। अपने छात्र जीवन में कोविंद ने अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए ढेर सारे काम किये। वह दो बार जनता पार्टी की तरफ से ही राज्यसभा के सांसद रहे।
अपने 12 साल के कार्यकाल में कोविंद ने शिक्षा से जुड़े कई मुद्दों को उठाया। बताया जाता है कि वकालत के दौरान कोविंद ने गरीबों और दलितों के मुकदमें फ्री में लड़े। कोविंद की शादी 30 मई 1974 को सविता कोविंद से हुई थी। उनका एक एक बेटा प्रशांत और बेटी स्वाति है। रामनाथ 1993 में कानपुर लौट आये और कल्याणपुर इलाके के न्यू आजाद नगर में डॉ. आदित्य नारायण दीक्षित के घर में दो कमरों में किराए पर रहने लगे। डॉ. आदित्य कानपुर के क्राइस्ट चर्च कालेज में फिजिक्स के प्रोफ़ेसर थे और दो कमरों के किराए के रूप में 30 रुपए लेते थे।
देश के होने वाले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद यहां के दो कमरों में 2005 तक रहे हैं। इसके बाद कभी कभार ही उनका परिवार यहां आता था। किराए के मकान में 12 साल रहने के बाद राम नाथ कोविंद ने कल्याणपुर इलाके में इंद्रानगर के दयानन्द विहार में अपना माकन बनवा लिया और वहां शिफ्ट हो गए। अपनी सादगी के लिए मशहूर रामनाथ कोविद ने अपने पैतृक गांव वाले मकान को बारात घर के रूप में दान कर दिया था। रामनाथ कोविंद तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। अगस्त 2015 में बिहार के राज्यपाल के तौर पर भी उनके नाम की घोषणा अचानक ही हुई थी। रामनाथ ने 2007 में कानपुर देहात की भोगनीपुर लोकसभा से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
उन्होंने बिहार राज्यपाल के पद से पहले ही इस्तीफा दे दिया है। इस बार आंकड़ों के हिसाब से रामनाथ कोविंद की जीत तय मानी जा रही है। सासंदों और विधायकों की ताकत को देखते हुए रामनाथ कोविंद को सात लाख से अधिक वोट मिलने की उम्मीद है और उन्हें जीतने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। आज उनके राष्ट्रपति बनने की घोषणा होगी और 25 जुलाई को उन्हें शपथ लेनी होगी।