जीका वायरस का खतरा फिर लौटा, रहें सतर्क
जीका एक किस्म का संक्रमण है, जो एडिस मच्छर के काटने से फैलता है। पूरी जानकारी के लिए पढ़ें पूरी स्टोरी...
जीका एक किस्म का संक्रमण है, जो एडिस मच्छर के काटने से फैलता है और गर्भवती मां के जरिए कोख में पल रहे बच्चे को भी हो सकता है। इस वायरस के संक्रमण से मस्तिष्क संबंधी कई जटिलताएं और संवेदी तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है। जीका मच्छर काटने के अलावा संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध स्थापित करने से भी होता है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए पढ़ें पूरी स्टोरी...
सप्ताह भर पहले स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने रोगी के घर का दौरा किया था और इस विषाणु को फैलने से रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाए गए थे। गुजरात के बाद तमिलनाडु दूसरा ऐसा राज्य है, जहां जीका वायरस का पता चला है।
भारत में जीका वायरस का चौथा मामला सामने आया है जो एक खतरनाक सूचना है। तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिला से जीका वायरस का पहला मामला सामने आया है। तमिलनाडु में जिस मरीज में जीका वायरस के लक्षण मिले हैं वो 28 वर्ष का है। दरअसल तमिलनाडु का रोगी राष्ट्रीय स्तर पर चौथा मरीज है। सप्ताह भर पहले स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने रोगी के घर का दौरा किया था और इस विषाणु को फैलने से रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाए गए थे। गुजरात के बाद तमिलनाडु दूसरा ऐसा राज्य है, जहां जीका वायरस का पता चला है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार, नवंम्बर 2016 तक तीन लोगों में इस बीमारी के विषाणु पाए गए थे। पिछले साल 10 से 16 फरवरी के बीच कुल 93 रक्त के नमूने लिए गए। इसमें एक सैंपल 64 वर्षीय पुरुष का था, जिनका नमूना पॉजीटिव पाया गया। 9 नवंबर 2016 को 34 साल की महिला ने बीजे मेडिकल कॉलेज में बच्चे को जन्म दिया। सब कुछ ठीक था, लेकिन डिलीवरी के बाद अस्पताल में रुकने के दौरान उसे हल्का बुखार हुआ। डेंगू टेस्ट तो सही रहा लेकिन जीका टेस्ट पॉजीटिव पाया गया। इसी साल जनवरी में 6-12 तारीख के बीच 111 रक्त के सैंपल लिए गए थे। इसमें 22 साल की एक गर्भवती महिला में जीका वायरस की पुष्टि हुई।
क्या है जीका वायरस
जीका एक किस्म का संक्रमण, यह मुख्य तौर पर एडिस मच्छर के कारण फैलता है और गर्भवती मां के जरिए कोख में पल रहे बच्चे को भी हो सकता है। जिससे बुखार, रैश, जोड़ों में दर्द, आंखों में लाली जैसी दिक्कतें होती हैं। जीका वायरस के संक्रमण से मस्तिष्क संबंधी कई जटिलताएं और उन संवेदी तंत्रिकाओं को भी नुकसान पहुंच सकता है। जीका मच्छर काटने के अलावा संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध स्थापित करने से भी होता है। ओरल सेक्स और अप्राकृतिक सेक्स के साथ सामान्य यौन संबंधों के जरिए भी जीका का संक्रमण हो सकता है। अगर गर्भावस्था के दौरान जीका हो जाए तो यह भ्रूण में ही माईक्रो स्फैली का कारण बन सकता है।
कैसे बचें खतरनाक जीका से
जीका वायरस से बचने के लिए एडिस मच्छर की सक्रियता के वक्त घर के भीतर ही रहना चाहिए। यह दिन के वक्त सूरज के चढ़ने से पहले या छिपने के बाद सुबह या शाम को काटते हैं। अच्छी तरह से बंद इमारतें इस से बचने के लिए सबसे सुरक्षित जगहें हैं। बाहर जाते हुए जूते, पूरी बाजू के कपड़े और लंबी पैंट पहने। डीट या पीकारिडिन वाले बग्ग स्प्रे या क्रीम लगाएं। दो महीने से छोटे बच्चों पर डीट वाले पदार्थ का प्रयोग न करें। कपड़ों पर पर्मिथ्रीन वाले कीट रोधक का प्रयोग करें। रुके हुए पानी को निकाल दें। अगर आप को पहले से जीका है तो खुद को मच्छरों के काटने से बचाएं, ताकि यह और न फैल सके। जीका वायरस वाले क्षेत्रों से लौट रहे सैलानियों को यौन संबंध बनाने से आठ सप्ताह तक परहेज करना चाहिए या सुरक्षित यौन संबंध ही बनाएं।
जो लोग जीका प्रभावित क्षेत्रों से आएं हैं या जिन्होंने जीका संक्रमित व्यक्ति से सेक्स संबंध बनाए हैं उनके कुछ ब्लड टेस्ट, सीमन टेस्ट, वैजाइनल फ्लूड और यूरिन टेस्ट करवाएं जाते हैं। इसका कोई खास इलाज नहीं हैं, बस मरीज को पूरी तरह से आराम करना चाहिए, अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए और बुखार पर नियंत्रण करने के लिए पैरासीटामोल का प्रयोग करना चाहिए। एस्प्रिन बिल्कुल नहीं लेनी चाहिए। बच्चों में एस्प्रिन से गंभीर खतरा हो सकता है।
गर्भधारण की योजना बना रहे जोड़ों को आठ सप्ताह के लिए रुक जाना चाहिए। अगर पुरुष में इसके लक्षण नजर आएं तो छह महीने के लिए रुक जाना चाहिए। टेस्ट या यूरिन टेस्ट के जरिए जीका वायरस के होने का पता लगाया जा सकता है। अगर जीका का ठीक से इन टेस्ट में पता नहीं चल पाता तो डॉक्टर कुछ और ब्लड टेस्ट करवाते हैं जैसे चिकनगुनिया और डेंगू के लिए करवाएं जाते हैं।
नवजात बच्चों पर होता है जीका का ज्यादा असर
जीका वायरस सबसे पहले अफ्रीका में पाया गया था। यहां से धीरे-धीरे यह वायरस अफ्रीका, अमेरिका और एशिया के कई देशों में भी फैला। जीका वायरस का सबसे ज्यादा असर नवजात बच्चों पर होता है। इसके प्रभाव के चलते उनका सिर छोटा रह जाता है और उनका दिमाग पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता। डेंगू और चिकनगुनिया फैलाने वाले मच्छरों के काटने से जीका वायरस फैलने का भी खतरा रहता है। बुखार, जोड़ों में दर्द, शरीर पर लाल चकत्ते, थकान और सिर दर्द जीका वायरस के लक्षण हैं।